scriptसेल के नए चेयरमैन के सामने क्या है सबसे बड़ी चुनौती, अाओ जाने | Challenge to bring all units of SAIL into profits | Patrika News

सेल के नए चेयरमैन के सामने क्या है सबसे बड़ी चुनौती, अाओ जाने

locationभिलाईPublished: Sep 22, 2018 11:07:22 pm

Submitted by:

Abdul Salam

सेल चेयरमैन अनिल कुमार चौधरी ने सेल अध्यक्ष का कार्यभार ग्रहण करने के बाद पत्रिका से खास चर्चा के दौरान यह बात कही।

BHILAI

BHILAI

भिलाई. स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड (सेल) को मुनाफे में लाना है। इसके लिए हर यूनिट में उत्पादन बढ़े, इस दिशा में काम करना होगा। सोमवार को सेल के तमाम इकाइयों के सीईओ से चर्चा किया जाएगा। इसके बाद हर दिशा में रणनीति तय की जाएगी।
सेल चेयरमैन अनिल कुमार चौधरी ने सेल अध्यक्ष का कार्यभार ग्रहण करने के बाद पत्रिका से खास चर्चा के दौरान यह बात कही। उत्पादन बढ़ाने किस तरह की रणनीति अपनाई जाएगी। इस सवाल पर उन्होंने कहा कि सेल और यूनिटों के मध्य बेहतर तालमेल से काम किया जाएगा, आगे बढऩे के लिए सभी को लेकर चलने की योजना है। मन मुटाव एक दूसरे के बीच न रहे, इस पर खास ध्यान देंगे।
हर मामले का निकाला जाएगा हल
कर्मियों के बोनस के मसले पर पूछने पर उन्होंने कहा कि हर मामले का हल निकाला जाएगा। कर्मचारी हमारा परिवार है, उनकी हर समस्या परिवार के बीच की समस्या है।
कनिष्ठ प्रबंधक के तौर पर किया ज्वाइन
चौधरी ने दिल्ली विश्वविद्यालय से स्नातक की पढ़ाई पूरी करने के बाद वर्ष 1984 में कनिष्ठ प्रबन्धक (वित्ता व लेखा) के रूप में सेल के नई दिल्ली स्थित निगमित कार्यालय से अपने करियर की शुरुआत की। प्रमोशन पाते हुए उन्हें 2010 में सेल के बोकारो इस्पात संयंत्र के कार्यपालक निदेशक (वित्त व लेखा) की बड़ी भूमिका दी गई। वर्ष 2011 की शुरुआत में वह सेल के निदेशक (वित्त) बनकर सेल के नई दिल्ली स्थित निगमित कार्यालय लौट आए।
अहम विभाग को संभाला
सेल निगमित कार्यालय में उन्होंने लंबे कार्यकाल के दौरान ट्रेजरी और बैंकिंग परिचालन, विदेशी मुद्रा प्रबंधन, पूंजीगत बजट, लागत और संचालन बजट, वित्तीय सहमति और केंद्रीकृत ग्रेच्युटी और सुपरन्यूएशन फंडों के प्रशासन में अहम योगदान दिया।
सेल के कायाकल्प करने में दिया योगदान
चौधरी ने सेल के वित्त निदेशक के रूप में लागत कम करने, संसाधनों के अनुकूलतम उपयोग को बढ़ावा देने और विवेकपूर्ण वित्तीय उपयोग लागू करने जैसे रणनीतिक कदम उठाए, जिनसे सेल का कायाकल्प करने में महत्वपूर्ण मदद मिली। इसके साथ वैश्विक इस्पात बाजार आर्थिक मंदी से गुजर रहा था और कोकिंग कोल की कीमतें लगातार बढ़ रही थीं, तब कंपनी को आर्थिक मजबूती की ओर अग्रसर करने में उन्होंने वित्तीय सूझ-बूझ की अतुलनीय भूमिका रही है।
वित्तीय व व्यापार प्रबंधन के अंतरराष्ट्रीय कार्यक्रम में हुए शामिल
इंस्टीट्यूट ऑफ कॉस्ट एकाउंटेंट्स ऑफ इंडिया (आईसीएआई) और इंस्टीट्यूट ऑफ कंपनी सेक्रेटरीज ऑफ इण्डिया के एसोसिएट सदस्य चौधरी फैकल्टी ऑफ लॉं स्टडीज के पूर्व छात्र हैं। जहां से उन्होंने कानून में स्नातक किया है। इसके अलावा, उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय के फैकल्टी ऑफ मैनेजमेंट स्टडीज से कार्मिक प्रबंधन में स्नातकोत्तर डिप्लोमा हासिल किया है। वे वित्तीय और व्यापार प्रबंधन के राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय कार्यक्रमों में शामिल हुए हैं।
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो