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भिलाई इस्पात संयंत्र में अब हर माह 300 नग अधिक लांग्स रेल का होगा उत्पादन

locationभिलाईPublished: Aug 05, 2020 12:11:07 am

Submitted by:

Abdul Salam

यूनिवर्सल रेल मिल के रेल वेल्डिंग लाइन में कार्बाइड सॉ का उद्घाटन.

भिलाई इस्पात संयंत्र में अब हर माह 300 नग अधिक लांग्स रेल का होगा उत्पादन

भिलाई इस्पात संयंत्र में अब हर माह 300 नग अधिक लांग्स रेल का होगा उत्पादन

भिलाई. भिलाई इस्पात संयंत्र के यूनिवर्सल रेल मिल (यूआरएम) में मंगलवार को बिृजेंंद्र प्रताप सिंह, कार्यपालक निदेशक ने नए विस्थापित कार्बाइडसॉ का रेल वेल्डिंग लाइन में उद्घाटन किया। इस मौके पर सीजीएम यूआरएम मुरुगेशनए अरविंद कुमार, सीजीएम एमएंडयू सुनील कुमार कटारिया, एसके कर, पीके नियोगी, महाप्रबंधक प्रभारी टी रामकृष्ण खास तौर पर मौजूद थे। ईडी बृजेंद्र प्रताप सिंह ने इस मौके पर रेल बिरादरी को बधाई दी और कहा कि कार्मिकों ने प्रतिदिन किए गए नए-नए मॉडिफिकेशंस के कारण ही आज हम इस स्तर पर पहुंच सके हैं। प्रबंधन को आपसे बहुत ज्यादा उम्मीद हैं। प्रत्येक विभाग हर प्रकार का सहयोग करने के लिए आतुर है। कोविड-19 के इस कठिन दौर में यूआरएम ने अपनी उत्पादन क्षमता बढ़ाई है। इसके लिए उन्होंने यहां के कर्मचारियों वह अधिकारियों को बधाई दी।

57 रेक रेल्स का किया सप्लाई
बीएसपी के यूआरएम ने जहां नित नए कीर्तिमान रचते हुए राष्ट्र निर्माण में अपनी जिम्मेदारी निभा रहा है। वहीं रेल उत्पादन में कीर्तिमान रचे जा रहे हैं। जुलाई 2020 में अब तक का सर्वश्रेष्ठ माह रहा है। इस दौरान सर्वधिक ब्लूम्स 7811 नग 62,683 टन की रोलिंग हुई है। इससे प्राइम रेल 56,011 टन का उत्पादन हुआ। रेलवे को कुल 57 रेक की सप्लाई हुई जो अब तक का सर्वश्रेष्ठ है।

14 से बढ़ाकर 23 ब्लूम का उत्पादन प्रति घंटा
मुख्य महाप्रबंधक मुरुगेशन ने ने बताया कि रेल के उत्पादन में जितना महत्व उच गुणवत्ता की रोलिंग करना है वही यह भी जरूरी है की उसी दर से रेल का जांच हो व उसे वेल्डिंग कर 260 मीटर का पैनल बना कर रैक में लोड किया जाए। मिल की क्षमता दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। यह नए-नए प्रकार के मॉडिफिकेशन का नतीजा है जिससे की मिल की क्षमता जो प्रति घंटे मात्र 14 ब्लूम रोल कर पाती थी बढ़कर 23 ब्लूम प्रति घंटा की हो गई है। अब यह जरूरी हो गया कि जिस रफ्तार से रेल की रोलिंग कर रहे हैं। उसी रफ्तार से हम इसकी फिनिशिंग भी करें। जिसमें राइट्स की अहम भूमिका रहती है।

राइट्स ने भी बढ़ाया टारगेट
महाप्रबंधक रामप्रसाद ने इस बात की जिम्मेदारी ली कि वे उच्च गुणवत्ता की रेल की रोलिंग करेंगे। राइट्स ने भी हर शिफ्ट का टारगेट 80 रेल से बढ़ाकर 100 से 120 रेल करना शुरू कर दिया है। मिल में 130 मीटर की रेल की रोलिंग होती है इसमें अलग-अलग प्रकार के इंस्पेक्शन के बाद अलग-अलग लंबाई में रेल मिलती है जो कि 130 ए, 117 ए, 87 ए, 26 व 13 मीटर की हो सकती है। इन रेलों को बाद में वेल्डिंग लाइन में ले जाकर जोड़ा जाता है। 260 मीटर के पैनल तैयार किए जाते हैं। यह पैनल रेलवे के विशेष प्रकार के रेक में लोड किया जाता है।

