एसएमएस-1 के इलेक्ट्रिकल विभाग के कर्मचारी की मौत हो गई। इसके बाद प्रबंधन की क्या जिम्मेदारी थी, सवाल यहां खड़ा हो रहा है। पीडि़त परिवार पूरी रात पहले कर्मचारी की तबीयत जानने व बाद में मौत की सूचना पाकर रो-रो कर बिताया। वहीं प्रबंधन की ओर से कोई भी जिम्मेदार ने पहुंचकर न परिवार को इस बात की जानकारी दी कि किस परिस्थितियों में परिवार के मुखिया की मौत हो गई और न संवेदना जताने घर तक पहुंचे।
बीएसपी कर्मचारी राम कुमार ध्रुव की मौत के बाद एकलौता बेटा प्रवीण ध्रुव ने बताया कि पिता ड्यूटी गए तो ठीक थे, आखिर उनको काम के दौरान क्या हुआ। वहां कैसे मौत हो गई। प्रबंधन पूरे मामले में सामने क्यों नहीं आ रहा है। घर में पांच सदस्य हैं, पिता के अलावा कोई कमाने वाला नहीं है। मां का रो-रोकर बुरा हाल है, उनकी हालत ठीक नहीं है। यह कहते हुए बेटे की आंख नम हो गई।
बेटे ने कहा कि पिता की जिस परिस्थिति में मौत हुई है, उसे देखते हुए शव नहीं लेने का फैसला परिवार ने किया है। बीएसपी के उच्च प्रबंधन से इस मामले में समाज चर्चा करेगा, इसके बाद अंतिम संस्कार किया जाएगा।
पीडि़त परिवार ने पूरे मामले में मंथन करने के लिए समाज के प्रमुख से चर्चा की है। वे बैठक कर तय करेंगे कि क्या कदम उठाया जाना है। पीडि़त परिवार ने समाज के सामने कहा है कि घर का मुखिया सही सलामत ड्यूटी करने गया और वहां ड्यूटी के दौरान क्या हुआ कि उपचार तक का मौका नहीं मिला। इस स्थिति में परिवार के एक सदस्य को अनुकंपा नियुक्ति नहीं दिया जाना चाहिए क्या। समाज भी इस मामले में पीडि़त परिवार के साथ सुर में सुर मिलाकर बात कर रहा है।
आदिवासी मंडल, भिलाई नगर के उपाध्यक्ष सुदामा नेताम ने कहा कि घटना के बाद पीडि़त परिवार को जिम्मेदार अधिकारियों को सूचना देना चाहिए था। यह उनकी ड्यूटी है। घटना के बाद २४ घंटा बीत रहा, अब तक कोई नहीं आया है। यह रवैया कई तरह के सवाल खड़ा कर रहा है। पीडि़त के सेक्टर-६ स्थित आवास में समाज के पदाधिकारी व विभाग के कर्मचारी भी पहुंचे।
बीएसपी कर्मचारी जब तक जीवित रहता है, यूनियन नेता उसकी हर जगह दौड़-दौड़ कर मदद करते हैं। इसके बदले में उससे यूनियन चुनाव में वोट मिलने की उम्मीद रखते हैं। मौत होने के बाद मुंह मोडऩे से नहीं करतारे। बीएसपी में इस वक्त दर्जनभर यूनियन हैं। वहीं कर्मचारी की मौत के बाद उसके परिवार को ढांढस बांधना था, तो कोई नहीं पहुंचा। यूनियन नेता इस मामले में हाथ डालने से कतरा रहे हैं, वहीं समाज पीडि़त परिवार के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़ा है।
जय कुमार गायकवाड की मौत 3 अगस्त 11 को हुई थी, परिवार ने शव लेने से इंकार कर दिया। 7 अगस्त 11 को कलक्टर ने बीएसपी प्रबंधन को निर्देश दिया कि 25 अगस्त तक मृतक के बेटे को नौकरी दिया जाए। इसके बाद 18 अगस्त को बीएसपी ने नियुक्ति का आवेदन दिया। और 5 अक्टूबर 11 को अनुकंपा नियुक्ति पत्र दिया गया।