अभी तक 8वीं तक स्कूल चलाने बोर्ड से मान्यता लेने की जरूरत नहीं होती थी। सिर्फ राज्य शिक्षा संचालनालय से ही मंजूरी लेकर काम चल जाया करता था। दरअसल, बोर्ड की मान्यता के बिना ही स्कूल सीबीएसई पैटर्न लिखकर छात्रों को प्रवेश दे दिया करते थे। जिले में ऐसे कई स्कूल चल रहे हैं, जिनमें सिर्फ 8वीं तक ही पढ़ाई कराई जाती है। ऐसे में पालक यह सोचकर बच्चे का प्रवेश कराता था कि बच्चे को स्कूल नहीं बदलना होगा, लेकिन बाद में उनके सामने बड़ी मुश्किल खड़ी हो जाती।
ऐसे ही कुछ पालकों ने सीबीएसई से इस मामले में गुहार लगाई है, जिसके बाद बोर्ड ने कहा है कि अब बिना मान्यता और संबद्धता 8वीं तक स्कूलों का संचालन नहीं किया जा सकेगा। बोर्ड ने स्कूलों को मान्यता लेने पहले 31 मार्च तक मौका दिया था, लेकिन गली-मोहल्लों में चलने वाले इन स्कूलों ने अमल नहीं किया। स्कूलों ने अपने ब्रोशर व इस्तेहार में बोर्ड का नाम इस्तेमाल किया, जबकि इनके पास मान्यता नहीं थी।
8वीं तक स्कूल चलाने के लिए सीबीएसई से मान्यता लेने का यह नियम इसी साल से लागू कर दिया गया है। बोर्ड के मुताबिक पहले 9वीं से 12 तक के लिए ही सीबीएसई बोर्ड से संबद्धता मिलती थी। इसके बाद स्कूल को 8वीं में छात्रों के उत्तीर्ण होने के बाद ऑनलाइन आवेदन करना होता था।
जिसे दुर्ग जिले के स्कूल संचालकों ने कभी आगे नहीं बढ़ा सके।