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Breaking news चेतन और किशन की बीमारी ने बिगाड़ी गांव की फिजा, शतप्रतिशत वेक्सीनेशन की योजना पर फिरा पानी

locationभिलाईPublished: Jun 11, 2021 11:25:57 pm

Submitted by:

Abdul Salam

अब सरपंच और मितानिन का लोगों को भरोसा दिलाने में छूट रहा पसीना.

Breaking news चेतन और किशन की बीमारी ने बिगाड़ी गांव की फिजा, शतप्रतिशत वेक्सीनेशन की योजना पर फिरा पानी

Breaking news चेतन और किशन की बीमारी ने बिगाड़ी गांव की फिजा, शतप्रतिशत वेक्सीनेशन की योजना पर फिरा पानी

भिलाई. ग्राम पीपरछेड़ी में बरगद के करीब सौवा सौ साल पुराने पेड़ के करीब हम इस वक्त मौजूद हैं। यहां की आबादी 1235 के करीब है। गांव के सरपंच बाल किशन ठाकुर और मितानिन घर-घर पहुंचकर लोगों को आवाज दे रहे हैं। गांव में रहने वाली एक 51 साल की महिला घर से बाहर निकल कर देखा, सरपंच ने पूछा कोरोना का टीका लगवाया। महिला ने कहा नहीं लगवाए हैं और लगवाएंगे भी नहीं। पत्रिका ने महिला से जब टीका नहीं लगवाने का कारण पूछा तो उसने बताया कि करीब में रहने वाले दो लोगों ने कोरोना के टीके का पहला डोज लगवाया और दोनों ही बीमार पड़ गए। इसकी पड़ताल करने पर साफ हुआ कि यह दो लोग बीमार जरूर हुए थे, लेकिन इसके पीछे टीका वजह नहीं थी। विशेषज्ञों ने भी बताया कि बुखार आने पर उसके लिए दवा लिया जा सकता है। टीका से इसके अलावा कोई तकलीफ नहीं होती। ऐसे लोगों की काउंसलिंग करने की जरूरत होती है।

पीपरछेड़ी में पहला डोज लगाते ही दो हुए बीमार
इसके बाद हम पीपरछेड़ी में रहने वाले चेतन राम के घर तक पहुंचे, उन्होंने बताया कि उनका मूल काम बकरी चराना है। 45 प्लस का टीकाकरण जिस वक्त शुरू किए, तब तमाम लोगों की तरह वे भी जाकर टीका लगवा लिए। वहां किसी ने पूछा नहीं कि शुगर की शिकायत है क्या, इस वजह से किसी को बताया भी नहीं। टीका लगवाने के बाद घर लौटे, रात में ठंड देकर बुखार आया। पेचिस होने लगी। हाफने जैसे लग रहा था। परेशान होकर अगले दिन रसमड़ा के सरकारी अस्पताल गए, वहां डॉक्टर हाथ लगाने तैयार नहीं था।

निजी अस्पताल का किया रुख
तबीयत अधिक बिगड़ रही थी, तब मजबूरी में निजी अस्पताल गए। वहां स्लाइन लगाए, दवा दिए। सांस लेने में दिक्कत हो रही थी, तब भाप भी दिए। शुगर चेक किए तो लगातार बढ़ रहा था। तीन गुना से अधिक बढ़ चुका था। करीब एक माह तक दवा, पानी किए। निजी अस्पताल में करीब 16 हजार रुपए से अधिक खर्च हुआ। तब जाकर तबीयत सामान्य हुई। सरपंच ने बताया कि यह सच है कि वैक्सीन लगवाने के बाद चेतन राम की तबीयत बिगड़ गई थी। उसका कारण कोई भी रहा हो। उनसे बराबर तबीयत की जानकारी ले रहा था, करीब एक माह में वह ठीक हो गए हैं। इसी तरह से किशन की भी तबीयत पहला वैक्सीन लेने के बाद बिगड़ गई। वह भी लंबे समय तक दवा लेने के बाद ठीक हुआ है।

दोनों की बीमारी के बाद टीकाकरण पर लगा ग्रहण
चेतन और किशन की बीमारी ने गांव की फिजा को ही बिगाड़ दिया। उनके घर के करीब में रहने वाली महिला ने भी टीका नहीं लगवाया है। वह तर्क दे रही हैं कि चेतन और किशन टीका लगवाने की वजह से बीमार हुए हैं। वह अभी ठीक है टीका लगवाकर बीमार नहीं होना चाहती। मिनानिन ने समझाया कि टीका से उनका शरीर कोरोना से लडऩे के लिए मजबूत हो जाएगा। वह मानने को तैयार नहीं हुई।

जितना मुंह उतनी बात
मितानिन ने मोहल्ले में रहने वाली महिला से कहा कि सभी मितानिनों ने टीका लगवाया है, देखो सभी की तबीयत ठीक है। तब इस पर उनका कहना था कि स्वास्थ्य कर्मियों के लिए दूसरा टीका आया था। अब जो आ रहा वह अलग है। वहीं खैरागढ़ से शादी होकर पीपरछेड़ी गांव में पहुंची बहु को मायके से फोन आ गया कि घर के करीब में रहने वाले कुछ लोगों ने टीका लगवाया, जिसके बाद उनकी मौत हो गई। यह सुनकर उस घर में रहने वाली दोनों बहु और बेटों ने भी टीका नहीं लगवाया है। हालात यह है कि 18 प्लस के 450 में अब तक करीब 16 युवाओं ने टीका लगवाया है। जिस गांव में 60 साल से अधिक उम्र के लोग 98 फीसदी टीका लगा चुके, वहां युवा घर से टीका के नाम पर बाहर नहीं निकल रहे। यहां के कुछ युवाओं ने कहा कि बारिश के बाद टीका लगवा लेंगे।

