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भिलाई इस्पात संयंत्र डिप्लोमा इंजीनियर्स ने किया भूख हड़ताल शुरू

locationभिलाईPublished: Oct 17, 2019 11:08:01 am

Submitted by:

Abdul Salam

भिलाई इस्पात संयंत्र के डिप्लोमा इंजीनियर्स ने गुरुवार की सुबह से सम्मानजनक पदनाम को लेकर भूख हड़ताल शुरू किया, संयंत्र में करीब 3000 डिप्लोमा इंजीनियर्स काम करते हैं.

भिलाई इस्पात संयंत्र डिप्लोमा इंजीनियर्स ने किया भूख हड़ताल शुरू

भिलाई इस्पात संयंत्र डिप्लोमा इंजीनियर्स ने किया भूख हड़ताल शुरू

भिलाई. भिलाई इस्पात संयंत्र Bhilai Steel Plant के डिप्लोमा इंजीनियर्स ने गुरुवार की सुबह से सम्मानजनक पदनाम को लेकर भूख हड़ताल शुरू कर दिए हैं। सेक्टर-1 एक्यूपमेंट चौक पर वे एकत्र हो रहे हैं। यह मांग उनकी लंबे समय से जारी है। अब तक इस मांग से बीएसपी प्रबंधन से लेकर केंद्रीय इस्पात मंत्री तक वाकिफ हो चुके हैं। अलग से सब कमेटी भी गठित की गई। सब कुछ हुआ लेकिन मामला वापस फिर उसी सड़क की लड़ाई पर आकर रुका है।

दर्द इस बात का
बीएसपी में कर्मचारी का पदनाम क्लस्टर के मुताबिक बदलते हैं। प्रमोशन में रोस्टर पद्धति लागू होने के कारण आरक्षित वर्ग का कर्मचारी लाइन ऑफ प्रमोशन (एलोपी) में नहीं है। ऐसे में बाकी कर्मचारी रिटायर्ड होने तक एक ही पद नाम के साथ रिटायर हो जाते हैं। इस बात को लेकर कर्मचारी संगठन काफी हंगामा कर चुका है। संयंत्र में 7,000 से ज्यादा ऐसे मामले सामने आए हैं, जिसमें कर्मचारी को 20-20 साल तक एक ही पद पर काम करने मजबूर होना पड़ रहा है।

मजाक का बनते हैं कारण
बीएसपी की बुनियाद सोवियत संघ के इंजीनियरों ने रखी थी, उस समय जो व्यक्ति का काम होता था। वही उसका पदनाम बना दिया जाता था। 60 साल बाद भी वैसे ही अजीबो-गरीब नाम संयंत्र में दर्ज हैं। जिसमें शिपर मैंन्यू प्लेटर का घर वेल्के नाइजर रोलर, असिस्टेंट लो रोलर जैसे पदनाम अक्सर संयंत्र के बाहर कर्मियों के उपहास का कारण बनते हैं।

सुपरवाइजर कैडर की है जरूरत
सेल में दुर्घटनाओं में इजाफा हुआ है। मेंटेनेंस के काम कम होने से ब्रेकडाउन बढ़ा है। इसके लिए एक बड़ी वजह सुपरवाइजर कैडर समाप्त करना रहा है। 2008 से सुपरवाइजर कैडर समाप्त किए गए, डिप्लोमा इंजीनियर को टेक्नीशियन के रूप में भर्ती किए जाने लगा जिसका घातक परिणाम अब सामने है।

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