Bhilai Gangrape : जज कोर्ट में हाजिर हुए गवाही देने, तब मिली डॅाक्टर और आरक्षक सहित अरोपियों को सजा, जीवन भर रहना पड़ेगा जेल में
छात्रा पीलिया होन पर 19 जून 2014 को ईलाज के लिए लाल बहादुर शास्त्रीय शासकीय अस्पताल में भर्ती हुई थी। इसी दिन रात लगभग 12.30 बजे नाइट ड्यूटी करने वाले डॉक्टर डॉ. गौतम पंडित और अस्पताल की सुरक्षा में तैनात आरक्षक सौरभ भत्ता व चंद्रप्रकाश पाण्डेय युवती के पास पहुंचे।

दुर्ग@Patrika. छात्रा से गैंगरेप के प्रकरण की सुनवाई के दौरान अभियुक्त समझौते के लिए लगातार दबाव बना रहे थे। समझौता करने के लिए अभिुक्तों ने छात्रा से दबाव पूर्वक स्टाम्प पेपर भी खरीदवा लिया था। उसे मुलाकात करने के लिए जेल तक बुलवाया था। इधर प्रकरण की सुनवाई की तारीख भी बढ़ती जा रही थी। आखिर तंग आकर छात्रा ने अपने घर में फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। उसने सुसाइडल नोट में लिखा था कि उसे अब न्याय की उम्मीद नहीं है। इसीलिए उसने आत्महत्या करने का फैसला लिया। न्याय दिलाने के लिए मिले पैनल लायर की भूमिका भी पीडि़ता को संदिग्ध लगने लगी थी। इसका भी उल्लेख सुसाइडल नोट किया है।
न्यायाधीश ने कहा रक्षक होने के बजाय भक्षक बने
न्यायाधीश शुभ्रा पचौरी ने फैसले में कहा है कि अभियुक्त गौतम पंडित (31) डॉक्टर है। सौरभ भत्ता (33) और चंद्रप्रकाश (33) पुलिस कर्मी है। इसके बाद भी पीडि़ता की सुरक्षा करने के अपने लोक कर्तव्य का पालन करने के लिए आबद्ध होने के बाद भी सामूहिक दुष्कर्म का गंभीर व अन्य अपराध कारित किया है। उनका कार्यरक्षक का होने पर भी वे स्वयं पीडि़ता के भक्षक बन गए। गंभीर अपराध की पीड़ा से क्षुब्द होकर पीडि़ता ने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। उपरोक्त सभी परिस्थितियों में दण्ड के बिन्दु पर नरमी बरतना उचि प्रतीत नहीं होता। न्यायाधीश ने फैसले में स्पष्ट किया है कि आजीवन कारावास का तात्पर्य शेष जीवन काल के लिए है।
न्यायाधीश ने दोषी डॉ. गौतम पंडित, आरक्षक चंद्र प्रकाश व सौरभ भत्ता को दुष्कर्मकी धारा 376 (2) ख, 376 (घ) में आजीवन कारावास की सजा सुनाई। धारा 506 के तहत 3-3 साल सश्रम कारावास और सौरभ भत्ता को धारा 315 के तहत 3 साल कारावास की सजा अलग सुनाई। तीनों पर 20-20 हजार,500-500 व 500 रुपए जुर्माना भी लगाया। राशि जमा नहीं करने पर 1-1 माह अतिरिक्त कारावास की सजा काटने का आदेश दिया है।
25 गवाह में 4 हो गए पक्षद्रोह
इस प्रकरण में 25 गवाहों का बयान दर्ज कराया गया। प्रतिपरीक्षण के दौरान न्यायाल ने 4 गवाहों को पक्षद्रोह घोषित कर दिया। पक्षद्रोह घोषित हुए स्वतंत्र गवाह सुपेला सिविल अस्पताल के कर्मचारी थे।
युवती की मौत की जांच पूरी नहीं
छात्रा ने आत्महत्या करने से पहले सुसाइडल नोट लिखा था। जिसे पुलिस ने जब्त किया है। युवती ने आत्महत्या की वजह भी लिखा है। इस मामले में खुर्सीपार पुलिस ने मर्ग कायम किया है। यह जांच अब तक अपूर्ण है।
