बीएसपी कर्मी कर रहे हैं अफसर बनने का इंतजार
भिलाईPublished: Feb 20, 2022 09:19:47 pm
साढ़े तीन साल बाद भी नहीं हो रही ई-जीरो प्रमोशन परीक्षा। पात्रता रखने वाले संयंत्र के लगभग साढ़े तीन हजार कर्मियों का अधिकारी बनने का सपना केवल सपना ही रह गया है।
बीएसपी कर्मी कर रहे हैं अफसर बनने का इंतजार
भिलाई. भिलाई इस्पात संयंत्र के कर्मचारियों को उच्च शिक्षित व काबिल होने के बाद भी अधिकारी बनने का मौका नहीं मिल पा रहा है। पात्रता रखने वाले संयंत्र के लगभग साढ़े तीन हजार कर्मी अधिकारी बनने का सपना केवल सपना ही रह जा रहा है। तमाम योग्यता के बावजूद वे एस-11 ग्रेड पर बतौर कर्मी ही सेवानिवृत्त हो जा रहे हैं।
ई-जीरो प्रमोशन पॉलिसी के तहत स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड (सेल) बीएसपी सहित सभी संयंत्रों में कर्मियों को अफसर बनने का अवसर उपलब्ध करवाता है। पॉलिसी के तहत हर दो साल में परीक्षा आयोजित करनी है, लेकिन तय समयावधि के साढ़े तीन साल बीत जाने के बाद भी सेल प्रबंधन की ओर से कोई पहल नहीं की जा रही है।
स्टील एंप्लाइज यूनियन इंटक ने सेल में ई-0 प्रमेाशन परीक्षा प्रारंभ करने के लिए सेल चेयरमैन के नाम संयंत्र के औद्योगिक संबंध विभाग के महाप्रबंधक जेएन ठाकुर को ज्ञापन सौंपा। अक्टूबर 2018 के बाद अभी तक ई-जीरो की परीक्षा आयोजित नहीं करने पर नाराजगी जताई और कर्मियों की भावनाओं से भी अवगत कराया। बैठक में वरिष्ठ प्रबंधक औद्योगिक संबंध रोहित हरित एवं इंटक यूनियन की ओर से अतिरिक्त महासचिव संजय साहू, उप महासचिव अनिमेष पसीने और ऑफिस सचिव रेशम राठौर उपस्थित थे।
2008, 2010 फिर 2018 में हुइ परीक्षा
सेल ने इसके पूर्व 2008 और 2010 में नियमित दो साल के अंतराल में परीक्षा आयोजित की। इसके बाद फिर 8 साल बे्रक कर दिया था। कर्मचारी संगठनों के दबाव के बाद जुलाई 2018 में फिर परीक्षा ली। हालांकि पात्रता रखने वाले कर्मियों में से मात्र 24 फीसदी ने ही परीक्षा दी, जिसमें 127 कर्मी, अधिकारी बने। इसके बाद से फिर साढ़े तीन साल हो गए हैं, सेल प्रबंधन खामोश बैठ गया है। इससे वरिष्ठ कर्मचारियों को अधिकारी बनने का मौका नहीं मिल पा रहा है।
एक ही पद पर 14 साल काम करते हो रहे सेवानिवृत्त
भिलाई इस्पात संयंत्र में वर्तमान में लगभग 15 हजारमें से 25 फीसदी कर्मचारी अधिकारी बनने के पात्र हैं, लेकिन परीक्षा नहीं होने के कारण अधिकतर कर्मचारी एक ही पद पर एस-11 ग्रेड एवं डी कलस्टर के पद पर ही 13 से 14 साल तक, रहकर सेवानिवृत्त हो जा रहे हैं।
मनोबल तो गिर ही रहा, आर्थिक नुकसान भी
अधिकारी बनने से वंचित रह जाने से पात्र कर्मियों का तो मनोबल गिर ही रहा है, उन्हें आर्थिक नुकसान भी हो रहा है। चार साल में अतिरिक्त एक इंक्रीमेंट मिलता है, वह भी नहीं मिल रहा। जबकि वह अनुभव एवं कर्मठता के मामले में संयंत्र का सबसे जिम्मेदार कर्मचारी होता है।
क्या फायदा कर्मियों को एम टेक करवाने का
संयंत्र प्रबंधन छत्तीसगढ़ स्वामी विवेकानंद तकनीकी विश्वविद्यालय के माध्यम से अपने कर्मियों को मेटलर्जी ट्रेड में एमटेक करवाता है, लेकिन जब अधिकारी बनने की परीक्षा होती है तो उन्हें उस पढ़ाई का एवं उसके अनुभव का कोई लाभ नहीं दिया जाता है। जबकि स्टील सेक्टर होने के कारण सबसे ज्यादा मेटल के मामले में उनको जानकारी रहती है। इंटक यूनियन के अतिरिक्त महासचिव संजय साहू ने ज्ञापन में सेल चेयरमैन से मांग की है कि उन्हें ई- जीरो की परीक्षा में, स्पेशल बोनस अंक दिया जाना चाहिए जिससे कि उसकी शिक्षा का सम्मान हो और वह संयंत्र के लिए अपना पूरा ज्ञान एवं कर्मठता प्रदान कर सके।
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