यहां आ रही दिक्कत
अगर एक भी मशीन में खराबी आ जाए या उत्पादन कम हो जाए तो इससे यूनिवर्सल रेल मिल का उत्पादन प्रभावित होता है। जैसे-जैसे मिल का उत्पादन बढ़ाते जा रहे थे तो यह महसूस किया गया की रेल वेल्डिंग लाइन में कुछ दिक्कतें आ रही हैं। इनमें प्रमुखता से वेल्डिंग किए हुए ज्वाइंट का फेल होना था। अगर कोई रेल ज्वाइंट फेल हो जाता है तो उसको फिर बैनड सॉ की मदद से काटा जाता था और इस प्रकार कुल 30 से 40 मिनट वेल्डिंग लाइन का काम प्रभावित हो जाता था। यह अपने आप में एक बहुत बड़ी समस्या थी, क्योंकि रेल वेल्डिंग लाइन का काम रुक जाने से पीछे फिनिशिंग व इंस्पेक्शन का काम भी बंद हो जाता था। यूआरएम के अधिकारी व कर्मचारियों ने मिलकर इस समस्या का समाधान ढूंढा और यह सुझाव दिया की एनडीटी के बाद में लगे हुए कार्बाइड सॉ अभी उपयोग में नहीं है तो इसे विस्थापित कर रेल वेल्डिंग प्लांट में लगाया जाए। ताकि जब भी कोई ज्वाइंट फेल हो तो उसे कार्बाइड सॉ की मदद से बहुत ही कम समय में मात्र 2 मिनट में रेल को काट दिया जाए।

जटिल काम को महज दो माह में किया पूरा
इस अत्यंत जटिल काम को आंतरिक संसाधनों की मदद से 2 माह की अल्प अवधि में महाप्रबंधक प्रकाश भोंड़ेकर के नेतृत्व में यांत्रिकी के भास्कर रॉय, विद्युत विभाग के अनीश सेनगुप्ता, रंजीत पाल, हाईडृॉलिक्स के वीरेंद्र कुमार ने किया। बिल्डिंग में पहुचने का रास्ता नहीं होने से छत में छेद किया गया और ओमेगा क्रेन की मदद से कार्बाइड सॉ को बिठाया गया। इलेक्ट्रिकल व हाईडृॉलिक्स ग्रुप ने सारे कनेक्शन को खोल कर फिर नए स्थान पर लगा दिया। सिविल विभाग के राकेश पाण्डेय ने मशीन के लिए उपयुक्त फाउंडेशन का निर्माण किया। इन्कौस व सीएनआईटी की मदद से मशीन को ऑनलाइन सर्किट में लिया गया। अब रेल ज्वाइंट के निरीक्षण में फेल होने की स्थिति में ज्वाइंट को कार्बाइडसॉसे काटने का काम बहुत ही त्वरित गति से किया जा सकता है।

हर माह 260 मीटर का 300 नग अतिरिक्त रेलपांत का किया जाएगा उत्पादन
इसी प्रकार रेल ज्वाइंट टेस्टिंग के लिए ज्वाइंट का ज्स्ज् टेस्टिंग किया जाता है। वर्तमान में ज्वाइंट सैंपल काटने के लिए उत्पादन रोककर सैंपल काटा जाता है। विभाग ने वेल्डिंग मशीन के पास ही सैंपल बनाने व पहुंचाने के लिए अलग से रेल स्टैंड व क्रेन की व्यवस्था की गई है। इस प्रकार उत्पादन प्रभावित किए बिना ही सैंपल काटकर टेस्टिंग संभव हो गया है। प्रतिमाह करीब 300 नग 260 मीटर के रेल पेनल का अतिरिक्त उत्पादन बढ़ाने में सहायक होगा। इस काम में महाप्रबंधक संजय कुमार, विशाल गुप्ता, उप महाप्रबंधक डीके साहू, देबेन्द्र नाथ बेहेरा, सहायक महाप्रबंधक, आनंद खूबचंदानी, विक्रम सिंह तिजो कुरिकोस, पलविंदर सिंह, सुरेश कुमार की अहम भूमिका रही।

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