बिलासपुर के कोनी में हुए वर्ग में आठ प्रांत के लगभग 330 जिला प्रचारकों ने भाग लिया था। प्रांत प्रचार प्रमुख ने बताया कि यह वर्ग पूरी तरह से जिला प्रचारकों के सर्वांगीण विकास पर केंद्रित था। वर्ग में उन्हें मानसिक, शरीरिक और बौद्धिक रूप से सशक्त किया गया। इसके अलावा स्थानीय स्तर पर समस्याओं का हल ढूंढ कर स्थानीय स्तर पर ही समाज के माध्यम से उसके समाधान पर बल दिया गया। पौध रोपण, स्वच्छता, स्त्री जागरण, जैविक कृषि आदि विषयों पर चर्चाएं हुई। इसके अलावा बौद्धिक सत्र में शीर्ष अधिकारियों ने जिला प्रचारकों का मार्गदर्शन किया।
जिला प्रचारकों के वर्ग में सबसे ज्यादा गांव स्वावलंबन और सृजनात्मकता पर दिया गया। प्रांत प्रचार प्रमुख ने बताया कि गांवों से लगातार रोजगार की तलाश में एक बड़ी आबादी पलायन कर रही है। छत्तीसगढ़ में आए दिन पलायन के समाचार पढऩे मिलने जाते हैं। ऐसे में गांव स्वावलंबन की दिशा में उचित कार्य करने की सीख प्रचारकों को दी गई। वहीं युवा वर्ग में सृजनात्मकता, रचनात्मकता के विकास, आध्यात्मिक सोच, भारतीय संस्कृति, गौ संरक्षण, आयुर्वेद, जैविक कृषि को बढ़ावा देने पर गहन चिंतन मनन किया गया।
सियासी सरगर्मी और छत्तीसगढ़ सहित भाजपा शासित चार राज्यों में होने वाले आगामी विधानसभा चुनाव के बीच पांच साल बाद, बिलासपुर में आरएसएस के आठ प्रांत के जिला प्रचारकों का जुटना इन दिनों चर्चा का विषय बना हुआ है। आम से लेकर खास तक सभी इसे छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव में भाजपा और संघ की आगामी रणनीति से जोड़कर देख रहे हैं।