भिलाई

BSP हादसा: औद्योगिक सुरक्षा विभाग की जांच में भी फंसे ईडी व जीएम

विभाग की ओर से दोनों अधिकारियों को भेजे गए नोटिस में कहा है कि सप्ताह भर पहले बनाई गई योजना में ही सुरक्षा मानकों की अनदेखी की गई है।

भिलाईOct 20, 2018 / 09:41 am

Dakshi Sahu

BSP हादसा: औद्योगिक सुरक्षा विभाग की जांच में भी फंसे ईडी व जीएम

भिलाई. औद्योगिक स्वास्थ्य एवं सुरक्षा विभाग ने भिलाई इस्पात संयंत्र के कोक ओवन गैस पाइप लाइन में हादसे के लिए अधिशासी निदेशक संकार्य पीके दाश और कोक ओवन के महाप्रबंधक जीएसवी सुब्रमण्यम को ही जिम्मेदार माना है। विभाग की ओर से दोनों अधिकारियों को भेजे गए नोटिस में कहा है कि सप्ताह भर पहले बनाई गई योजना में ही सुरक्षा मानकों की अनदेखी की गई है।
स्पष्टीकरण मांगा गया
दोनों से एक सप्ताह में स्पष्टीकरण मांगा गया है। इसके बाद विभाग की ओर से प्रकरण दर्ज कर आगे की कार्रवाई की जाएगी। औद्योगिक स्वास्थ्य एवं सुरक्षा विभाग के उप संचालक केके द्विवेदी बताया कि हादसे के बाद ऊर्जा प्रबंधन विभाग, कोक ओवन और अग्रिशमन विभाग के कर्मियों व अधिकारियों के बयान लिए गए।
मौके का जायजा लिया
मौके का जायजा लेकर कार्य स्थल की परिस्थिति और इसके लिए बनाई गई योजना का भी परीक्षण किया। पड़ताल में यह बात सामने आई कि यह जानते हुए भी कि कोक ओवन गैस काफी ज्वलनशील है, कर्मियों की जान को खतरे में डालकर काम करवाया जा रहा था। इसके लिए सीधे तौर पर कारखाने का मुखिया अधिशासी निदेशक संकार्य और कोक ओवन विभाग के महाप्रबंधक जिम्मेदार हैं।
द्विवेदी ने बतााया कि सिंटरिंग प्लांट-3 की मशीन-2 को कोक ओवन गैस आपूर्ति के लिए नई बिछी पाइप लाइन को चार्ज करने की योजना एक सप्ताह पहले बनाई गई। इसमें अधिशासी निदेशक संकार्य और कोक ओवन विभाग के महाप्रबंधक की सबसे अहम भूमिका थी।
ऊर्जा प्रबंधन विभाग को तो सिर्फ वहां पर काम और अग्रिशमन विभाग को रेस्क्यू के लिए तैनात रहना था। पूरी योजना और उस पर क्रियावयन की जिम्मेदारी दोनों अधिकारियों की थी। योजना के मुताबिक ही समय निर्धारित कर कर्मियों की अलग-अलग टीम बनाकर जिम्मेदारी बांटी गई। योजना में काम का जिक्र हैं, लेकिन सुरक्षा को पूरी तरह नजदअंदाज कर दिया गया।
4 अफसरों के खिलाफ एफआइआर, गिरफ्तारी नहीं

पुलिस ने घटना के संबंध में प्रत्यक्षदर्शी गवाहों के कथन और उपसंचालक औद्योगिक स्वास्थ्य एवं सुरक्षा द्वारा की गई प्राथामिक जांच रिपोर्ट के आधार पर अधिशासी दाश और महाप्रबंधक सुब्रमण्यम के अलावा महाप्रबंधक, सुरक्षा पी पांड्यराजा और उप महाप्रबंधक, प्रभारी ऊर्जा प्रबंधन विभाग नवीन कुमार के खिलाफ भी प्रकरण दर्ज किया है।
चारों अधिकारियों पर धारा २८७ (अग्रि लापरवाही) 304 ए (हड़बड़ी या लापरवाही से मौत होना), ३३८ (जीवन को खतरे में डालने वाला गंभीर जख्म), ३४ (अपराध में कई व्यक्ति शामिल) के तहत मामला दर्ज किया है। फिलहाल पुलिस ने अभी तक किसी की गिरफ्तारी नहीं की है और न ही किसी अधिकारी ने जमानत ली है। पुलिस का कहना है कि जांच अभी जारी है।
सात दिन में देना होगा इन सवालों का जवाब
1. डी-ब्लैंकिंग के दौरान ज्वलनशील कोक ओवन गैस पाइप लाइन से पूरी तरह क्यों नहीं निकाली गई?
२. सुरक्षा के मानकों को ध्यान में न रखकर पाइप लाइन से गैस निकाले बगैर पाइप के फ्लेंज ज्वाइंट को खोलकर एमएस प्लेट को निकालने का निर्णय क्यों लिया गया?
३.पाइप लाइन में गैस रहने से जरा से घर्षण से ही त्वरित भयावह आग लगने की पूर्ण आश्ंाका रहती है यह जानते हुए भी सुरक्षा को नजर अंदाज क्यों किया?
४. क्या गैस पाइप लाइन में संयत्र कर्मियों को जान जोखिम में डालकर काम कराया जाता है? डी-ब्लैंकिंग की नई तकनीक का इस्तेमाल क्यों नहीं किया जा रहा है?
सेल की जांच कमेटी की रिपोर्ट का खुलासा नहीं
हादसे की जांच के लिए स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड (सेल) की आंतरिक जांच कमेटी ने कंपनी के निदेशक तकनीक को अपनी रिपोर्ट सौंप दी है। हालांकि रिपोर्ट का अभी खुलासा नहीं हुआ है। लेकिन जिस तरह से जांच कमेटी के सदस्यों के तेवर थे और यहां सुरक्षा को लेकर लापरवाही पर अफसरों के समक्ष उन्होंने अपनी प्रतिक्रिया जताई, माना जा रहा है कि रिपोर्ट के आधार पर बड़ी कार्रवाई हो सकती है।
14 कर्मियों की मौत, नौ घायलों का चल रहा इलाज
9 अक्टूबर हो हुए इस हादसे में संयंत्र के ऊर्र्जा प्रबंधन विभाग के 9 और अग्रिशमन विभाग के 5 जवानों की मौत हो चुकी है। झुलसे हुए 9 कर्मियों की जवाहर लाल नेहरू चिकित्सालय एवं अनुसंधान केंद्र सेक्टर-9 में इलाज चल रहा है। इनमें कुछ की स्थिति ज्यादा गंभीर बताई जा रही है।

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