देवी जस गाने वाले अधेड़ की मौत से ज्यादा डरे बस्ती वाले काले साए के खौफ में जी रहे लोग सबसे ज्यादा एक महीने पहले बस्ती में देवी जसगीत गाने वाले अधेड़ की मौत के बाद डरे। नाम नहीं लिखने की शर्त पर रहवासी किशन लाल (परिवर्तित नाम ) ने बताया कि रात-दिन देवी की सेवा करने बाद भी अचानक जसगीत गाने वाले की तबीयत बिगड़ गई। पेट में दर्द के चलते लगभग एक सप्ताह तक उपचार चला, उसके बाद उसकी मौत हो गई। तब लोगों को यकीन हो गया कि यहां बस्ती में काला साया है। उसके बाद किसी की भी तबीयत बिगड़ी तो लोग डॉक्टर के पास जाने की बजाय उसे बैगा के पास झाड़-फूंक के लिए बाहर ले जाते हैं। सबका मानना है कि डॉक्टर के पास ले गए तो बीमार व्यक्ति का मरना तय है।
रात में रख जाता है कोई घर के बाहर नारियल वार्ड में 20 के लोगों का कहना है कि एक-एक मौत के बाद कई घरों के बाहर कोई रात के अंधेर में दो नारियल रखकर चला जाता था। सुबह उठते ही लोगों की नजर नारियल पर पड़ते ही उनके होश उड़ गए कि अगली बारी उनके घर की है। जादू-टोना मानकर किसी दूसरे के हाथ से उन नारियलों को बस्ती के बाहर फिकवाया गया। नारियल रखने वाला कौन है ? उसे आज तक किसी ने नहीं देखा। बस लोग डरे हुए हैं कि ऐसा नारियल कोई उनके घर के बाहर न रखकर चला जाए। पहले बस्ती में रात के १२ बजे तक चहल-पहल रहती थी, लेकिन काले साए की बात जानकर अब ८ बजते ही सन्नाटा छा जाता है। किसी को निकलना भी है तो लोग अकेले के बजाए झुंड बनाकर निकलते हैं।
एक्सपर्ट कमेंट… लोगों का वहम है, नहीं होता कोई काला साया काला साया लोगों को वहम है। विज्ञान ऐसे किसी काले साए को नहीं मानता। रही बात लोगों की सिले-सिलेवार मौत की तो यह कहीं भी हो सकता है। सबकी मौत का अलग-अलग कारण होता है। उसे काले साए के कारण मौत से जोड़कर नहीं देखा जा सकता। छत्तीसगढ़ के कई जगहों पर जादू-टोना, काले साए की बात प्रचलित है। अंधश्रद्धा उन्मूलन की टीम ने जब वहां जांच पड़ताल की तो कारण कुछ और ही निकला। लोग डरने की बजाय आपस में बैठकर बात करें। जरूरत पड़े तो सीसीटीवी का सहारा लेकर नारियल रखने वाले को पकड़ सकते हैं।
डॉ. दिनेश मिश्र
अंधश्रद्धा निर्मूलन समिति छग, अध्यक्ष
अंधश्रद्धा निर्मूलन समिति छग, अध्यक्ष