शुरू में पानी टंकी में लगे सारे पाइप को निकाला जा चुका है। अब धीरे-धीरे टुकड़ों में उसे तोड़ा जा रहा है। भिलाई इस्पात संयंत्र ने पिछले साल भी सेक्टर-7 की पानी टंकी को ढहाया था, जिसके लिए १८ किलो बारूद का उपयोग किए थे। बारूद का इस्तेमाल करने से यह टंकी 3 सेकंड में जमीदोज हो गई थी। अब कर्मियों के सहारे इस काम को करने में ७५ दिन लगने की उम्मीद है।
नए पानी टंकी में दरार आने की आशंका
बीएसपी ने पिछले वर्ष अप्रैल २०१६ में जब पानी टंकी को ढहाया था, तब उसके बाजू में मौजूद पानी टंकी में दरार आ गए थे।अब इस टंकी को अगर बारूद से ढहाते हैं, तो आशंका है कि नई पानी टंकी में दरार आ जाएगा। जिसे बीएसपी ने हाल ही में तैयार किया है।
बीएसपी ने पिछले वर्ष अप्रैल २०१६ में जब पानी टंकी को ढहाया था, तब उसके बाजू में मौजूद पानी टंकी में दरार आ गए थे।अब इस टंकी को अगर बारूद से ढहाते हैं, तो आशंका है कि नई पानी टंकी में दरार आ जाएगा। जिसे बीएसपी ने हाल ही में तैयार किया है।
कंट्रोल ब्लास्टिंग सिस्टम
सेक्टर-7 की एक 38 साल पुरानी जर्जर पानी टंकी को ढहाने के लिएपिछले वर्ष कंट्रोल ब्लास्टिंग सिस्टम का उपयोग किए थे।ब्लास्ट की आवाज बहुत तेज थी, करीब दो से तीन किलोमीटर तक सुनी गई थी।
सेक्टर-7 की एक 38 साल पुरानी जर्जर पानी टंकी को ढहाने के लिएपिछले वर्ष कंट्रोल ब्लास्टिंग सिस्टम का उपयोग किए थे।ब्लास्ट की आवाज बहुत तेज थी, करीब दो से तीन किलोमीटर तक सुनी गई थी।
आसपास में मौजूद कार के शीशे इस धमाके से डैमेज हो गए थे। सेक्टर-7 में जिस स्थान पर टैंक को गिराया गया था, उसमें करीब 10 मधुमक्खी के छाते थे। वर्तमान में जिस पानी टंकी को गिराया जाना है, उसमें भी मधुमक्खियों का छाता है।
दस लाख तक आ सकता है खर्च
मैनुअल पानी टंकी तोडऩे में करीब 10 लाख तक खर्च और ढाई माह से अधिक का समय लगता है। वहीं ब्लास्टिंग सिस्टम से २.५ लाख में चार दिन की प्रक्रिया के बाद तीन सेकंड में गिराना जा सकता है। टाउनशिप में दस साल पहले छावनी स्थित पांच मंजिला बिल्डिंग कंट्रोल ब्लास्टिंग से पहली बार गिराए थे।
मैनुअल पानी टंकी तोडऩे में करीब 10 लाख तक खर्च और ढाई माह से अधिक का समय लगता है। वहीं ब्लास्टिंग सिस्टम से २.५ लाख में चार दिन की प्रक्रिया के बाद तीन सेकंड में गिराना जा सकता है। टाउनशिप में दस साल पहले छावनी स्थित पांच मंजिला बिल्डिंग कंट्रोल ब्लास्टिंग से पहली बार गिराए थे।