प्रबंधन के खिलाफ 1998 में ही चले गए थे कोर्ट
भिलाई इस्पात संयंत्र के कर्मचारी डीएस मुखोपाध्याय 1998 में हुए डीपीसी में अधिकारी नहीं बने, तो अन्य साथियों के साथ मामला न्यायालय में लेकर गए। तब बीएसपी प्रबंधन ने कर्मचारी से कहा कि न्यायालय से केस वापस लेने पर उनको प्रमोशन मिलेगा।
भिलाई इस्पात संयंत्र के कर्मचारी डीएस मुखोपाध्याय 1998 में हुए डीपीसी में अधिकारी नहीं बने, तो अन्य साथियों के साथ मामला न्यायालय में लेकर गए। तब बीएसपी प्रबंधन ने कर्मचारी से कहा कि न्यायालय से केस वापस लेने पर उनको प्रमोशन मिलेगा।
एक को छोड़ सब ने केस लिए वापस
इस दौरान सभी ने ई-0 में प्रमोशन पाने के लिए केस वापस ले लिए। इसके एवज में उनको प्रमोशन भी प्रबंधन ने दिया। वे अधिकारी के तौर पर काम करने लगे। डीएस मुखोपाध्याय से प्रबंधन ने कहा कि केस वापस ले लो, तो पहले उन्होंने हां कह दिया। वे डीपीसी में क्लीयर हो गए। तब न्यायालय से केस वापस लेने से मना कर दिए। प्रबंधन ने डीपीसी में क्लीयर हुए कर्मचारी का अधिकारी के पद पर प्रमोशन नहीं किया।
इस दौरान सभी ने ई-0 में प्रमोशन पाने के लिए केस वापस ले लिए। इसके एवज में उनको प्रमोशन भी प्रबंधन ने दिया। वे अधिकारी के तौर पर काम करने लगे। डीएस मुखोपाध्याय से प्रबंधन ने कहा कि केस वापस ले लो, तो पहले उन्होंने हां कह दिया। वे डीपीसी में क्लीयर हो गए। तब न्यायालय से केस वापस लेने से मना कर दिए। प्रबंधन ने डीपीसी में क्लीयर हुए कर्मचारी का अधिकारी के पद पर प्रमोशन नहीं किया।
हो गए रिटायर्ड
कंपनी के खिलाफ केस करने वाले डीएस मुखोपाध्याय 10 अक्टूबर 1975 में ज्वाइन किए और 2013 में रिटायर्ड हो गए। इसके बाद भी वे मामले को लेकर न्यायालय में डटे रहे। उन्होंने कोर्ट में हर उस बात को सामने रखा, जिसमें कर्मचारी केस करने के बाद भी, डीपीसी में क्लीयर होने की स्थिति में प्रमोशन पाता है। इसके बाद भी अपने अधिकार को लेकर वह न्यायालय में खड़ा होता है।
कंपनी के खिलाफ केस करने वाले डीएस मुखोपाध्याय 10 अक्टूबर 1975 में ज्वाइन किए और 2013 में रिटायर्ड हो गए। इसके बाद भी वे मामले को लेकर न्यायालय में डटे रहे। उन्होंने कोर्ट में हर उस बात को सामने रखा, जिसमें कर्मचारी केस करने के बाद भी, डीपीसी में क्लीयर होने की स्थिति में प्रमोशन पाता है। इसके बाद भी अपने अधिकार को लेकर वह न्यायालय में खड़ा होता है।
न्यायालय ने यह कहा प्रबंधन से
रिटायर्ड होने के बाद भी प्रबंधन के खिलाफ मुखोपाध्याय लगातार संघर्ष करते रहे। न्यायालय ने प्रबंधन से पूछा कि इनको प्रमोशन क्यों नहीं दिए हैं। इस पर प्रबंधन ने बताया कि कंपनी के खिलाफ कोर्ट में मामला दर्ज किए हैं। मामले को वापस नहीं ले रहे हैं, जिसके कारण प्रमोशन नहीं दिए हैं।
रिटायर्ड होने के बाद भी प्रबंधन के खिलाफ मुखोपाध्याय लगातार संघर्ष करते रहे। न्यायालय ने प्रबंधन से पूछा कि इनको प्रमोशन क्यों नहीं दिए हैं। इस पर प्रबंधन ने बताया कि कंपनी के खिलाफ कोर्ट में मामला दर्ज किए हैं। मामले को वापस नहीं ले रहे हैं, जिसके कारण प्रमोशन नहीं दिए हैं।
प्रमोशन देने न्यायालय ने दिए निर्देश
बिलासपुर हाईकोर्ट ने डीएस मुखोपाध्याय को प्रमोशन देने के लिए प्रबंधन को निर्देश दिए। उनको २००६ से प्रमोशन दिया जाना था। जिसके लिए वे न्यायालय तक गए थे।
बिलासपुर हाईकोर्ट ने डीएस मुखोपाध्याय को प्रमोशन देने के लिए प्रबंधन को निर्देश दिए। उनको २००६ से प्रमोशन दिया जाना था। जिसके लिए वे न्यायालय तक गए थे।
प्रबंधन ने थमाया काल्पनिक प्रमोशन आदेश
हाईकोर्ट से आदेश मिलने के बाद प्रबंधन ने डीएस मुखोपाध्याय को रिटायर्ड होने के बाद 14 मार्च 2019 शर्तों के साथ काल्पनिक प्रमोशन आदेश थमाया। जिसमें यह बातें दर्ज हैं.
