छत्तीसगढ़ की लोक कला संस्कृति हमारी धरोहर
मंत्री अमरजीत भगत ने भिलाई-तीन में कहा.

भिलाई. छत्तीसगढ़ की कला संस्कृति हमारी धरोहर है, जिससे छत्तीसगढ़ की पहचान न केवल भारत में बल्कि विदेशों में भी है। ऐसे कार्यक्रम से प्रदेश के सुदूर अंचल में रहने वाले कलाकारों को मंच मिलता है। गनियारी के इस माटी को प्रणाम करता हूं जहां पद्मभूषण डॉ. तीजन बाई जैसे कलाकार रहते हैं। गांव में भी इस तरह का वृहद कार्यक्रम होना अपने आप में गौरव की बात है। जब से प्रदेश में भूपेश सरकार बनी है तब से गिल्ली, डंडा, भंवरा, बाटी को लोग जानने और पहचानने लगे हैं। 12 सालों से लगातार इस तरह कार्यक्रम का होना एक कठिन काम है। ऐसे कार्यक्रम के लिए समिति के अध्यक्ष निर्मल कोसरे व उनके साथी बधाई के पात्र हैं।
कलाकारों का किया सम्मान
गुरु घासीदास कला व साहित्य विकास समिति गनियारी ने संस्कृति विभाग के सहयोग से लोक कला महोत्सव के पुरस्कार वितरण समारोह के मुख्य अतिथि प्रदेश के संस्कृति मंत्री अमरजीत भगत ने यह बात कही। उन्होंने इस मौके पर समिति की मांग पर हर साल कार्यक्रम करवाने के लिए संस्कृति विभाग से पांच लाख दिलाने का आश्वासन दिया। इस मौके पर मंत्री ने पद्मभूषण डॉ. तीजन बाई, पद्मश्री डॉ. आरएस बारले, पद्मश्री अनूप रंजन पांडे, अमृता बारले, प्राध्यापक डॉ. नत्थू तोड़े, डॉ. दीपशिखा पटेल, डॉ. बैरागी, सावंत राम बांधे, डॉक्टर सीबीएस बंजारे, दिनेश जांगड़े, रामजी ठाकुर, जानकी पुरस्ते, बीएल कुर्रे का शाल व श्रीफल से सम्मान किया।
नया आयाम गढ़ रहे
कार्यक्रम के अध्यक्ष संसदीय सचिव कुंवर सिंह निषाद ने कहा कि छत्तीसगढ़ लगातार भूपेश सरकार के नेतृत्व में नए आयाम गढ़ रहे हैं। किसान, नौजवान, महिलाओं के साथ-साथ कलाकारों का भी विशेष खयाल रखा है। जिसका नतीजा है कि दिन-ब-दिन छत्तीसगढ़ में लोक कलाओं की वृद्धि हो रही है, जिसकी पहचान पूरे देश में है। कार्यक्रम का संचालन व आभार समिति के अध्यक्ष निर्मल कोसरे ने किया। इस मौके पर पार्षद धर्मेंद्र कोसरे, गौरी बंजारे, राजकुमार गायकवाड, हेमंत कोसरे, राजू लहरें, मनोज मढरिया, मोहन साहू मौजूद थे।
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