केंद्रीय ट्रेड यूनियनों ने 20 फीसदी मिनिमम गारंटेड बेनिफिट (एमजीबी) और 35 फीसदी पक्र्स की मांग की है। अपने प्रस्ताव का चार्टर ऑफ डिमांड संयुक्त यूनियन की तरफ से सेल प्रबंधन को पहले ही सौंपा जा चुका है। यूनियन नेताओं की माने तो इस बार बैठकों का दौर पर दौर नहीं चलेगा। दो-तीन वार्ता में ही सार्थक चर्चा करते हुए वेतन पुनरीक्षण के मसौदे को अंतिम रूप दे दिया जाएगा।
1. वित्तीय वर्ष 2019-20 में सेल ने 3170.66 करोड़ रुपए कर पूर्व लाभ व 2022 करोड़ शुद्ध मुनाफा कमाया।
2. सेल ने वित्तीय वर्ष 2019-20 में न केवल उत्पादन, उत्पादकता बल्कि विक्रेय में भी उल्लेखनीय प्रदर्शन किया।
3. भारत में सबसे ज्यादा क्रूड स्टील का उत्पादन कर कंपनी नंबर वन पर है। साथ ही इस्पात बनाने की सामग्री के लिए सबसे बड़ा खननकर्ता भी।
4. सेल ने भारतीय रेलवे को आर-260 प्राइम रेल की पहली रेक रवाना की।
5. सेल देश में फायर रेसिस्टेंट स्ट्रक्चरल स्टील विकसित करने वाला पहला स्टील उत्पादक बन गया है।
लगातार दो साल वित्तीय वर्ष 2016-17 व 2017-18 में घाटे में रहने के बाद अब सेल बीते दो वर्ष से मुनाफे में है। वर्ष 2018-19 में 2179 और अब 2019-20 में 2022 करोड़ मुनाफा कर पश्चात हुआ है। बीते तीन का साल का कर पूर्व लाभ करीब 1759 करोड़ है। जिसका 20 प्रतिशत करीब 300 करोड़ होता है। इसे देखते हुए माना जा रहा है कि अब वेतन समझौता लगभग तय है।
वार्षिक वित्तीय परिणाम में जो मुनाफा सेल को हुआ है, उसका अंतिम आय-व्यय का हिसाब कैबिनेट कमेटी की ओर से जारी बैलेंस सीट से होगा। बताया जाता है कि बैलेंस शीट सरकार के पास भेज दी गई है। वहां से जवाब आते ही वेतन समझौता के लिए एनजेसीएस की बैठक की तारीख तय हो जाएगी।
संयंत्र बिरादरी में चर्चा है कि सेल को संकट से उबारने में चेयरमैन अनिल कुमार चौधरी की बड़ी भूमिका रही है। उनके कुशल नेतृत्व क्षमता के कारण सेल कठिन दौर से उबरकर मुनाफे पर आया है। वे दिसंबर 2002 मेंं अपने पद से रिटायर हो जाएंगे। इससे पहले वे वेतन समझौते को अंतिम रूप दे जाएंगे।
ईकाई- 2016-17/2017-18/2018-19/2019-20
बीएसपी-2-646-509-1799
डीएसपी-(-)951-(-) 270-279-(-)442
आरएसपी- (-)1357-(-)180-1472-(-)409
बीएसएल-(-)203-526-1916-48
इस्को-(-)1946-(-)988-(-)402-(-)1092
अन्य इकाइयां- (-)395-(-)492-(-)436-3267
सेल कर पूर्व-(-)4850-(-)758-3338-3171
सेल कर- (-)1663-(-)276-1159-1149
सेल कर पश्चात-(-)3187-(-)482-2179-2022 वेतन समझौता हो, सौदेबाजी नहीं
अफोर्डेबिलिटी क्लाज के आधार पर वेतन समझौता नहीं होना चाहिए। इसमें कंपनी के लगातार तीन साल मुनाफे के औसत का 20 फीसदी ही राशि देय होगी। इसके अलावा आगामी तीन साल तक फिर कंपनी मुनाफे में रहनी चाहिए नहीं तो समझौता वापस भी लिया जा सकता है। मजदूर निर्माण करता है। वह देश को गढ़ता है। मुनाफे के आंकड़े से उनके परिश्रम को आंकना गलत है। वेतन समझौता होना चाहिए, सौदेबाजी नहीं।
डीवीएस रेड्डी, सीटू नेता