नेताओं ने कहा कि समय पर वेतन पूरा वेतन व वेतन पर्ची हर ठेका श्रमिक को मिले। यह तय करना प्रबंधन की जिम्मेदारी है। हर विभाग में बैठे हुए ऑपरेटिंग अथॉरिटी इस पर बिल्कुल ध्यान नहीं देते बल्कि ठेका कर्मियों की बद से बदतर स्थिति उनकी नजर में रहने के बावजूद ठेकेदारों का बिल बहुत ही आसानी से पास कर दिया जाता है। प्रबंधन की इसी लापरवाही के चलते लगातार स्थितियां बिगड़ रही है। इसके लिए केवल और केवल प्रबंधन जिम्मेदार है।
यूनियन नेताओं ने कहा कि जायज हक के लिए लडऩे पर प्रबंधन इस तरह की हरकत कर रहा है। जिन कारणों को बता कर निलंबन किया गया है, उस कारण के विषय में योगेश सोनी को अपनी बात रखने का मौका ही नहीं दिया गया जो कि एक जिम्मेदार प्रबंधन को नहीं करना चाहिए।
नेताओं ने कहा कि ठेका श्रमिक के समक्ष वेतन और काम को लेकर जिस तेजी के साथ समस्याएं पैदा होती हैं। उसका समाधान निकालने के लिए प्रबंधन व ठेकेदार उसी तेजी के साथ काम नहीं करते जिसका नतीजा यह होता है की ठेका श्रमिकों के सामने धीरे-धीरे करके समस्याओं का अंबार बढऩे लगता है। यही कारण है संयंत्र में कार्य कर रहे ठेका श्रमिकों में लगातार असंतोष बढ़ता जा रहा है।