उन्होंने पूरे मामले की शिकायत भारतीय इस्पात प्राधिकरण (सेल) की चेयरमैन, निदेशक, राजभाषा केंद्रीय गृह मंत्रालय, राजभाषा प्रमुख व निदेशक प्रभारी भिलाई स्टील प्लांट और संपदा अधिक ारी भिलाई स्टील प्लांट से 18 जनवरी 2021 को की थी। बावजूद कोई पहल नहीं होने पर अपने हाईकोर्ट के अधिवक्ता डॉ. शैलेष आहूजा और संपदा न्यायालय का मामला देख रहे अधिवक्ता जमील अहमद के माध्यम से छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय बिलासपुर में 25 जनवरी 2021 को सेल-बीएसपी के विरुद्ध वाद दाखिल किया था।
मूल वाद की हिंदी में अनुवादित प्रति उपलब्ध कराए बीएसपी
इस मामले में उच्च न्यायालय बिलासपुर ने अपना फैसला सुनाया। न्यायालय ने अपने आदेश में उत्तरवादी को यह निर्देशित किया है कि संपदा अधिकारी के समक्ष मूल वाद की हिंदी में अनुवादित प्रति और अनुलग्नकों (एनेक्सर्स) सहित आगामी पेशी तिथि पर या कोई बढ़ाई गई पेशी तिथि पर प्रस्तुत करें। आगे यह भी कहा है कि याचिकाकर्ता संपदा अधिकारी के समक्ष लंबित कार्यवाही में अनावश्यक स्थगन/विलम्ब नहीं करेगा, यथासंभव शीघ्र निष्कर्ष निकाला जाए।
इस मामले में उच्च न्यायालय बिलासपुर ने अपना फैसला सुनाया। न्यायालय ने अपने आदेश में उत्तरवादी को यह निर्देशित किया है कि संपदा अधिकारी के समक्ष मूल वाद की हिंदी में अनुवादित प्रति और अनुलग्नकों (एनेक्सर्स) सहित आगामी पेशी तिथि पर या कोई बढ़ाई गई पेशी तिथि पर प्रस्तुत करें। आगे यह भी कहा है कि याचिकाकर्ता संपदा अधिकारी के समक्ष लंबित कार्यवाही में अनावश्यक स्थगन/विलम्ब नहीं करेगा, यथासंभव शीघ्र निष्कर्ष निकाला जाए।
राजभाषा का सम्मान बनाए रखने छोटा सा प्रयास
याचिकाकर्ता शर्मा ने कहा है कि आए दिन राजभाषा हिंदी के नाम पर आयोजनों में लाखों रुपए फंूकने वाला भिलाई स्टील प्लांट व्यवहारिक रूप से हिंदी का कितना इस्तेमाल कर रहा है, उच्च न्यायालय के फैसले ने प्रमाणित कर दिया है। यह राजभाषा हिंदी का सम्मान बनाए रखने के प्रति उनका एक छोटा सा प्रयास था।
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याचिकाकर्ता शर्मा ने कहा है कि आए दिन राजभाषा हिंदी के नाम पर आयोजनों में लाखों रुपए फंूकने वाला भिलाई स्टील प्लांट व्यवहारिक रूप से हिंदी का कितना इस्तेमाल कर रहा है, उच्च न्यायालय के फैसले ने प्रमाणित कर दिया है। यह राजभाषा हिंदी का सम्मान बनाए रखने के प्रति उनका एक छोटा सा प्रयास था।
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