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BSP : आपत्तियां दरकिनार, एजेंसी ने सेल प्रबंधन को सौंप दिए ई-जीरो के नतीजे, सितंबर में आएगा परिणाम

locationभिलाईPublished: Aug 29, 2018 09:45:12 pm

Submitted by:

Bhuwan Sahu

सेल ने जुलाई 2018 ई-0 प्रमोशन के लिए परीक्षा ली थी। कॉर्पोरेट ऑफिस ने जिस एजेंसी को परीक्षा कराने की जिम्मेदारी दी थी, उसने सेल ऑफिस को रिजल्ट सौंप दिया है।

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BSP : आपत्तियां दरकिनार, एजेंसी ने सेल प्रबंधन को सौंप दिए ई-जीरो के नतीजे, सितंबर में आएगा परिणाम

भिलाई. स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड (सेल) ने जुलाई २०१८ में ई-0 प्रमोशन के लिए परीक्षा ली थी। कॉर्पोरेट ऑफिस ने जिस एजेंसी को परीक्षा कराने की जिम्मेदारी दी थी, उसने सेल ऑफिस को रिजल्ट सौंप दिया है। प्रबंधन ने अब तक परिणाम घोषित नहीं किया है। उम्मीद की जा रही है कि सितंबर में इसका परिणाम आ जाएगा। इधर दिल्ली हाइकोर्ट में ई-0 पॉलिसी में संशोधन को लेकर सुनवाई २८ सितंबर को होना है। संस्था इसका इंतजार कर रही है। कोर्ट में सेल प्रबंधन अपना पक्ष रखेगा।
डिप्लोमा इंजीनियर्स का राष्ट्रीय संगठन डेफी (डिप्लोमा इंजीनियर्स फेडरेशन ऑफ इस्पात) के लीगल सेल ने ई-0 की परीक्षा से पहले ही पॉलिसी में संशोधन के लिए ११ जुलाई २०१८ को कोर्ट में मामला पुटअप किया। कोल इंडिया में भी २०१० के दौरान प्रमोशन की परीक्षा से पहले इस तरह से विवाद की स्थिति बनी थी। तब कोल इंडिया ने सभी योग्य कर्मियों का प्रमोशन किया था।
संस्था चाहती है कि पिछले २०१२, १४ व १६ में ई-0 परीक्षा नहीं ली गई थी, प्रबंधन इसके बदले में इस बार बैक लॉग को भरे। इससे अधिक कर्मियों का प्रमोशन हो सकेगा। बीएसपी में हर दो साल में कम से कम २५० से ३०० कर्मचारी अधिकारी बन सकते थे। प्रबंधन ने परीक्षा नहीं लिया, इस वजह से वे इससे वंचित रह गए हैं। वे चाहते हैं कि पदों की संख्या को बढ़ाया जाए।
परीक्षा निरस्त करने कर्मचारी कर रहे मांग

बीएसपी के कर्मचारी ई-0 परीक्षा को निरस्त कराने की मांग कर रहे हैं। डिप्लोमा इंजीनियर ने प्रबंधन से मांग किया कि ई-० परीक्षा को निरस्त किया जाए। नए सिरे से फिर परीक्षा ली जाए। उन्होंने कहा कि जब प्रबंधन ने पठन सामग्री उपलब्ध कराई थी, तब सवाल उसके मुताबिक रहना था। सवाल उसके अनुरूप ना पूछ प्रबंधन ने कर्मियों को गुमराह किया है करीब 10 माह से परीक्षा की तैयारी करने वाले कर्मचारी ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं।
अधिक सवाल मॉडेक्स से पूछे

परीक्षा में ज्यादातर सवाल बीएसपी के मॉडेक्स से पूछे गए थे। जिसका जिक्र सिलेबस में नहीं था। इस्पात भवन के कर्मियों ने जो सिलेबस मिला था, उसके मुताबिक तैयारी की। परीक्षा देने बैठे तो यह देखकर हैरान रह गए कि उनसे रेल मिल, कोक ओवन के सवाल पूछे गए हैं।
एक जैसे हो सवाल

कोर्ट में संस्था ने अपना पक्ष रखते हुए कहा है कि परीक्षा देने वाले सभी जब अधिकारी बन रहे हैं, तो सवाल अलग-अलग क्यों पूछे जा रहे हैं। एक जैसे ही सवाल पूछे जाने चाहिए। दिल्ली के लीगल सेल ने तर्क यह भी दिया कि सेल की ही एक यूनिट इस्को में डिप्लोमाधारी या इंजीनियर्स को ही चार्जमेन के तौर पर जिम्मेदारी दी जाती है। आईटीआई धारियों को वहां चार्जमेन नहीं बनाया जाता। जब चार्जमेन नहीं बना रहे हो, तो उसे अधिकारी कैसे बनाया जा सकता है।
जीपीईओ में भी तर्क शक्ति जैसे सवाल

जीपीईओ में कर्मियों को 100 में से 30 सवाल बनाना था। अलग-अलग स्ट्रीम वालों के लिए अलग पाठ्यक्रम थे, लेकिन सारे सवाल आपस में मिक्स कर दिए गए। इस तरह मेंटनेंस इलेक्ट्रिकल वालों को भी पूरे 100 सवाल में से अपने सवाल तलाश करने में वक्त जाया करना पड़ रहा था।
बाहर से पूछे गए सवाल

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