रोजाना की तरह मैं जनरल शिफ्ट ड्यूटी करने प्लांट गया। तय कार्यक्रम के हिसाब से हमें बैटरी ११ के आगे कोक ओवन गैस पाइप लाइन को चार्ज करना था। सुबह ठीक 10 बजे काम शुरू हुआ। 25 लोगों को तीन टीम में बांटा गया। १३ लोग एक्चुअल जाम, हादसे वाले प्लेटफॉर्म में थे। सारे मास्टर और सीनियर टेक्नीशियन थे। उस टीम का सदस्य मैं भी था। दांत में दर्द होने की वजह से बोल्ट ओपनिंग टीम का काम संभाल लिया।
पाइप लाइन में मौजूद कोक ओवन गैस बेहद ज्वलनशील और खतरनाक होती है। एक चिंगारी मिलते ही बड़ा हादसा होने का डर बना रहता है। इधर जमीन से लगभग 10 मीटर ऊंचे प्लेटफॉर्म में मेन गु्रप के सदस्य, मास्क और पूरी सेफ्टी के साथ काम कर रहे थे। पाइप लाइन से प्लेट निकाल, गैस ब्लॉक करके रिंग लगाने की तैयारी में थे। इसी बीच कहीं से फायर सोर्स मिला और एक सेकंड में जोरदार धमाके के साथ आग का गुबार आसमान में दिखाई दिया। कुछ समझ पाते इसके पहले मेरे 8 साथी आंख के सामने जलकर स्वाहा हो गए। जो संभले वो भागते हुए इधर-उधर कूद रहे थे।आग का गुबार इतना भयंकर था कि पलभर में सब कुछ जलकर खाक हो गया।
मैं नीचे खड़े होकर, बेबस आंखों से अपने साथियों और उनके साथ बिताए हर एक पल को धू-धूकर जलते हुए देख रहा था। इधर मदद के लिए चीख पुकार मचने लगी। लगभग डेढ़ घंटे तक आग की लपटों से २५ से ३० लोग घिरे रहे। जब मदद मिली तब तक सिर्फ राख बचा था। लगभग दोपहर 12.30 बजे एंबुलेंस में मरे हुए साथियों के शव को मेन मेडिकल पोस्ट रवाना किया। तब तक हिम्मत जवाब दे चुकी थी। आंखों के सामने अंधेरा छा गया था। मेरी चालीस साल की नौकरी में 1986 के बाद यह सबसे भयानक, दर्दनाक और खतरनाक हादसा था। जिंदगी भर इस हादसे की तस्वीर आंखों में आंसू लाएगा।
बीएसपी के सीनियर टेक्नीशियन और हादसे के चश्मदीद ने बताया कि गैस चार्ज करना और पाइप लाइन का मेंटनेंस उनका नियमित काम है। अक्सर गैस चार्ज करने के बाद हल्की आग देखकर हम लोग राहत की सांस लेते हैं कि अतिरिक्त गैस जलकर खत्म हो गई। गैस नहीं जलने से उसके वातावरण में फैलने का खतरा बना रहता है जो बेहद नुकसान दायक होता है। ऐसे में आग नहीं देखकर थोड़ी चिंता होती थी पर पहली बार आग देखकर दिल थम गया। १२ जिंदगी हार गई। ऐसा दर्द दे गई जो जीवन पर्यंत आंसू देगा।