काउंसलर डॉ किशोर दत्ता ने कहा कि खुद से बेहतर दूसरा कोई गाइड नहीं हो सकता। बच्चे खुद के गाइड बनें और खुद को ही मोटिवेट करें कि हां यह मैं कर सकता हूं। क्योंकि पॉजिटिव एटीट्युट ही हमें आगे बढऩे देता है। इसके लिए जरूरी है कि कुछ देर मेडिटेशन को भी दें, क्योंकि मेडिटेशन के माध्मय से ही हम खुद के साथ होते हैं और जब हम खुद को अपने आप में समेटते हैं तो जो ऊर्जा हमें उस दौरान मिलती है वही हमें दिनभर एकाग्र होकर बेहतर कार्य करने प्रेरित करती है।
डॉ किशोर दत्ता ने युवाओं से कहा पढ़ाई के दौरान सोशल साइट से वे जितनी दूरी बढ़ाएंगे वह उनके लिए बेहतर होगा, क्योंकि यूथ सोशल साइट पर अपनी पोस्ट अपलोड कर लाइक के पीछे भागते हैं, लेकिन अगर आप अपने लक्ष्य के पीछे भागकर सफल हो जाएंगे तो अपने आप सोशल मीडिया में आपके फॉलोवर्स की संख्या बढ़ जाएगी। एक्सपर्ट चिरंजीव जैन ने कहा कि सोशल मीडिया चलाने के लिए पूरा जीवन पढ़ा है, लेकिन परीक्षा का यह दौर जीवन में बार-बार नहीं आएगा। यह समय अपने लक्ष्य को फोकस करने का है।
डॉ किशोर दत्ता ने परीक्षा की तैयारी करने बच्चों को ब्रह्म मुहूर्त यानी सुबह 4 बजे से 7 बजे तक के समय को सबसे बेहतर बताया। उन्होंने कहा कि शास्त्रों में भी ब्रह्म मुहूर्त को श्रेष्ठ माना गया है और साइंस में भी इसका प्रमाण है कि हमारे ब्रेन में जैल जैसा लिक्विड होता है और यह सबसे ज्यादा सुबह एक्टिव होता है। इसलिए सुबह के वक्त हम जो भी पढ़ते हैं वह लंबे समय तक याद रहता है। दिनभर इसकी याद रखने की क्षमता धीरे-धीरे कम होने लगती है। रात 9 बजे के बाद वह 35 फीसदी चीजे ही याद रख पाता है।
संभागायुक्त दिलीप वासनिकर ने कहा कि सफलता के लिए सिर्फ दृढ़ इच्छाशक्ति की जरूर होती है। अगर कुछ करने का ठान लिया है तो मुश्किल कुछ भी नहीं होता। टाइम मैनेजटमेंट और बेहतर प्लानिंग के जरिए सब कुछ हासिल किया जा सकता है। हर क्षेत्र में संभावनाएं है युवा बस वही करें जिसमें उनकी रूचि हो। उन्होंने कहा कि परीक्षा के नाम पर डर स्वाभाविक है, लेकिन डर के आगे ही जीत है। संभायायुक्त वासनिकर ने कहा कि कार्यक्षेत्र कोई भी हो, लेकिन व्यक्ति में सेवाभाव का होना सबसे ज्यादा जरूरी है। क्योंकि आपके कार्य में सेवा नहीं होगी तो संतुष्टि भी नहीं होगी। उन्होंने कहा कि दूसरों को खुश करने की बजाए अपने माता-पिता गुरुजनों को खुश करिए सब कुछ मिल जाएगा। उन्होंने युवाओं को अपना सामान्य ज्ञान बढ़ाने के साथ ही किसी न किसी खेल से जुडऩे की भी सलाह दी।
पुलिस महानिरीक्षक विवेकानंद सिन्हा ने कहा कि जीवन में अनुशासन के साथ-साथ लक्ष्य का होना जरूरी है। इसके लिए हमें लाइफ का ब्लू प्रिंट बनाना होगा। क्योंकि सपने तभी साकार होंगे जब उसे पूरा करने की इच्छाशक्ति आपमें होगी। पैरेंट्स के सपोर्ट और उनके सपनों को याद रखकर तैयारी कीजिए लक्ष्य जरूर मिलेगा। उन्होंने बच्चों को अरूणिमा सिन्हा की कहानी सुनाकर मोटिवेट किया और कहा कि सभी में कुछ न कुछ खासियत है, इसलिए पैरेंट्स भी बच्चों की तुलना करने की बजाए उन्हें सहयोग करें। उन्होंने कहा कि सभी के पढऩे का तरीका और समय अलग-अलग हो सकता है, लेकिन यह तरीका और समय क्या होगा यह खुद को तय करना होगा ना कि दूसरों को देखकर उनके तरीके से पढ़ाई करें। आईजी सिन्हा ने कहा कि कुछ अच्छा करने एक्सीलेंट होने की जरूरत नहीं होती बस उस काम को करने की इच्छाशक्ति जरूरी है।
