बीएसपी के ठेका श्रमिकों को बुनियादी सुविधा भी नहीं मिल रही है। संयंत्र प्रबंधन ने इसके लिए अब तक कोई विशेष पहल नहीं किया। अफसरों की ओर से अगर इस दिशा में कोई प्रयास होता, तो उससे श्रमिकों के हाथ में न्यूनतम वेतन, एडब्ल्यूए की राशि, पीएफ पर्ची, ईएसआई का कार्ड होता। श्रमिकों के साथ ऐसा हुआ नहीं है।
ठेका श्रमिकों से प्रबंधन स्थाई नेचर के काम करवा रहा है। यह कार्य नियमित कर्मियों से करवाया जाना है। संयंत्र में श्रमिकों को सफाई वैगरह जैसे काम के लिए रखा गया है। अब लोको चलाने से लेकर क्रेन ऑपरेटिंग तक वे ही कर रहे हैं। इसके बाद भी उनके हाथ में न्यूनतम वेतन तक नहीं आ रहा है। नियम से इस तरह के श्रमिकों को एस-1 ग्रेड के मुताबिक वेतन का भुगतान करना है।
ठेका श्रमिकों को लेकर बीएसपी में होने वाले तमाम आंदोलन पर प्रबंधन को खामोश रहना पड़ता है। आईआर विभाग भी इस विषय पर खुलकर बात नहीं करता। असल में ठेकेदार नौकरी के नाम पर श्रमिकों से कोरे कागज पर हस्ताक्षर करवाने के बाद वेतन थमा देता है। बीएसपी के उन अधिकारियों को इसकी जानकारी होती है, जो ऑपरेटिंग अथॉरिटी होते हैं।
प्रदर्शनकारियों के मुताबिक ठेका श्रमिकों को सिर्फ कागजों में बोनस थमा दिया जाता है। असल में श्रमिकों को 500 से 2000 रुपए तक वैसे ही ठेकेदार दे देते हैं। यह सब कुछ प्रबंधन की जानकारी में हो रहा है। इन सभी मामलों को लेकर संयुक्त यूनियन ने बीएसपी आईआर का घेराव किया है।