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भिलाई व रिसाली निगम वार्ड परिसीमन में जमकर मनमानी, आरक्षण मनमाफिक हो इसलिए अफसरोंं ने बदल दिए जनसंख्या के आंकड़े

locationभिलाईPublished: Jul 08, 2020 02:22:47 pm

Submitted by:

Dakshi Sahu

भिलाई और नवगठित रिसाली नगर निगम के वार्डों के परिसीमन में नगर पालिक निगम अधिनियम की तो धज्जियां उड़ाई ही जा रही है, जिम्मेदार उच्च न्यायालय के आदेश की अवहेलना करने से भी नहीं हिचक रहे हैं।(Bhilai and Risali nigam ward delimitation)

भिलाई व रिसाली निगम वार्ड परिसीमन में जमकर मनमानी, आरक्षण मनमाफिक हो इसलिए अफसरोंं ने बदल दिए जनसंख्या के आंकड़े

भिलाई व रिसाली निगम वार्ड परिसीमन में जमकर मनमानी, आरक्षण मनमाफिक हो इसलिए अफसरोंं ने बदल दिए जनसंख्या के आंकड़े

भिलाई. आगामी नगर निगम चुनाव में वार्डों का आरक्षण मनमाफिक हो सके इसके लिए अभी से पैंतरे आजमाए जा रहे हैं। भिलाई और नवगठित रिसाली नगर निगम के वार्डों के परिसीमन में नगर पालिक निगम अधिनियम की तो धज्जियां उड़ाई ही जा रही है, जिम्मेदार उच्च न्यायालय के आदेश की अवहेलना करने से भी नहीं हिचक रहे हैं। शासन को भेजने के लिए प्रावधानों को दरकिनार कर मनमानी परिसीमन का प्रस्ताव तैयार किया गया है। अधिकारियों ने जनसंख्या के आंकड़े तक में फेरबदल कर दिया है ताकि अपने हिसाब से वार्डों का विभाजन व आरक्षित कर सके। बीएसपी आधिपत्य टाउनशिप के वार्डों के विलय में भौगोलिक क्रम का भी ध्यान नहीं रखा गया है।
वार्ड 1 और 2 के आंकड़ों से इस तरह की गड़बड़ी को समझा जा सकता है। 2011 की जनगणना के आंकड़ों के मुताबिक वार्ड 1 में कुल आबादी 7329 है। यहां अनुसूचित जाति 1829 और अनुसूचित जनजाति की आबादी 242 है। जबकि परिसीमन के लिए भेजे गए प्रस्ताव में कुल आबादी 7312 दर्शाया है। इसी तरह अनुसूचित जाति की संख्या 1142 और अनुसूचित जनजाति की 172 उल्लेख किया है। जनगणना आंकड़े के अनुसार वार्ड 2 का वास्तविक आबादी 7329, अनुसूचित जाति 333 और अनुसूचित जनजाति 70 है। इसे क्रमश: 7319, 1139 और 176 दर्शाया है। ऐसा इसलिए ताकि एससी, एसटी की संख्या बढ़ाकर इस वार्ड को आरक्षित वर्ग की श्रेणी में ला सके।
यह न्यायालय का आदेश
नगर पालिक निगम भिलाई की ओर से वर्ष 2015 में 70 वार्डों का परिसीमन किया गया था। इसे चुनौती देते हुए रामजीत सिंह, अली हुसैन सिद्दीकी और देवेंदर सिंह भाटिया ने उच्च न्यायालय में जनहित याचिका दायर की थी। इस पर न्यायालय ने 18 अप्रैल 2017 के अपना फैसला दिया। मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता में गठित युगल पीठ ने कहा कि वार्डों के परिसीमन में छग नगर पालिक निगम एक्ट 1956 की धारा 10 और छग नगर पालिक (वार्डों का विस्तार) नियम 1994 के नियम-3 में उल्लेखित प्रावधानों का उल्लेख करते हुए समय-समय पर परिसीमन किया जाए। भिलाई और रिसाली नगर निगम के परिसीमन में न्यायालय के इस फैसले की अवमानना की गई है।
ऐसा होना चाहिए परिसीमन
छग नगर पालिक निगम एक्ट 1956 की धारा 10 में साफ लिखा है कि प्रत्येक वार्ड की जनसंख्या यथासाध्य पूरे नगर के वार्डों में एक जैसी होगी।
छग नगर पालिक (वार्डों का विस्तार) नियम 1994 के नियम-3 के अनुसार वार्डों की सीमाओं के निर्धारण का प्रस्ताव कलेक्टर की ओर से तैयार किया जाएगा।
प्रस्तावित वार्डों के परिसीमन में यह जरूरी है
मानचित्र में प्रत्येक प्रस्तावित वार्ड की चारों सीमाओं को इस तरह दर्शाया जाए कि सीमाएं स्पष्ट रूप से अलग-अलग दिखे।
जनगणना के प्रकाशित आंकड़ों के अनुसार निगम क्षेत्र की कुल जनसंख्या, एससी एसटी की कुल जनसंख्या और वार्डों की कुल संख्या का औसत।
प्रत्येक प्रस्तावित वार्ड की जनसंख्या तथा उसमें एससी, एसटी की जनसंख्या के आंकड़े।
जिम्मेदार अफसरों को करें निलंबित
भिलाई नगर निगम के पूर्व महापौर प्रत्याशी व पार्षद बशिष्ठ नारायण मिश्रा ने नगरीय प्रशासन एवं विकास विभाग के सचिव, सहायक संचालक, संभागायुक्त, स्थानीय निर्वाचन राज्य छग, कलेक्टर और भिलाई व रिसाली नगर निगम के आयुक्तों से इसकी शिकायत की है। बशिष्ठ ने कहा है कि यह उच्च न्यायालय के आदेश की अवमानना है। प्रावधानों को दरकिनार कर परिसीमन का प्रस्ताव तैयार करने वाले दोषी अधिकारियों को निलंबित किया जाए। अन्यथा वे अवमानना की याचिका उच्च न्यायालय में दायर करेंगे।

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