@Patrika.यादव ने अपनी शिकायत में लिखा है कि सेक्टर-१० के मतदान केन्द्र क्रमांक-३१ के मतदान अभिकर्ता को ओर से मतदान के बाद फॉर्म-१७ सी की मांग की गई। बावजूद पीठासीन अधिकारी ने फॉर्म नहीं दिया। उन्होंने मतदान केंद्र क्रमांक- 71, 79, 99, 104, 107, 111, 118, 124, 126, 150, 151, 155 में अंतिम समय में अत्यधिक मतदान होने के कारण फर्जी मतदान करवाए जाने की आशंका भी जताई है।
1. निर्वाचन की निष्पक्षता पर इसलिए भी सवाल उठ रहा है कि जिला निर्वाचन विभाग ने मतदान केन्द्रों में पड़े मत के आंकड़े को अब सार्वजनिक नहीं किया। मतगणना कक्ष तक मीडिया की पहुंच पर भी प्रतिबंध लगा दिया गया है। पिछले साल इस तरह कोई प्रतिबंध नहीं था।
2. पीठासीन अधिकारियों को ट्रेनिंग देने के बावजूद जिले के तीन मतदान केन्द्रों के मॉक पोल को डिलीट नहीं किया। साजा विधानसभा क्षेत्र में शासकीय उच्चतर माध्यमिक स्कूल धमधा के मतदान केन्द्र क्रमांक-२२१ का मॉक पोल डिलिट करना भूल गए। अब यह इवीएम बेमेतरा के स्ट्रांग रूम में है। पाटन विधानसभा क्षेत्र में शासकीय प्राथमिक स्कूल बोरगांव के मतदान केन्द्र क्रमांक २१३ और दुर्ग शहर के वार्ड-२० शहीद भगत सिंह शासकीय स्कूल के मतदान केन्द्र क्रमांक ४३ की मशीन दुर्ग के स्ट्रांग रूम में हैं।
@Patrika. पत्रिका ने २ दिसंबर के अंक में निर्वाचन की निष्पक्षता को लेकर एक समाचार प्रकाशित किया था। समाचार के माध्यम से यह बताने का प्रयास किया था कि छत्तीसगढ़ में पहले चरण में 19 सीटों पर हुए चुनाव में मतदान के बाद बूथवार आंकड़े सार्वजनिक किए गए, लेकिन दूसरे चरण के मतदान के बाद बूथवार आंकड़े जारी करने पर निर्वाचन आयोग ने रोक लगा दी।