सेल ने अपनी वित्तीय स्थिति सुधारते हुए 2018 के पहले तिमाही में कर पूर्व लाभ 827 करोड़ व शुद्ध लाभ 540 कमाया है। सेल देश की कंपनी की फेहरिस्त में ६वें पायदान पर है। केंद्र सरकार के निर्देश में जो बोनस सीमा है वह 21,000 तक अनिवार्य रूप से है, उसे यूनियन चाहे तो बढ़ा सकती है। जिस तरह टाटा स्टील और एनएमडीसी में दिया जाता है।
कार्मिक मुद्दों पर गंभीर नहीं यूनियन इस्पात श्रमिक मंच के सर्वजीत सिंह ने कहा की बोनस को लेकर एनजीसीएएस यूनियन गंभीर नहीं है। पिछले 5 मार्च को सभी यूनियनों के प्रदर्शन के बावजूद अब तक सेल ने कोई बैठक नहीं बुलाई है। अब बोर्ड मीटिग में चर्चा के बाद चेयरमैन को लेटर लिखा जा रहा है। इस्पात कर्मी 2007 वेतनमान के भत्तों पर काम करने मजबूर हैं। वहीं पिछले 15 साल में 3 बोनस का नुक्सान भी कर्मी उठा चुके है। कर्मियों को 2005 ल 2015 में बोनस की जगह एडवांस पकड़ा दिए वहीं 2013 में गणना परिवर्तन के कारण एक साल के बोनस का नुक्सान हुआ। कर्मियों को कम से कम 32,000 रुपए बतौर एक्सग्रेसिया देने मांग की है, इस संबंध में मांग पत्र भी सौंपा गया।
लाभ नहीं मिला संयुक्त यूनियन का कहना है कि सेल में बोनस के रूप में मिलने वाली राशि की गणना का आधार क्या है, यह कर्मचारियों को नहीं मालूम है। 2012 से 2014 तक मुनाफा में रहे, तब बोनस समान रहा। वहीं 2015 में 2093 करोड़ के लाभ के बाद एडवांस के रूप में 9000 दिए। पिछले साल 11000 रुपए बोनस दिया। मांग करने वालों में इस्पात श्रमिक मंच छत्तीसगढ़ मजदूर संघ से राजेश अग्रवाल, सीताराम साहू, छत्तीसगढ़ मजदूर संघ से अखिल मिश्र व आर रज्जी नायर शामिल हैं। सेल देश की कंपनी की फेहरिस्त में ६वें पायदान पर है। केंद्र सरकार के निर्देश में जो बोनस सीमा है वह 21,000 तक अनिवार्य रूप से है, उसे यूनियन चाहे तो बढ़ा सकती है। जिस तरह टाटा स्टील और एनएमडीसी में दिया जाता है।