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CRPF ने अचानक इस शहर के बीच में तंबू लगाकर कहा ये हमारी जमीन, सशस्त्र जवान किया तैनात

locationभिलाईPublished: Oct 13, 2018 04:21:44 pm

Submitted by:

Dakshi Sahu

केन्द्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) ने गृह मंत्रालय के आदेश पर नेहरू नगर की भूमि का सर्वे शुरू कर दिया है। रिक्त भूमि को पजेशन में लेने का निर्णय लिया है।

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CRPF ने अचानक इस शहर के बीच में तंबू लगाकर कहा ये हमारी जमीन, सशस्त्र जवान किया तैनात

भिलाई. भिलाई की बहुचर्चित पॉश कॉलोनी नेहरू नगर के भूखंड आवंटन में गड़बड़ी की परतें अब खुलेंगी। विशेष विकास क्षेत्र प्राधिकरण (साडा) कार्यकाल में जमीन का बंदरबाट करने वाले बेनकाब होंगे। केन्द्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) ने गृह मंत्रालय के आदेश पर नेहरू नगर की भूमि का सर्वे शुरू कर दिया है। रिक्त भूमि को पजेशन में लेने का निर्णय लिया है।
फिलहाल जवानों ने नेहरू नगर कॉलोनी क्षेत्र की लगभग पांच एकड़ रिक्त भूमि को पजेशन में लिया है। यहां जवानों की एक प्लॉटून ने स्टील कॉलोनी दुर्ग के रास्ता के किनारे से इसाई कब्रस्तान की बाउंड्रीवॉल तक कांटा तार से घेरा बंदी भी कर दी है। कब्रस्तान और पेट्रोल पंप के बाजू में रिक्त भूमि को भी आधिपत्य में लेने की तैयारी चल रही है।
बनेगा ट्रेनिंग सेंटर
सीआरपीएफ के उच्च अधिकारियों का कहना है कि भिलाई एजुकेशन सिटी है। इसलिए यहां जवानों के परिवार के लिए आवास बनाया जाएगा। ताकि उनके बच्चों को अच्छी शिक्षा मिल सके। टे्रनिंग सेंटर भी बनाया जाएगा। जहां जवानों को प्रशिक्षण दिया जाएगा। उनका यह भी कहना है कि इलेक्शन ड्यूटी करने वाले जवानों को वहीं पर ड्रील की ट्रेनिंग दी जाएगी। जवानों के पहुंचने से पहले व्यवस्था की जाएगी।
232.02 एकड़ जमीन का है मामला
बीएसपी ने 18 अप्रैल 1972 राजस्व मंडल आमदी, पटवारी हल्का नंबर-२२ खसरा नंबर ३४ के २३२.०२ एकड़ जमीन सीआरपीएफ को बेची। तत्कालीन बटालियन के अधिकारियों ने जमीन के एवज में बीएसपी को २,१९,२३६ रुपए भी दिए। जवानों का एक प्लॉन भिलाई आया। यहां कुछ दिन रहे। फिर वापस चले गए। लेकिन जमीन सीआरपीएफ के नाम हस्तांतरण नहीं हुआ।
जब 2014 में जमीन के बारे में सेंट्रल जोन कोलकाता के विशेष पुलिस महानिदेशक से सेक्टर मुख्यालय छत्तीसगढ़ के 222 वीं बटालियन के कमांडेंट को आदेश जारी हुआ। तब महानिदेशक जमीन देखने भिलाई पहुंचे, तो वे भी आवंटित जमीन पर छोटे-छोटे प्लॉट, भवन देख कर दंग रह गए। इसके बाद से सीआरपीएफ और बीएसपी के बीच जमीन को लेकर पत्राचार चल रही है।
232.02 एकड़ जमीन घोटाला इसाई समाज की ओर से नेहरू नगर में क्रबिस्तान के लिए आवंटित के बाजू में मसीही सामुदायिक विकास केन्द्र की स्थापना के लिए दो एकड़ जमीन की मांग की। मध्यप्रदेश शासन ने जमीन आवंटन के आदेश भी दिए। लेकिन निगम में कब्रस्तान की जमीन रिकॉर्ड नहीं होना बताया। तब मसीही समाज के अशोक भेलवा ने सूचना के अधिकार से बीएसपी से कब्रस्तान की जानकारी मांगी। बीएसपी ने दस्तावेज और नक्शा में २३२ एकड़ जमीन को सीआरपीएफ को बेचे जाने की जानकारी दी।
कई बार लिखे पत्र नहीं दिया जवाब
पुलिस उप महानिरीक्षक प्रदीपचंद्र ने जमीन हस्तांतरण की प्रक्रिया के लिए २४ अक्टूबर 2013, 25 नवंबर 13 और मार्च 2014 में कमांडेंट, छग शासन के अवर सचिव, आइजी, पुलिस रेंज मुख्यालय रायपुर और बीएसपी के महाप्रबंधक को पत्र लिखा। सीआरपीएफ को आवंटित जमीन का हस्तांतरण की प्रक्रिया शुरू करने कहा।
कलेक्टर से भी शिकायत की
अशोक भेलवा ने 2011-12 में तात्कालीन कलेक्टर रीना बाबा साहेब कंगाले से शिकायत की। शिकायत पर कलेक्टर ने तात्कालीन एसडीएम खान, तहसीलदार से जांच कराई। लेकिन शिकायतकर्ता को जमीन बीएसपी से साडा को कब स्थानांतरित हुआ। इसकी जानकारी सूचना के अधिकार में मांगे जाने पर भी नहीं दी गई।
1972 से 1998 तक 4038 प्लॉट काटे गए
जमीन में गड़बड़ी का खेल 1972 से शुरू होकर 1998 तक चली। 18 अप्रैल 1972 को सीआरपीएफ ने जमीन क्रय किया था। इसी दिन बीएसपी को नगद भुगतान किया था। नेहरू नगर पूर्व और पश्चिम में कुल 4038 प्लॉट काटे गए। पूर्व में 1500 से 10 हजार वर्ग फीट तक के प्लॉट काटे गए। पूर्व में कोसानगर की सीमा तक कुल 2000 प्लॉट। इसी तरह पश्चिम में 2038 प्लॉट काटे गए।
अब खुल रही है गड़बड़ी की परतें
खसरा नंबर 34 की 232.02 एकड़ जमीन आवंटन गड़बड़ी की परत दर परत खुल रही है। राजस्व रिकॉर्ड में जमीन बीएसपी की है। नेहरू नगर क्षेत्र की जमीन बीएसपी से साडा को कब हस्तांतरण किया गया। इस संबंध में कोई राजस्व रिकार्ड नहीं है। यह तथ्य १२ मार्च 2013 को पटवारी की ओर से तहसीलदार को सौंपे गए जांच प्रतिवेदन से स्पष्ट है।
बीएसपी का मौन, साडा के लिए बनी ताकत
राजस्व रिकॉर्ड में जमीन का मालिक बीएसपी है। बावजूद बीएसपी के अधिकारी चुपचाप बैठे रहे। बीएसपी के अधिकारियों की इसी मौन से साडा, विघटन के बाद निगम के अधिकारियों को ताकत मिलती रही। जमीन आवंटन में बंदरबाट करते रहे।
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