– आवश्यकतानुसार संबंधित कार्य क्षेत्र में अपनी ड्यूटी करनी होती तथा विभाग को समय-समय पर सौंपे गए काम का निष्पादन करना होता।
– पदोन्नति के बाद एक साल का प्रशिक्षण अवधि सफलतापूर्वक पूरा करना होता।
– अपने कार्य क्षेत्र में मानवशक्ति का इष्टतम उपयोग सुनिश्चित करना होता।
– अपने कार्य क्षेत्र में सुरक्षा व स्वच्छता बनाए रखना होता व अपनी दक्षता को उन्नत कर, क्षेत्र के समस्त कामों के विषय में और अधिक ज्ञानवर्धन कर अपनी क्षमता में इजाफा करना होता।
– ई-0 ग्रेड में एक साल की समयावधि व संतोषजनक उत्पादन के बाद ई-1 ग्रेड पर प्रमोशन किया जाता।
चूंकि डीएस मुखोपाध्याय 31 जनवरी 2013 से रिटायर्ड हो चुके हैं व कनिष्ठ कार्यपालक का पदभार ग्रहण नहीं कर सके अत: उपरोक्त पदोन्नति कल्पना की दृष्टि से 30 जून 2006 से दी जाती है। नियमानुसार उनका वेतन ई-0 ग्रेड में निर्धारित किया जाएगा।
हाईकोर्ट से आदेश मिलने के बाद प्रबंधन ने डीएस मुखोपाध्याय को रिटायर्ड होने के बाद 14 मार्च 2019 शर्तों के साथ काल्पनिक प्रमोशन आदेश थमाया। जिसमें यह बातें दर्ज हैं.
– आवश्यकतानुसार संबंधित कार्य क्षेत्र में अपनी ड्यूटी करनी होती तथा विभाग को समय-समय पर सौंपे गए काम का निष्पादन करना होता।
– पदोन्नति के बाद एक साल का प्रशिक्षण अवधि सफलतापूर्वक पूरा करना होता।
– अपने कार्य क्षेत्र में मानवशक्ति का इष्टतम उपयोग सुनिश्चित करना होता।
– अपने कार्य क्षेत्र में सुरक्षा व स्वच्छता बनाए रखना होता व अपनी दक्षता को उन्नत कर, क्षेत्र के समस्त कामों के विषय में और अधिक ज्ञानवर्धन कर अपनी क्षमता में इजाफा करना होता।
– ई-0 ग्रेड में एक साल की समयावधि व संतोषजनक उत्पादन के बाद ई-1 ग्रेड पर प्रमोशन किया जाता।
चूंकि डीएस मुखोपाध्याय 31 जनवरी 2013 से रिटायर्ड हो चुके हैं व कनिष्ठ कार्यपालक का पदभार ग्रहण नहीं कर सके अत: उपरोक्त पदोन्नति कल्पना की दृष्टि से 30 जून 2006 से दी जाती है। नियमानुसार उनका वेतन ई-0 ग्रेड में निर्धारित किया जाएगा।
हाई कोर्ट ने कहा तीन माह के भीतर दें अतिरिक्त लाभ
बीएसपी के इस प्रमोशन आदेश को लेकर कर्मचारी फिर से हाई कोर्ट पहुंचा। कर्मचारी ने कहा कि अगर 2006 में उसे ई-0 ग्रेड मिलता, तो वह सभी जिम्मेदारियों को पूरा करता। इस पर चीफ जस्टिस रामचंद्र मेनन ने बीएसपी प्रबंधन से कहा कि कर्मचारी को अधिकारी बनने पर मिलने वाले सारे अतिरिक्त लाभ तीन माह के भीतर दे दिए जाएं। इस तरह से अब प्रबंधन तब से अधिकारी बनने से मिलने वाले पक्र्स समेत अतिरिक्त, लाभ अब देगा।
बीएसपी के इस प्रमोशन आदेश को लेकर कर्मचारी फिर से हाई कोर्ट पहुंचा। कर्मचारी ने कहा कि अगर 2006 में उसे ई-0 ग्रेड मिलता, तो वह सभी जिम्मेदारियों को पूरा करता। इस पर चीफ जस्टिस रामचंद्र मेनन ने बीएसपी प्रबंधन से कहा कि कर्मचारी को अधिकारी बनने पर मिलने वाले सारे अतिरिक्त लाभ तीन माह के भीतर दे दिए जाएं। इस तरह से अब प्रबंधन तब से अधिकारी बनने से मिलने वाले पक्र्स समेत अतिरिक्त, लाभ अब देगा।