भिलाई इस्पात संयंत्र सहित संपूर्ण सेल बिरादरी के लिए यह गर्व का विषय है कि इस मेड इन इंडिया के तहत निर्मित कमोर्टा क्लास की चार 4 जंगी जहाजों के निर्माण में बीएसपी के प्लेट मिल से निर्मित 4700 टन डीएमआर प्लेटों का उपयोग किया गया है। इसके अतिरिक्त 865 टन डीएमआर प्लेट राउरकेला स्टील प्लांट तथा 7200 टन बोकारो स्टील प्लांट से उत्पादित इस्पात का प्रयोग इस महत्वपूर्ण राष्ट्रीय परियोजना में किया गया है। विदित हो कि एक युद्धपोत के निर्माण में लगभग 2500 टन स्टील प्रयुक्त होता है। इससे पूर्व भी बीएसपी व आरएसपी ने युद्धपोत निर्माण के लिए डीएमआर प्लेटों की आपूर्ति की है।
भारतीय सेना प्रमुख जनरल नरवणे ने आईएनएस कावरत्ती को भारतीय नौसेना के सुपुर्द करते हुए कहा कि पनडुब्बी रोधी प्रणाली से लैस ये स्वदेशी युद्धपोत आईएनएस कावरत्ती कई मायनों में बेहद खास है। ये एक स्टील्थवार शिप है यानी ये दुश्मन के राडार की पकड़ में नहीं आ सकता है। इसका डिजाइन डायरेक्टरेट ऑफ नेवल डिजाइन ने तैयार किया था और इसको कोलकाता के गार्डन रिच शिप बिल्डर्स एंड इंजीनियर्स ने तैयार किया है। सेना प्रमुख ने आगे बताया कि यह 90 प्रतिशत स्वदेशी युद्धपोत है। इस युद्धपोत में ऐसे सेंसर भी लगे हैं जो पनडुब्बियों का पता लगाने के साथ-साथ उनका पीछा करने में सक्षम हैं।
भारतीय नौसेना के बेड़े में शामिल आईएनएस-कावरत्ती से दुश्मनों को करारा जवाब मिलेगा। देश की सुरक्षा सुदृढ़ होगी। आईएनएस कावरत्ती की लंबाई 109 मीटर और चौड़ाई 12.8 मीटर है। इसमें 4 डीजल इंजन लगे हैं इसका वजन 3250 टन है। नौसेना में इसके शामिल हो जाने से नेवी की ताकत काफी बढ़ जाएगी। इस ताकत को बढ़ाने में देश के प्रतिष्ठित इस्पात कंपनी सेल की भिलाई इकाई की महत्वपूर्ण भूमिका रही है।