कुछ समय बाद पापा ने कहा कि यदि खेलना ही है तो एकेडमी ज्वॉइन कर लो। बस वहीं से मेरे खेल की शुरुआत हुई। एकेडमी में पहले में टेनिस बॉल से खेलती थी, फिर मेरे कोच बैनजीं सर ने कहा कि तुम लेदर बॉल से खेलो और मध्यप्रदेश की सीनियर वुमन टीम के साथ खेलो। मैं 5 साल से प्रोफेशनली क्रिकेट खेल रही हूं।
बहन व टीचर ने किया सपोर्ट
खेल के साथ पढ़ाई भी उतनी ही जरूरी थी। इसमें मेरी बड़ी बहन और मेरे टीचर्स ने बहुत सहयोग किया। मेरी बहन हमेशा मेरे साथ होती थी। कोविड के कारण क्रिकेट में थोड़ा उतार- चढ़ाव हुआ है, लेकिन अब वुमन क्रिकेट को इतना सपोर्ट मिल रहा कि लड़कियां अब इसमें करियर बनाने का सोच रही हैं।
यह भी पढ़ें: छत्तीसगढ़ी फिल्म ‘नवा बिहान’ में बीजापुर की बालिकाओं ने निभाया किरदार, गोंडी गीत को भी दी आवाज़
अच्छे प्लेयर के पीछे होता है कोच
शिवानी टी. कहती हैं कि मैं जब खेलती थी उस समय छत्तीसगढ़ को मान्यता नहीं मिली थी। इस कारण मध्यप्रदेश की सीनियर टीम के साथ खेलना मेरा सपना था। जब पहली ही बार में नेशनल खेलने का मौका मिला तो फर्स्ट 11 में खेलना चाहती थी मैं नई थी, इस कारण लग रहा था कि मौका मिले या न मिले, लेकिन मुझे मौका मिला और वहां से मेरा आत्मविश्वास बढ़ा। मैंने टी 20 सीनियर वुमन मैच खेले। वनडे भी खेला है। रणजी मैच खेले हैं। एक अच्छे प्लेयर के पीछे उसका कोच होता है। भारत में तो क्रिकेट का बहुत क्रेज है।