scriptफॉर्म में ठप्पा लगाया और कहा-ठीक हो घर चले जाओ, शुक्र है मैं तो स्वस्थ हूं पर कई कोरेाना संक्रमित, अमेरिका से लौटे युवक का दर्द | Bhilai's youth who returned from America told how Corona spread | Patrika News

फॉर्म में ठप्पा लगाया और कहा-ठीक हो घर चले जाओ, शुक्र है मैं तो स्वस्थ हूं पर कई कोरेाना संक्रमित, अमेरिका से लौटे युवक का दर्द

locationभिलाईPublished: Mar 30, 2020 05:14:18 pm

Submitted by:

Dakshi Sahu

कोरोना वायरस से पूरी दुनिया जूझ रही है। अमेरिका में कोरोना मौत का दूसरा नाम बन गया है। ऐसे में अमेरिका से लौटे युवक ने कोरोना वायरस को लेकर अपने अनुभव पत्रिका के साथ सांझा किया। (Coronavirus in Chhattisgarh)

फॉर्म में ठप्पा लगाया और कहा-ठीक हो घर चले जाओ, शुक्र है मैं तो स्वस्थ हूं पर कई कोरेाना संक्रमित, अमेरिका से लौटे युवक ने बताया कैसे वायरस पहुंचा भारत

फॉर्म में ठप्पा लगाया और कहा-ठीक हो घर चले जाओ, शुक्र है मैं तो स्वस्थ हूं पर कई कोरेाना संक्रमित, अमेरिका से लौटे युवक ने बताया कैसे वायरस पहुंचा भारत

निर्मल साहू @भिलाई. कोरोना वायरस से पूरी दुनिया जूझ रही है। अमेरिका में कोरोना मौत का दूसरा नाम बन गया है। ऐसे में अमेरिका से लौटे युवक ने कोरोना वायरस को लेकर अपने अनुभव पत्रिका के साथ सांझा किया। उसने बताया कि शुरुआत में जितनी लापरवाही बरती आज उसका खामियाजा भारत को भी भुगतना पड़ रहा है। पढि़ए युवक की जुबानी पूरा वाकया…..
पांच महीने रहने के बाद मैं 16 अप्रैल को ही अमेरिका से लौटा हंू। मैं अमेरिका के जिस शहर मेंं रहता था वहां उस समय तक कोविड-19 का एकमात्र संक्रमित मिला था। फिर भी पूरा शहर ऐहतियात बरत रहा था। जिस दिन मैं इंडिया आया फ्लाइट पर कोरोना को लेकर कोई समझाइश व चेतावनी नहीं दी जा रही थी। उतरने से पहले एयरहोस्टेस आई और एक फॉर्म पकड़ा दिया। फॉर्म की दो प्रति थी। नाम, पता, फोन नंबर और सर्दी, खांसी, बुुखार आदि तो नहीं है यही पूछा गया था। अंत में सेल्फ डिक्लियरेशन था जिसमें गलत जानकारी देने पर स्वयं जिम्मेदार व एक्शन की बात लिखी हुई थी। मेरे जैसे ही सभी यात्रियों जैसी मर्जी हुई फॉर्म भर दिया। मैं दिल्ली एयरपोर्ट पर उतरा। वहां थर्मल स्केनिंग की गई। इसके बाद फॉर्म की एक प्रति जांच करने वालों ने अपने पास रख लिया। दूसरी प्रति पर सील ठप्पा लगाकर मुझे लौटा दिया। मुझसे कहा गया कि आप बिलकुल ठीक हैं। घर जा सकते हैं।
मुझे न तो 14 दिन घर में परिवार से अलग रहते हुए आइसोलेट रहने की जानकारी दी गई और न ही सोशल डिस्टेंसिंग के बारे में कोई समझाइश। यहां तक कि उस समय तक तो एयरपोर्ट पर भी कोई उद्घोषणा नहीं हो रही थी। इनिग्रेशन के बाद अपना सामान लिया फिर वहीं टैक्सी किया और अपने घर को चला आया। चंूकि मुझे जानकारी थी घर पहुंचते ही स्वयं को आइसोलेटड कर लिया। इसके दो-तीन दिन बाद मझे स्थानीय थाना से फोन आया।
पूछा कि आप विदेश से लौटे हैंं। मैंने कहा-हां। फिर पूछा-घर में आइसोलेट तो हैं न, कहीं बाहर तो नहीं नहीं निकले हैं? मैंने फिर जवाब दिया-परिवार से दूर अलग कमरे में हंू। कहीं बाहर नहीं निकला हंू। इसके कुछ देर बाद घर में पुलिस जवान और मेडिकल की टीम पहुंच गई। मेरी फिर से थर्मल स्केनिंग व जांच की गई। शुक्र है कि मैं पूरी तरह स्वस्थ हंू। अपने से एडवाइजरी का पूरा पालन कर रहा हंू। लेकिन जो लोग एयरपोर्ट पर थर्मल स्केनिंग के बाद बेफ्रिक होकर चले गए और भगवान न करें उनमें कोई संक्रमित हो तो न जाने कितनों को बीमारी बांट गया होगा। इंडिया में कोरोना ऐसा ही आया है।
अमेरिका में भी खौफ मगर कुछ भी थमा नहीं
पहले तो खुद वहां की सरकार इस मुगालते में रही कि उनके यहां कोरोना नहीं फैलेगा। तब भी केवल एडवाइजरी जारी की गई। सख्ती से लॉकडाउन लागू नहीं किया गया। बस इतना कह दिया कि स्टे एट होम। जब तक अलर्ट हुई कैलिफोर्निया और न्यायार्क वायरस के गिरफ्त में आ चुका था। इसके बाद जैसे ही नेशनल इमरजेंसी घोषित किया, वहां हर तरफ खौफ का माहौल था। घरों में सामान होल्ड कर रखने की होड़ मच गई। पूरा स्टोर खाली हो गया। मास्क और सेनिटाइजर कहीं मिल नहीं रहा था। वहां कुछ भी थमा नहीं है। इंडस्ट्रीज, यूनिवर्सिटीज व अन्य कामकाज ऑनलाइन चल रहे हैं।
अच्छी बात हैं कि हम समय रहते अलर्ट हो गए हैं
शुरुआती दौर में हमारे यहां इंडिया में भी कुछ खामियां थी, लेकिन यह अच्छी बात हैं कि समय रहते सरकार अब अलर्ट हो गई है। फिर भी आगामी एक महीना भारत पर भारी है। हमें बेहद सावधान रहना होगा। सोशल डिस्टेंसिंग और लॉकडाउन का ईमानदारी से पालन करना ही होगा नहीं तो यहां जो कुछ होगा उसकी कल्पना नहीं की जा सकती। नासमझ और लापरवाह लोग हर जगह होते हैं। अमेरिका में भी है। कुछ लोगों के किए की सजा पूरे देश को भुगतना न पड़े यह सबकी जिम्मेदारी है।
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