प्रबंधन मान रहा इसे बड़ी गलती
हैरानी की बात तो यह है कि विवि प्रबंधन इसे बड़ी गलती मान रहा है, लेकिन यह बताने को तैयार नही है कि प्रदेशभर के परीक्षा केंद्रों में यह हाथ से लिखा प्रश्नपत्र कैसे पहुंच गया? विवि ने यह गलती मंगलवार को बीएएमएस तृतीय वर्ष के प्रथम पेपर ‘रोग निदानÓ में की है।
हैरानी की बात तो यह है कि विवि प्रबंधन इसे बड़ी गलती मान रहा है, लेकिन यह बताने को तैयार नही है कि प्रदेशभर के परीक्षा केंद्रों में यह हाथ से लिखा प्रश्नपत्र कैसे पहुंच गया? विवि ने यह गलती मंगलवार को बीएएमएस तृतीय वर्ष के प्रथम पेपर ‘रोग निदानÓ में की है।
आधा दर्जन आयुर्वेद मेडिकल कॉलेज में यही पर्चा बांटा गया विवि ने परीक्षा के प्रश्न पत्र का ऊपर का हिस्सा तो प्रिंट कराया, लेकिन नीचे लिखे प्रश्न को प्रिंट नहीं कराया गया। बता दें कि प्रदेश के आधा दर्जन आयुर्वेद मेडिकल कॉलेज में यही पर्चा बांटा गया है, जिससे सैकड़ों छात्र प्रभावित हुए हैं। दुर्ग जिले में राजीव लोचन आयुर्वेद मेडिकल कॉलेज के बीएएमएस तृतीय वर्ष के करीब 60 छात्रों का परीक्षा केंद्र चंदूलाल चंद्राकर मेडिकल कॉलेज था।
प्रश्न-पत्र देखकर चकरा गए छात्र
कॉलेज प्राध्यापकों ने बताया कि जैसे ही पर्चा शुरू हुआ परीक्षा केंद्र से फोन आने लगे। वीक्षकों ने पर्चा स्पष्ट नहीं होने की बात कहते हुए फैकल्टी को बुलाया। जिस तरह डॉक्टर मरीज को पर्ची (प्रीस्क्रिप्शन) लिखकर देता है, उसी अंदाज में विवि ने हिंदी में हाथ से लिखा हुआ पर्चा विद्यार्थियों को दिया। परीक्षा केेंद्र के वीक्षक भी इस प्रश्न-पत्र को देखकर चकरा गए।
कॉलेज प्राध्यापकों ने बताया कि जैसे ही पर्चा शुरू हुआ परीक्षा केंद्र से फोन आने लगे। वीक्षकों ने पर्चा स्पष्ट नहीं होने की बात कहते हुए फैकल्टी को बुलाया। जिस तरह डॉक्टर मरीज को पर्ची (प्रीस्क्रिप्शन) लिखकर देता है, उसी अंदाज में विवि ने हिंदी में हाथ से लिखा हुआ पर्चा विद्यार्थियों को दिया। परीक्षा केेंद्र के वीक्षक भी इस प्रश्न-पत्र को देखकर चकरा गए।
कुलपति आयुष विश्वविद्यालय डॉ. जीबी गुप्ता ने कहा कि इस बारे में जानकारी है, लेेकिन बेहतर होगा कि आप रजिस्ट्रार से बात कर लीजिए। वे ही सब स्पष्ट करेंगे। रजिस्ट्रार आयुष विश्वविद्यालय डॉ. एसके जाधव ने कहा कि उन्हें इस मामले में शिकायत नहीं मिली है, पता करता हूं ये सब कैसे हुआ।