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65 लड्डू में आए थे रेलपांत का सबसे बड़ा आर्डर, अफसोस रेलवे की उम्मीदों पर खरा नहीं उतरा BSP

locationभिलाईPublished: Apr 16, 2018 11:54:15 am

Submitted by:

Dakshi Sahu

वर्ष 2017-2018 के लिए भारतीय रेलवे को 14.59 लाख मीट्रिक टन रेलपांत की आवश्यकता थी।

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भिलाई. भिलाई इस्पात संयंत्र प्रबंधन एक बार फिर भारतीय रेलवे की उम्मीदों पर खरा नहीं उतर पाया। संयंत्र प्रबंधन ने वित्तीय वर्ष 2017-18 के लिए अब तक का सबसे बड़ा 11.45 लाख टन रेलपांत आपूर्ति का ऑर्डर हासिल तो कर लिया था मगर सप्लाई 8.74 लाख टन ही कर सका। पिछले साल की तुलना में यह मात्र 62 हजार टन अधिक है जबकि संयंत्र में कहर महीने एक लाख टन उत्पादन क्षमता वाली नई यूनिवर्सल रेल मिल में भी उत्पादन शुरू हो चुका है।
बीएसपी ने पहले ही हाथ खड़े कर दिया था
वर्ष 2017-2018 के लिए भारतीय रेलवे को 14.59 लाख मीट्रिक टन रेलपांत की आवश्यकता थी। इसके लिए स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड (सेल) की भिलाई इकाई को 11.45 लाख टन रेलपांत का ऑर्डर दिया गया था। बाद में सेल ने अपनी संभावित नवीनतम रिपोर्ट (प्रोजेक्क्शन) में मौजूदा वित्तीय वर्ष के लिए 9.5 लाख मीट्रिक टन ही रेलपांत आपूर्ति के लिए प्रतिबद्धता जताई वह भी पूरा नहीं कर सका।
निविदा बुलाई
पिछले साल पहली बार है जब रेलवे को अपनी ट्रैक नवीकरण की जरूरत पूरा करने अन्य रेलपांत निर्माताओं से निविदा मंगानी पड़ी। पहले तो रेलवे करीब 7 लाख टन रेल पटरी खरीदने वैश्विक निविदा बुलाने की तैयारी की थी, बाद में सेल ने मांग के अनुरूप आपूर्ति का भरोसा दिलाया तो इसे घटाकार 4,87,000 मीट्रिक टन 60 किलो-यूआईसी रेलपांत खरीदी के लिए निविदा बुलाई।
रेलपांत का उत्पादन बढ़ाया पर लक्ष्य से दूर
भिलाई स्टील प्लांट ने वित्तीय वर्ष २०१६-१७ के अंतिम दो महीने फरवरी व मार्च में निर्धारित लक्ष्य से अधिक रेलपांत का उत्पादन व भारतीय रेलवे की मांग को पूरा कर निजी कंपनियों को ऑर्डर जाने से बचा लिया था। संयंत्र ने फरवरी २०१७ में 55 हजार टन लक्ष्य की तुलना में 60 और मार्च में 65 हजार टन उत्पादन लक्ष्य से अधिक 70 हजार टन पटरी बनाकर इस्पात मंत्रालय और रेलवे का भरोसा जीत लिया था। इसी का परिणाम था कि रेलवे ने भिलाई इस्पात संयंत्र को अब तक
का सबसे बड़ा ऑर्डर दे दिया था।
कोल की आपूर्ति लगातार रही बाधित
सालभर आयातित और देशी दोनों कोल की आपूर्ति लगातार बाधित रही। इसके कारण संयंत्र प्रबंधन को मजबूरी में हॉट मेटल का उत्पादन घटाना पड़ा। हालांकि अन्य मिलों में उत्पादों को नियंत्रित कर रेलपांत के उत्पादन को सामान्य बनाए रखने का प्रयास प्रबंधन ने किया फिर भी असर हो नहीं रोक सका।
यूआरएम में उत्पादन सुचारू नहीं
12 लाख टन सालाना उत्पादन क्षमता वाली संयंत्र की नई यूनिवर्सल रेल मिल अभी भी अपनी पूरी क्षमता से उत्पादन नहीं कर पा रही है। विश्व की आधुनिकतम टेक्रालॉजी से निर्मित इस मिल को केपिटल रिपेयर में लेने की नौबत आ गई है। संयंत्र की धमनभ_िायों में लगातार दिक्कतें आती रही हैं। पहले 4 नंबर को कैपिटल रिपेयर पर लिया गया। बाद में 5 नंबर धमनभ_ी की रिपेयरिंग की गई। हॉट मेटल का उत्पादन कम होने से रेलपांत बनाने ब्लूम की पर्याप्त आपूर्ति नहीं हो सकी।
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