यह है घटना : आधीरात डॉक्टर बना दरिंदा, लगाया बेहोशी का इंजेक्शन
छात्रा पीलिया होन पर 19 जून 2014 को ईलाज के लिए लाल बहादुर शास्त्रीय शासकीय अस्पताल में भर्ती हुई थी। इसी दिन रात लगभग 12.30 बजे नाइट ड्यूटी करने वाले डॉक्टर डॉ. गौतम पंडित और अस्पताल की सुरक्षा में तैनात आरक्षक सौरभ भत्ता व चंद्रप्रकाश पाण्डेय युवती के पास पहुंचे। डॉक्टर गौतम ने युवती को कहा कि उसे इंजेक्शन लेना होगा। तब तक युवती को पता नहीं था कि जिससे वह ईलाज करा रही है वह डॉक्टर नहीं दरिंदा है। जैसे ही डॉक्टर ने इंजेक्शन दी छात्रा को चक्कर आने लगा। इसी बीच डॉक्टर व आरक्षक ने बारी बारी से दुष्कर्म किया। इस दर्दनाक घटना के बाद युवती सहम गई थी। सामूहिक दुष्कर्म की घटना न केवल उसके दिमांग में घर कर गया। वह दर्दसे परेशान रहने लगी। इधर आरोपियों ने यह कहते उसे डरा दिया कि अगर घटना को सार्वजनिक की तो वह एमएमएस को इंटरनेट में अपलोड कर देंगे। इस वजह से युवती 20 जून को डिस्चार्ज कराकर घर लौट गई।

आरक्षक सौरभ ने दिया था गर्भपात की दवा
अस्पताल में हुई घटना के बाद डॉक्टर हट गया, लेकिन दोनो आरक्षक युवती को एमएमएस को सार्वजनिक करने की धमकी देकर ब्लेकमेल करते रहे। ट्यूशन जाते समय फोन कर बुला लेते। कुछ दिन बाद युवती को एहसास हुआ कि वह गर्भवती है। उसने 28 अक्टूबर को प्रीगनेंसी कीट लेकर चेक किया। रिपोर्ट पॉजिटीव आने पर सौरभ भत्ता से मोबाइल पर संपर्क किया। कॉल को सौरभ की जगह उसकी मां ने उठाया। पीडि़ता ने सौरभ की मां को घटना की जानकारी देते हुए गर्भवती होने का खुलासा किया। इसके बाद सौरभ भत्ता ने 24 दिसंबर को मेडिकल से गर्भपात की दवा खरीदकर खाने को दी। इसके बाद उसका गर्भपात हो गया था।
ट्र्रैक पर कटने गई थी, वहां एएसआई ने बचाया, तब खुला मामला
इस घटना के बाद भी आरक्षक उसे परेशान करने लगे थे। वह अपने जीवन से त्रस्त हो गई थी। वह गैंगरेप की शिकायत करने 7 जनवरी 2015 को छावनी थाना गई,तत्कालीन ड्यूटी ऑफिसर ने कहानी सुनने के बाद उसे यह कहते हुए लौटा दिया कि दो गवाह लेकर आए। एफआईआर नहीं लिखे जाने पर पीडि़ता आत्महत्या करने के उद्देश्य से पावर हाउस स्थिति रेलवे ट्रेक पहुंची। अचानक पेट्रोलिंग ड्यूटी करने वाले एएसआई शंकर झा की नजर पड़ी। पूछताछ करने पर मामले का खुलासा हुआ। इसके बाद एएसआई शंकर झा ने युवती को घर पहुंचया। मामला सार्वजनिक होते ही देर रात छावनी पुलिस ने एफआईआर दर्ज कर प्रकरण को विवेचना के लिए सुपेला थाना स्थानंतरित किया।
हाईकोर्ट में भी नहीं मिली जमानत
लोक अभियोजक सुदर्शन महलवार ने बताया कि प्रकरण पर फैसला लगभग 120 पृष्ठ में है। इस मामले में एफआईआर लिखे जाने के बाद सुपेला पुलिस ने दूसरे दिन ही आरोपियों को गिरफ्तार कर न्यायालय में प्रस्तुत कर जेल दाखिल कराया था। तब से आरोपी न्यायायिक अभिरक्षा में है। प्रकरीण की गंभीरता को देखते हुए जिला न्यायालय और हाईकोर्ट ने आरोपियों का जमानत आवेदन खारिज कर दिया था।
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