डिप्लोमा इंजीनियर्स के पदाधिकारियों ने बताया कि एक कोचिंग सेंटर में दो दिनों से जो पढ़ाया जा रहा था। वह सवाल अक्षरश: परीक्षा में आया है। इसको लेकर सोशल मीडिया में भी चर्चा चल रही है, जिसके आशंका पुख्ता हो रही है और उसके आधार पर परीक्षा को निरस्त किया जाना चाहिए।
एसोसिएशन ने बताया कि परीक्षा केंद्रों में अव्यवस्था थी। सेंटर का नाम लिए बिना ही कहा कि एक सेंटर में परीक्षार्थियों को प्रश्नपत्र १० मिनट पहले दे दिए गए। दूसरे केंद्र में दूसरा प्रश्नपत्र हल किया जा रहा था। तीसरे केंद्र में प्रश्नपत्र का पैकेट खुला मिला। यह कब खोला गया परीक्षार्थियों को मालूम नहीं? परीक्षा केंद्र में घड़ी नहीं थी, जो मोबाइल लेकर गए, उनसे मोबाइल व घड़ी बाहर रख देने कहा गया। इस तरह से परीक्षा के दौरान पारदर्शिता नहीं थी।
ई-० परीक्षा में कर्मियों को उनके कार्य क्षेत्र के मुताबिक अलग-अलग स्ट्रीम में रखा गया था। इसके मुताबिक ही पठन सामग्री उपलब्ध कराई गई, लेकिन परीक्षा में सिलेबस के बाहर सवाल पूछे गए। जो कर्मी संयंत्र के भीतरनहीं आया, वह उसके जवाब कैसे दे सकता है। इसी तरह माइंस कर्मियों के साथ भी भेदभाव हुआ है। उनके स्ट्रीम से जीपीओई में एक आध सवाल ही पूछे, अब कर्मचारी प्रबंधन से पूछ रहे हैं कि उनकी ईमानदारी से परीक्षा की तैयारी का क्या फायदा।
डिप्लोमा इंजीनियर्स ने कहा की जब से ई-० परीक्षा शुरू हुई है, सेल में प्रमोशन को लेकर विवाद बढ़ा है। मामले में कोर्ट तक गए हैं। इन सब को लेकर डेफी ने कॉरपोरेट को पहले ही आगाह किया था, लेकिन प्रबंधन ने इस और ध्यान नहीं दिया। सेल ने केंद्र सरकार की सिफारिश के साथ साथ एक अन्य तरीके के कोटे को जन्म दिया है। सेल में एसटीएससी आरक्षण के शिवा आईटीआई व मैट्रिक पास कर्मियों के लिए अलग से १० फीसदी सीट आरक्षित रखी है। यह विडंबना सिर्फ सेल में है। जहां उच्च शिक्षा को तरजीह न देते हुए न्यूनतम शिक्षा पर कोटे की व्यवस्था है। प्रतिनिधि मंडल में राजेश शर्मा, नरेंद्र राव, डीपीएस बरार, अखिल मिश्रा, देवेंद्र कश्यप, आरके वर्मा, अजय अड्कने, अनिल राठौर संजय सपाटे मौजूद थे।