गुजारिश कर रहे जनप्रतिनिधि
ग्राम पीपरछेड़ी छत्तीसगढ़ के उन पंचायतों में अपना नाम सुनहरे अक्षरों में दर्ज करवाने जा रहा था, जहां सौ फीसदी लाभार्थियों का वैक्सीनेशन किया गया। जिस वक्त बुजुर्गों और 45 प्लस को पहला डोज का टीका दिया जा रहा था, तब वे इस रिकार्ड के बेहद करीब पहुंच गए थे। इस बीच आसपास रहने वाले दो लोगों को पहला डोज दिए, उनकी तबीयत बिगड़ गई। निजी अस्पताल में इलाज के बाद वे करीब माहभर बाद ठीक होकर लौट आए। यह बात गांव में आग की तरह फैल गई। फिर क्या था, जिन्होंने टीका नहीं लगवाया था, वे हाथ खड़ा कर दिए। सरपंच और जनपद सदस्य के साथ मितानिन घर-घर जाकर लोगों को भरोसा दिला रहे हैं कि टीका लगाने से कोई बीमार नहीं होता, यह कोरोना से लडऩे के लिए शरीर की क्षमता बढ़ाता है। वे इस गुजारिश को सुनने को तैयार नहीं है। यह हालात सिर्फ गांव के नहीं है खुद जिला में स्वास्थ्य विभाग से जुड़े लोग भी अलग-अलग कारण बताकर वैक्सीन लगवाने से बच रहे हैं। यही कारण है कि स्वास्थ्य विभाग के सौ फीसदी कर्मचारी और अधिकारी ने टीका का पहला और दूसरा डोज नहीं लगवाया है।

टीकाकरण को लेकर सुनहरे अक्षरों में दर्ज होने जा रहा था गांव का नाम
गांव की मितानिन ने बताया कि पीपरछेड़ी गांव में रहने वाले 60 साल से अधिक उम्र के 78 बुजुर्गों में से 75 ने कोरोना का टीका लगवा लिया था। सिर्फ तीन लोग बचे हुए थे। वे गांव से बाहर गए थे या टीका लगवाने के लिए कुछ समय मांग रहे थे। इसमें खासी मेहनत गांव के जनप्रतिनिधियों व मितानिनों ने किया था। वे खुश थे कि गांव को कोरोना मुक्त करने की दिशा में ठोस पहल कर रहे हैं। उप सरपंच एस मंडावी ने बताया कि इसी तरह से जब 45 प्लस के लोगों को कोरोना का पहला डोज लगाया जाने लगा, तब वैक्सीनेशन गांव में ही करने के लिए सरपंच ने व्यवस्था करवा दिया। यहां 45 प्लस के 180 लाभार्थी रहते हैं। जिसमें से 168 ने टीका लगवा लिया। इसके बाद 12 बच गए थे। वे भी जल्द टीका लगवा लें, यह तैयारी की जा रही थी। इस बीच दो लोग बीमार हुए और बचे हुए लोगों ने टीका नहीं लगवाया। अब दूसरा डोज लगवाने का समय आ रहा है।

गनियारी में भी हैं ऐसे ही हालात
ग्राम गनियारी में भी हालात ऐसे ही हैं। गांव की आबादी 2400 है। पंच किशोर कुमार साहू ने बताया कि 60 प्लस में 193 में से 181 बजुर्गों ने टीका लगवा लिया है। वहीं 45 प्लस के 329 में से 230 ने कोरोना का टीका लगवाए। 18 प्लस का टीकाकरण शुरू हो चुका है, लेकिन 1129 में से सिर्फ 200 ने ही अब तक कोरोना का वैक्सीन लगवाया है। दूसरे गांव में लोग टीका लगवाने के बाद बीमार हो रहे हैं। ऐसा कहकर टीका लगवाने नहीं आ रहे हैं। अब दूसरा डोज लेने के लिए आठ किलोमीटर दूर दूसरे गांव जाने के लिए कहा जा रहा है।

जिला में करीब 8 गांव में इस तरह की अफवाह
जिला के करीब आठ गांव ऐसे हैं, जहां इस तरह की अफवाह फैली हुई है कि टीका लगवाने से लोग बीमार हो रहे हैं। विशेषज्ञ बता रहे हैं कि टीका की वजह से कोई बीमार नहीं हो रहा है। सिर्फ बुखार किसी-किसी को आ जाता है। दवा लेने से भी ठीक हो जा रहा है। ऐसे गांव में जिला स्वास्थ्य विभाग, दुर्ग से एक टीम जाकर उनका काउंसलिंग करेगी, जो टीका लगवाने के लिए तैयार नहीं है।

काउंसलिंग की जरूरत
जिला टीकाकरण अधिकारी, दुर्ग, डॉक्टर दिव्या श्रीवास्तव ने बताया कि शुगर की जिनको शिकायत है उनको भी कोरोना का टीका लगवाना है। अगर कैंसर और हार्ट की तकलीफ है तब भी डॉक्टर से सलाह लेने के बाद वैक्सीन लगवाना है। जिला के 8 गांव में इस तरह की अफवाह है कि टीका लगवाने से तबीयत खराब हो रही है। ऐसे गांव में स्वास्थ्य विभाग की टीम जाकर उन लोगों का काउंसलिंग करेगी।

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