लोन से लेकर ऑडिट तक पड़ेगा असर जैन ने बताया कि अब तक सीए केवल अपनी सील और हस्ताक्षर से ही किसी दस्तावेज को प्रमाणित करता था। बाजार में नकली सील बनने से कई थर्ड पार्टियां स्वयं ही सर्टिफिकेट जारी करके फर्जी वित्तीय लाभ प्राप्त कर लेती थी, वहीं कुछ स्थितियों में सीए भी ऐसे सर्टिफिकेशन जारी करके अन्य को अनुचित लाभ पहुंचाते थे। बैंंक में लोन लेने के लिए सीए का सर्टिफिकेट महत्वपूर्ण होता है। ऐसे में कइयों ने सीए के फर्जी सर्टिफिकेट लगाकर बड़े लोन हासिल कर लिए। जीएसटी सहित अन्य करों में चोरी के लिए फर्जी सर्टिफिकेट का इस्तेमाल किया जाता है। ऑडिट में भी गबन को छिपाने के लिए जाली सर्टिफिकेट उपयोग में लाए जाते रहे हैं। यूडीआइएन के बाद सीए की फर्जी प्रेक्टिस बंद हो जाएगी।
ऑनलाइन जारी होगा सीए की ओर से जारी प्रमाण-पत्र को अब यूनिक आइडी नम्बर देना होगा, जिससे अन्य लोगों द्वारा जारी फर्जी प्रमाण-पत्र की जांच आसानी से हो पाएगा। यूनिक आइडी नम्बर ऑनलाइन जारी होगा जो प्रत्येक दस्तावेज के लिए यूनिक होगा।
इसलिए उठाया कदम सीए पी के जैन ने बताया कि दी इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड एकाउंटेंट ऑफ इंडिया (आइसीएआइ) ने पीएनबी घोटाले के मामले में सीए की कथित भूमिका सामने आने के बाद यह कदम उठाया है। सीए द्वारा अब कोई भी सर्टिफिकेट जारी करने से पहले उसे पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन करना होगा। इसमें प्रत्येक सर्टिफिकेट के प्रमाणीकरण के लिए विशेष आईडी नम्बर जारी होंगे, जो पूरे देश में किसी दस्तावेज के लिए यूनिक होंगे। इससे सीए द्वारा जारी किसी भी दस्तावेज की प्रमाणिकता पूरे देश में होगी। सीए के नाम व उसकी सील की आड़ में कोई भी व्यक्ति फर्जी सर्टिफिकेट नहीं बना सकेंगे।