पुलिस के अनुसार इस हाई प्रोफाइल मर्डर की जानकारी मृतक के बेटे के दोस्त ने दी। उसके अनुसार मृतक का पुत्र सुमीत लोढ़ा ने सुबह अपने पिता सुनील को किसी काम के लिए फोन लगाया। फोन रिसिव नहीं करने पर उन्होंने अपने मित्र डौंडी निवासी अंकित तिवारी को फोन से कहा कि पापा फोन नहीं उठा रहे हैं आप घर जाकर देखो। दोस्त अंकित ने बाजार स्थित मकान जाकर दरवाजा खटखटाया, तो अंदर से कोई आवाज नहीं आई। तब बेटे सुमीत ने अंकित से अंदर जाने का माध्यम बताया, तो अंकित ने दीवार फांदकर मकान के अंदर पहुंचा। मृतक के कमरे का दरवाजा खुला हुआ था। मृतक सुनील एक ओर लुढ़के हुए थे, हाथ-पैर बंधा हुआ था। उन्होंने तत्काल इसकी सूचना पुत्र सुमीत के साथ जैन समाज को दी। समाज के प्रमुख लोगों ने पुलिस को इसकी जानकारी दी।
सूचना के घंटेभर बाद डौंडी थाना प्रभारी विकास देशमुख घटना स्थल पहुंचे, तो किसी भी को अंदर जाने से मना करते हुए पहले उच्च अधिकारियों से चर्चा की। उसके बाद दल्लीराजहरा सीएसपी व फोरेंसिक अधिकारी डॉग स्क्वाड की टीम पहुंची। टीम ने घटना स्थल की डॉग के साथ बारीकी से जांच की। थोड़ी ही देर में आईजी जीपी सिंह मौके पर पहुंचे और टीम से चर्चा की। उसके बाद शव का पंचनामा कर पोस्टमार्टम के लिए भेजा गया। पीएम रिपोर्ट आने के बाद ही वास्तविक कारण का पता चलेगा।
इस संबंध में पुलिस ने रसोइया शैलेष से रात तक की पूरी जानकारी ली है। इसी दिशा में पुलिस घर के आसपास व मार्ग में लगे सीसीटीवी कैमरे की जांच में फूटेज खंगाल रही है। फुटेज में पाया गया कि रात ढाई बजे के आसपास 6 से 7 संदिग्ध लोगों की आवाजाही हुई है, जो फोन में बात करते हुए वहां से गुजरे हैं। फोरेंसिक एक्सपर्ट के अनुसार यदि संदिग्धों द्वारा उस दौरान मोबाइल से बातकी जा रही थी, तो इस एरिया में ट्रेस कर उन तक पहुंचा जा सकता है। बहरहाल पुलिस हर दृष्टि को ध्यान में रखते हुए मामले की तह तक जाने में लगी हुई है।
जानकारी अनुसार मृतक सुनील को शनिवार की रात करीब सवा 10 बजे कार से आते हुए देखा गया। उसके बाद उन्होंने रसोइया शैलेष जायसवाल से गर्म पानी मांगकर रात लगभग १०.३० बजे भोजन लगाने कहा। उसके बाद रसोइया घर चला गया था।
बता दें कि बस्तर के दुर्गुकोंदल के आगे हाहालद्दी माइंस में मृतक सुनील लोढ़ा की 11 वाहनों को पिछले साल नक्सलियों ने आग के हवाले कर दिया था। जानकारी मिली कि मृतक सुनील का परिवार लगभग 10 वर्षों से रायपुर में रहते हैं। परिवार में एक लड़का व एक लड़की और पत्नी है। मृतक सप्ताह में दो-तीन दिनों के लिए डौंडी में आकर रुकता था। माइंस कर्मचारियों को वेतन भुगतान करने लाखों रुपए लेकर निवास स्थान डौंडी आते थे। हत्या को आपसी व्यापारिक प्रतिस्पर्धा से भी जोड़कर देखा जा रहा है।