कार्यक्रम के अंत में एक्सपर्ट पैनल के सदस्यों और मुख्य अतिथियों एवं पत्रिका परिवार ने मिलकर पैरेटिंग टुडे की तीसरी सालगिरह मनाई। इस मौके पर केक काटकर सभी ने एक-दूसरे को शुभकामनाएं दी।
0-टेस्ट सीरीज, क्लास की पढ़ाई और परीक्षा की तैयारी में कैसे करें तालमेल-? – देवप्रसाद – महासमुंद
00- टाइम मैनेजमेंट के जरिए ही इसमें तालमेल बैठाया जा सकता है। नॉन प्रोडक्टिव चीजों पर फोकस करने की बजाए एकाग्रता और सही एटीट्यूट के साथ सुबह के वक्त पढ़ाई करें। भरपूर नींद लें और हेल्दी भोजन भी जरूर लें।
0 पढ़ाई के दौरान नियमितता नहीं रह पाती, लाइफ में सोशल मीडिया का कितना उपयोग करना चाहिए?- यशवंत पात्रो- कवर्धा
00- सोशल मीडिया के लिए पूरी लाइफ पड़ी है, यह वक्त केवल पढ़ाई करने का है। इसलिए पहले अपनी प्राथमिकता तय कीजिए, क्योंकि पैरेंट्स ने आपको जिस विश्वसा के साथ भेजा है उस सपने को सच कर दिखाना है।
0- सही तरीके से कैसे पढ़ाई करें?- समीक्षा साहू, कोरिया
00- इंडियन टेक्नीक है कि पहले पढ़ो, फिर लिखकर देखो तब पता चलेगा कि हमसे क्या नहीं बन पा रहा। क्योंकि रिव्यू जरूरी है। अच्छी लर्निंग के लिए जरूरी है कि हम दोस्तों के संग एक-दूसरे के गाइड बने, किसी एक टॉपिक को लेकर चर्चा करें।
0- सोशल मीडिया से दूर हूं, पूरा ध्यान पढ़ाई पर देती हूं पर लगता है यह मुझसे नहीं हो पा रहा?- चांदनी पैंकरा, सरगुजा
00- खुद में पॉज्िटिव एटीट्यूट लाकर तैयारी करें, क्योंकि खुद से बड़ा कोई दूसरा गाइड नहीं हो सकता। बस यह एटीट्यूड लाएं कि हां यह मैं कर सकती हूं। निगेटीविटी से दूर रहें।
0-खुद को लेकर कुछ ज्यादा ही सोचने लगता हूं और ध्यान भटक जाता है।- संदीप कश्यप, कवर्धा
00-आपके आसपास के लोगों को नोटिस करना शुरू करें कि वे कैसे लोग है उनके आपको पॉज्िटिव एनर्जी मिलती है या निगेटिव। बस खुद के लक्ष्य को याद रखें कि आप यहां क्यंो आए हैं।
0- कई बार सबकुछ आता है,लेकिन लिख नहीं पाती?- प्रेमयदा यादव- सरगुजा
00- कई बार हेल्थ इशू की वजह से ऐसी परेशानी आती है। लेकिन मेडिटेशन को भी जीवन में शामिल करें साथ ही भोजन में मसालेदार चीजों को ना लें, क्योंकि परीक्षा के वक्त जितना हल्का व सादा भोजन लेंगे उतना बेहतर होगा। साथ ही भरपूर नींद भी लेना जरूरी है।
0 मेरे पिताजी लकवा पीडि़त है, मां पर जिम्ेमदारी है, घर पर पढ़ाई का माहौल नहीं मिल पाता क्या करूं?- अंकिता देवांगन
00- माहौल हमें खुद तैयार करना होगा। जब तक हम खुद नहीं चाहेंगे हमें कोई भी डिस्टर्ब नहीं कर सकता।पूरे घर में कोई कोना तो ऐसा होगा जहां बैठकर पढ़ाई की जा सकें।
0-पिछली बातों को लेकर मूड बदलने लगता है, निगेटीविटी आने लगती है।- भानुप्रपात, मल्हार नवोदय स्कूल बिलासपुर
00- अपने विषय से हटकर काम करेंगे तो मन भटकेगा। हमारे जीवन में कुछ लोग ट्रिगर की तरह होते हैं जिनमें कुछ अच्छे तो कुछ बूरे भी शामिल है।यह आपको पहचानना है कि किनके साथ समय बिताना है ौर किसे अवाइड करना है। पिछली बातों को भूल जाए और खुद में पॉज्िटिव एटीटड्यूट लाएं।
खुद को कैसे मोटिवेट करें, खुद को अकेलेपन से कैसे दूर रखें, हाडवर्क को स्मार्ट वर्क में कैसे बदलें? जैसे प्रश्नों का भी एक्सपर्ट पैनल ने जवाब दिया। उन्होंने कहा कि बच्चे उन लोगों से मिले जो अपने क्षेत्र में एक अच्छा मुकाम हासिल कर चुके हैं। अपने रूम में उन लोगों के नाम की सूची लगाएं जो आपके लिए रोड मॉडल है ताकि उनके नाम सुबह-शाम देख आप खुद को मोटिवेट कर सकें। साथ ही कभी मैदान छोड़कर हार ना मानें, हमेशा अपना प्रयास करते रहें, क्योंकि कोशिश करने वालों की ही हमेशा जीत होती है।