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बीएसपी में कमर्चारी से अधिकारी बनने के मसले पर सुनवाई 4 को

locationभिलाईPublished: Apr 02, 2019 01:01:22 am

Submitted by:

Abdul Salam

छत्तीसगढ़ मजदूर संघ के महासचिव शेख महमूद ने बताया कि लगातार दबाव के बाद प्रबंधन ने 2017 में एक नई पॉलिसी लाकर परीक्षा फिर शुरुआत की।

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भिलाई. बीएसपी कर्मियों के अधिकारी वर्ग में प्रमोशन के विवाद की सुनवाई 4 अप्रैल 2019 को जबलपुर ट्रिब्यूनल कोर्ट में शुरू होगी। इस प्रमोशन को प्रबंधन ने एक तरफा फैसले से रोकने के खिलाफ इस्पात श्रमिक मंच सहित दो अन्य यूनियनों ने प्रबंधन के खिलाफ में परिवाद दायर किया था, मामला सुलझा नहीं, अब ट्रिब्यूनल में लंबित है। इस मामले में मंच ने ट्रिब्यूनल कोर्ट में अपना पक्ष रखा है।
2010 के बाद ई-जीरो परीक्षा बंद

महासचिव राजेश अग्रवाल ने बताया कि 2010 के बाद प्रबंधन ने फैसला लेते हुए करीब 8 साल तक परीक्षाओं को लंबित रखा, जो की पॉलिसी के खिलाफ है। बीएसपी ने 2008 में पहली बार अधिकारी वर्ग के लिए प्रमोशन के लिए कर्मियों की कारपोरेट स्तर पर परीक्षा लेना शुरू किया। पॉलिसी के मुताबिक परीक्षा हर 1 साल के अंतराल में होने थी, लेकिन प्रबंधन ने 2010 के बाद इस परीक्षा को एक तरफा निर्णय लेते हुए बंद कर दिया। प्रबंधन के इस गैर जिम्मेदाराना और पक्षपातपूर्ण रवैया के खिलाफ मंच सहित दो अन्य यूनियन श्रम आयुक्त के पास परिवाद दायर किया था। सुलह ना होने की स्थिति में मामला ट्रिब्यूनल को भेजा गया।
बैक लॉग क्लियर नहीं
छत्तीसगढ़ मजदूर संघ के महासचिव शेख महमूद ने बताया कि लगातार दबाव के बाद प्रबंधन ने 2017 में एक नई पॉलिसी लॉकर परीक्षा फिर शुरुआत की। संयुक्त यूनियन के लगातार मांग के बाद भी प्रबंधन ने हठधर्मिता दिखाते हुए पात्र कर्मियों में मात्र 2 फीसदी कर्मियों को ही प्रमोशन दिया। वहीं पिछले 8 साल से कर्मचारियों के साथ भेदभाव होता रहा है। इस दौरान कई कर्मी प्रमोशन का इंतजार करते करते रिटायर तक हो गए।
8000 से ज्यादा है प्रभावित
संयुक्त यूनियन ने बताया कि 8000 कर्मचारी पिछले 10 साल में इस पक्षपात का शिकार हुए हैं। अब यह लड़ाई निर्णायक दौर पर है। कंपनी को तय करना होगा की वह किस तरह इन कर्मियों के हुए नुकसान की क्षतिपूर्ति करेगी। पुरानी पॉलिसी के मुताबिक ही प्रमोशन के लिए परीक्षा तय अंतराल में होती तो अब तक एक हजार से ज्यादा कर्मियों का प्रमोशन हो चुका होता।
प्रियॉरिटी लिस्ट बनाकर करते हैं प्रभावित
सर्वजीत सिंह ने कहा कि जब यह कंपटीशन सेल स्तर पर होता है तो विभाग में कर्मियों की प्रियॉरिटी लिस्ट बनाकर प्रक्रिया को प्रभावित करते हैं। इस तरह प्रबंधन ने अपने चहेतों और पहुंच वालों को ज्यादा नंबर देते हुए लिखित परीक्षा में और अनुभव में कम अंक पाने वालों को भी ऑफिसर बनाने का काम करते है।
जारी रहेगा संघर्ष
इस्पात श्रमिक मंच के अध्यक्ष भाव सिंह सोनवानी ने कहा कि मंच कर्मचारियों के हित की लड़ाई बिना किसी प्रोपोगेंडा के अंत तक लड़ेगा। जज की नियुक्ति नहीं होने के चलते देर हुई है, लेकिन अब उम्मीद है जल्द सुखद फैसला आएगा।
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