भिलाई

CG महिला आयोग की अध्यक्ष का बड़ा बयान, शादीशुदा का घर उजाडऩे वाली महिला का आयोग नहीं देगा साथ

पुरुष भी दूसरी शादी कर खुद को बचाने लीव इन शब्द का इस्तेमाल हथियार के रूप में करने लगे हैं, लेकिन जब बात सबूतों पर होती है तो सच्चाई सामने आ ही जाती है।

भिलाईJan 23, 2021 / 05:17 pm

Dakshi Sahu

CG महिला आयोग की अध्यक्ष का बड़ा बयान,शादीशुदा का घर उजाडऩे वाली महिला का आयोग नहीं देगा साथ

दुर्ग. छत्तीसगढ राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष डॉ. किरणमयी नायक ने शुक्रवार को जिला पंचायत के सभा कक्ष में मामलों की सुनवाई की। एक मामले में पीडि़ता की शिकायत पर उसके पति को कान पकड़कर खड़ा रहने की सजा दे दी। एक प्रकरण में पहली पत्नी के रहते हुए दूसरा विवाह करने और पहली पत्नी को मानसिक व शारीरिक प्रताडऩा करने के माामले को आयोग ने गंभीरता से लिया। सुनवाई के दौरान पीडि़ता के पति ने आयोग की अध्यक्ष से भी बद्तमीजी की। जिसके बाद डॉ. नायक ने उसे सजा देकर कान पकड़कर आयोग के उठने तक खड़ा रखा। उन्होंने तत्काल कार्रवाई करते हुए अनावेदक पति को महिला थाने के सुपुर्द करने की कार्रवाई की और पीडि़ता की ओर से दर्ज एफआईआर में एक और धारा जोडऩे की नोटशीट भेजी और महिला थाने को जांच कर 1 माह के अंदर रिपार्ट प्रस्तुत करने कहा। आयोग के सामने कुल 27 प्रकरण आए जिसमें 16 प्रकरणों पर सुनवाई कर नस्तीबद्ध किया गया। उन्होंने सुनवाई के दौरान कहा कि महिला आयोग का उद्देश्य पीडि़त महिला को उचित न्याय दिलाकर सम्मानपूर्वक जीवन यापन करने की राह प्रशस्त करना है।
11 सहायक प्राध्यापकों की सुनवाई टली
भिलाई महिला महाविद्यालय की 11 सहायक प्राध्यपकों की शिकायत पर भी सुनवाई हुई,लेकिन कॉलेज के सभी ट्रस्टी की अनुपस्थिति में अध्यक्ष ने उन्हें एक साथ मौजूद होने या अगली सुनवाई में वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए अपना पक्ष रखने को कहा है। इन प्राध्यापकों ने शासन के आदेश के विरूद्ध समय से पहले ही सेवानिवृत्त किए जाने के मामले में शिकायत की है। राज्य शासन के आदेश अनुसार सेवानिवृत्ति की आयु 65 वर्ष किया गया है लेकिन उन्हें 60 वर्ष में ही सेवानिवृत्त कर दिया गया है। इस अवसर पर तुलसी साहू, नीलू ठाकुर, शमीम रहमान शासकीय अधिवक्ता सहित महिला एवं बाल विकास के अधिकारी एवं कर्मचारी एवं पुलिस प्रशासन के लोग मौजूद थे।
आयोग ऐसी महिला का साथ नहीं देगा जो अपने फायदे के लिए पुरुष की पहली पत्नी का घर उजाड़े
आयोग की अध्यक्ष डॉ किरणमयी ने कहा कि सुनवाई के दौरान अधिकांश मामलों में लीव इन के आते हैं। पाश्चात्य संस्कृति को अपनाकर लोग लीव इन में रहते है, लेकिन लड़कियां शादी का दबाव बनाने लगती है। जबकि वह जानती है कि वह पुरुष पहले से शादीशुदा है। विदेशों में लीव इन का मतलब जब तक मन हो साथ रहना फिर अलग हो जाना है, लेकिन यहां इस मामले में 376 तक के मामले दर्ज हो जाते हैं। भले ही दोनों के बीच आपसी सहमति से संबंध बने हों।
लीव इन को बना रही हथियार
आयोग की अध्यक्ष ने कहा कि कानून सबसे लिए है, लेकिन आयोग कभी ऐसी महिला का साथ नहीं देगा जो अपने फायदे के लिए पुरुष की पहली पत्नी का घर उजाडऩे की बात कहे। उन्होंने कहा कि पुरुष भी दूसरी शादी कर खुद को बचाने लीव इन शब्द का इस्तेमाल हथियार के रूप में करने लगे हैं, लेकिन जब बात सबूतों पर होती है तो सच्चाई सामने आ ही जाती है। अपने पांच महीने के कार्यकाल के बारे में बताया कि अब तक 50 बैठक में 11 सौ से अधिक मामलों की सुनवाई हो चुकी है। इनमें से कुछ ऐसे मामले हैं जिमसें आयोग ने पहली बार कुछ अलग निर्णय लिए। जल्द ही आयोग अपने कार्यो का विस्तार कर महिआओं में जागरूकता लाने विधिक सेवा प्राधिकरण को भी अपने साथ जोड़ेगा।
Copyright © 2024 Patrika Group. All Rights Reserved.