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BSP हादसा, 40 साल की नौकरी में दूसरा सबसे बड़ा हादसा देखने वाले इकलौते चश्मदीद, आंख के सामने जल गए 8 साथी…

locationभिलाईPublished: Oct 11, 2018 02:49:34 pm

Submitted by:

Dakshi Sahu

अपने 40 साल की नौकरी में इतना दर्दनाक हादसा उन्होंने दूसरी बार देखा। बीएसपी के सीनियर टेक्नीशियन ने नाम छापने की शर्त पर पत्रिका के साथ बेबसी और मौत का वह मंजर साझा किया।

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BSP हादसा, 40 साल की नौकरी में दूसरा सबसे बड़ा हादसा देखने वाले इकलौते चश्मदीद, आंख के सामने जल गए 8 साथी

दाक्षी साहू @भिलाई. भिलाई स्टील प्लांट के कोक ओवन गैस पाइप लाइन में मेंटनेंस के दौरान मंगलवार को हुए विस्फोट में 13 लोगों की मौत हो गई। मौत का वह दर्दनाक मंजरअपनी आंखों से देखने वाले एक चश्मदीद कर्मचारी ने जब आप बीती बताई तो रूह कांप गई। हादसे की जद में आए ऊर्जा प्रबंधन विभाग की मेंटनेंस टीम के वे भी सदस्य थे। जिनके साथ उन्होंने 30 साल से ज्यादा नौकरी की।
कई श्रम अवार्ड जीते। वहीं आठ साथी उनके आंखों के सामने पलभर में जलकर कोयला बन गए। अपने 40 साल की नौकरी में इतना दर्दनाक हादसा उन्होंने दूसरी बार देखा। बीएसपी के सीनियर टेक्नीशियन ने नाम छापने की शर्त पर पत्रिका के साथ बेबसी और मौत का वह मंजर साझा किया।
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पाइप लाइन करना था चार्ज
रोजाना की तरह मैं जनरल शिफ्ट ड्यूटी करने प्लांट गया। तय कार्यक्रम के हिसाब से हमें बैटरी ११ के आगे कोक ओवन गैस पाइप लाइन को चार्ज करना था। सुबह ठीक 10 बजे काम शुरू हुआ। 25 लोगों को तीन टीम में बांटा गया। १३ लोग एक्चुअल जाम, हादसे वाले प्लेटफॉर्म में थे। सारे मास्टर और सीनियर टेक्नीशियन थे। उस टीम का सदस्य मैं भी था। दांत में दर्द होने की वजह से बोल्ट ओपनिंग टीम का काम संभाल लिया।
काम शुरू करने से पहले मैंने मेन मेडिकल पोस्ट में सूचना दी। वहां से एंबुलेंस आई। इधर फायर ब्रिगेड की टीम भी पहुंच गई। उन्होंने मेंटनेंस टीम के समकक्ष अफायर सेफ्टी यंत्रों के साथ हाइड्रोलिक प्लेटफॉर्म पर मोर्चा संभाल लिया। इसके बाद मैं बोल्ट ओपन करने प्लेटफॉर्म पर चढ़ा। दस मिनटमें प्लेटफार्म पर काम पूरा करके मैं नीचे उतरा तो देखा आसपास एक दो गाडिय़ां खड़ी हैं। उन्हें उसी वक्त वहां से जाने के लिए कहा, क्योंकि गैस चार्ज करते हुए २०० मीटर का दायरा सेफ्टी के लिहाज से खाली करा लिया जाता है।
आंखों के सामने जलकर राख हो गए
पाइप लाइन में मौजूद कोक ओवन गैस बेहद ज्वलनशील और खतरनाक होती है। एक चिंगारी मिलते ही बड़ा हादसा होने का डर बना रहता है। इधर जमीन से लगभग 10 मीटर ऊंचे प्लेटफॉर्म में मेन गु्रप के सदस्य, मास्क और पूरी सेफ्टी के साथ काम कर रहे थे। पाइप लाइन से प्लेट निकाल, गैस ब्लॉक करके रिंग लगाने की तैयारी में थे। इसी बीच कहीं से फायर सोर्स मिला और एक सेकंड में जोरदार धमाके के साथ आग का गुबार आसमान में दिखाई दिया। कुछ समझ पाते इसके पहले मेरे 8 साथी आंख के सामने जलकर स्वाहा हो गए। जो संभले वो भागते हुए इधर-उधर कूद रहे थे।आग का गुबार इतना भयंकर था कि पलभर में सब कुछ जलकर खाक हो गया।
मेडिकल पोस्ट रवाना किया
मैं नीचे खड़े होकर, बेबस आंखों से अपने साथियों और उनके साथ बिताए हर एक पल को धू-धूकर जलते हुए देख रहा था। इधर मदद के लिए चीख पुकार मचने लगी। लगभग डेढ़ घंटे तक आग की लपटों से २५ से ३० लोग घिरे रहे। जब मदद मिली तब तक सिर्फ राख बचा था। लगभग दोपहर 12.30 बजे एंबुलेंस में मरे हुए साथियों के शव को मेन मेडिकल पोस्ट रवाना किया। तब तक हिम्मत जवाब दे चुकी थी। आंखों के सामने अंधेरा छा गया था। मेरी चालीस साल की नौकरी में 1986 के बाद यह सबसे भयानक, दर्दनाक और खतरनाक हादसा था। जिंदगी भर इस हादसे की तस्वीर आंखों में आंसू लाएगा।
कभी राहत की सांस लेते थे आग देखकर
बीएसपी के सीनियर टेक्नीशियन और हादसे के चश्मदीद ने बताया कि गैस चार्ज करना और पाइप लाइन का मेंटनेंस उनका नियमित काम है। अक्सर गैस चार्ज करने के बाद हल्की आग देखकर हम लोग राहत की सांस लेते हैं कि अतिरिक्त गैस जलकर खत्म हो गई। गैस नहीं जलने से उसके वातावरण में फैलने का खतरा बना रहता है जो बेहद नुकसान दायक होता है। ऐसे में आग नहीं देखकर थोड़ी चिंता होती थी पर पहली बार आग देखकर दिल थम गया। १२ जिंदगी हार गई। ऐसा दर्द दे गई जो जीवन पर्यंत आंसू देगा।
सिर्फ यादें बच गई

बीएसपी हादसा में जान गंवाने वाले मास्टर टेक्नीशियन अकील अहमद और दिनेश कुमार मौर्या के साथ इसी साल मैं प्रधानमंत्री श्रम अवार्ड लेने दिल्ली गया था। सालों का अनुभव और महारत के चलते पूरे डिपॉर्टमेंट में इनकी अलग पहचान थी। प्लांट में काम करते हुए हमने कर्इ ऐसे प्रोजेक्ट पर काम किया जिसे राष्ट्रीय स्तर पर सराहा गया, लेकिन हादसे के बाद सिर्फ यादें बच गई हैं। मृत सीनियर टेक्नीशियन केआर धु्रव और उदय पांडेय को भी विश्वकर्मा अवार्ड मिल चुका है।
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