कीर्ति चक्र, पुलिस गैलेट्री मेडल, सहित इस फोर्स से जुड़े 2 आईपीएस को आउट ऑफ टर्न प्रमोशन के साथ स्पेशल अवार्ड इसलिए मिले क्योंकि यहां उन्होंने एक साधारण से पुलिसकर्मी को योद्धा बनाया और ऐसा योद्धा जो हर हमले का सामना करने तैयार है। भिलाई से कुछ दूर बघेरा में तैयार स्पेशल टॉस्क फोर्स का हेडक्वार्टर ही अपने आप में पूरा ट्रेनिंग स्कूल है जहां से छत्तीसढ़ पुलिस के चुनिंदा जवानों सहित राज्य की आम्र्स फोर्स को भी स्पेशल ट्रेनिंग दी जा रही है। ग्रे-हाउंड की तरह ही एसटीएफ में हंटर्स तैयार किए जा रहे हैं जो प्रदेश के हर माओवादी हमले से निपटने अकेले ही सक्षम है।
मुंबई के होटल ताज में हुए आंतकवादी हमले के बाद अब आर्मी में जिस तरह इंडोर फायरिंग और ऑपरेशन की ट्रेनिंग दी जाने लगी। उसी तर्ज पर एसटीएफ में भी एक बिल्ंिडग तैयार की गई है। जहां इंडोर फायरिंग के साथ ही इंडोर ऑपरेशन की प्रैक्टिस कराई जाएगी। ताकि कभी मॉल, सिनेमाघर या किसी होटल में कोई ऐसी घटना हो तो एसटीएफ की टीम उसका मुकाबला कर सकें।
एसटीएफ के आला अधिकारी की मानें तो एसटीएफ में आकर जवानों का हंटर्स ग्रुप में शामिल होना आसान नहीं होता। इसकी ट्रेनिंग को ही पूरा करना अपने आप में बड़ा चैलेंज है। एसटीएफ में पुलिस बल या बटालियन से जवानों को डेपोडेशन पर भेजा जाता है, लेकिन यहां आने के बाद उनकी एक महीने सिर्फ स्क्रिनिंग की जाती है कि वे इस ट्रेनिंग के लिए फिजिकली फिट है या नहीं। क्योंकि इसकी ट्रेनिंग सामान्य पुलिस ट्रेनिंग की तरह नहीं होती, बल्कि आर्मी के इंस्ट्रक्टर अपने तरीके से उन्हें प्रशिक्षित करते हैं। अधिकारी बताते हैं कि यदि कोई जवान ट्रेनिंग के बाद भी खुद को सक्षम नहीं पाता तो उन्हें वापस मूल पदस्थापना पर भेज दिया जाता है।
नक्सल ऑपरेशन में एसटीएफ की 2 यूनिट तैनात है। कई कंपनियां पूरे प्रदेश भर में मौजूद है। हालांकि अभी एसटीएफ पैरामिलिट्री और लोकल पुलिस के साथ मिलकर एंटी नक्सल ऑपरेशन चला रही है जिसमें अब तक 2 सौ से ज्यादा नक्सलियों को मार गिराया है। वहीं 7 सौ से ज्यादा को गिरफ्तार किया है। लेकिन 2010 में सरायपाली में एसटीएफ के सिंगल ऑपरेशन का रिकार्ड अब तक किसी फोर्स ने नहीं ब्रेक किया। इसमें एसटीएफ ने 12 नक्सलियों को मार गिराया था जिसमें 8 का शव भी बरामद हुआ पर 4 का शव नक्सली उठाकर कर ले गए।
अधिकारी बताते हैंं कि अब तक आत्मसमर्पित नक्सलियों में एसटीएफ ने ही एक कंपनी कमांडर को एके 47 के साथ आत्मसमर्पण कराया था। एसटीएफ बघेरा के ट्रेनिंग ऑफिसर ने बताया कि एसटीएफ अपने नाम से ही स्पेशल है और यह ऐसी फोर्स है जो राज्य पुलिस के अंडर है, लेकिन इसकी ट्रेनिंग और काम करने का तरीका आर्मी की तरह है। हम यहां जवानों को योद्धा बनाते हैं जो हर मोर्चे पर डटकर मुकाबला कर सकें और हम अपने प्रशिक्षण में कामयाब भी रहे हैं।