बता दें कि पहले बीएसपी ने जमीन विवि को ट्रांसफर करने के लिए सरकारी इंजीनियरिंग कॉलेजों में अपने कर्मचारियों के बच्चों के लिए एक सीट का आरक्षण और कार्यपरिषद में बीएसपी के दो अधिकारियों का मनोनयन मांगा था, जिस पर बात नहीं बन पाई। इसके बाद बीएसपी ने विवि के अधिकारियों के साथ बैठक कर इस मामले का हल निकाला और नई शर्तें बताई।
हर साल 20 करोड़ का नुकसान
जमीन का मालिकाना हक नहीं होने से तकनीकी विश्वविद्यालय को हर साल करीब 20 करोड़ रुपए का नुकसान हो रहा है। एनएमडीसी और कोल इंडिया लिमिटेड जैसी कंपनियों ने सीएसआर मद से विश्वविद्यालय को इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट करने फंड देने के लिए प्रस्ताव मांगा था, लेकिन जमीन के कागजों में सीएसवीटीयू का नाम नहीं होने से फंड नहीं मिल पाया। इसी तरह जमीन के बगैर यूजीसी ने भी विवि को 12बी की मान्यता देने से इनकार कर दिया। इस तरह से विवि ने करोड़ों के अनुदान से भी हाथ धो लिए। एआईसीटीई की ओर से भी सीएसवीटीयू को कभी ग्रांट नहीं दी गई।
जमीन का मालिकाना हक नहीं होने से तकनीकी विश्वविद्यालय को हर साल करीब 20 करोड़ रुपए का नुकसान हो रहा है। एनएमडीसी और कोल इंडिया लिमिटेड जैसी कंपनियों ने सीएसआर मद से विश्वविद्यालय को इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट करने फंड देने के लिए प्रस्ताव मांगा था, लेकिन जमीन के कागजों में सीएसवीटीयू का नाम नहीं होने से फंड नहीं मिल पाया। इसी तरह जमीन के बगैर यूजीसी ने भी विवि को 12बी की मान्यता देने से इनकार कर दिया। इस तरह से विवि ने करोड़ों के अनुदान से भी हाथ धो लिए। एआईसीटीई की ओर से भी सीएसवीटीयू को कभी ग्रांट नहीं दी गई।
यह है पूरा मामला
साल 2008 में बीएसपी और सीएसवीटीयू के बीच एमओयू हुआ था, जिसमें बीएसपी ने विवि को 250 एकड़ जमीन दी थी। बदले में विवि को राज्य सरकार ने 50 करोड़ रुपए का भुगतान भी किया था, लेकिन बीएसपी ने इस जमीन की रजिस्ट्री सीएसवीटीयू के नाम से कराई ही नहीं। अभी भी सीएसवीटीयू उस जमीन का मालिकान हक नहीं रखता है। जमीन बीएसपी के ही नाम से है। डॉ. केके वर्मा, कुलसचिव, सीएसवीटीयू ने बताया कि राज्य सरकार ने पत्राचार किया गया है। बीएसपी प्रबंधन से इस बारे में चर्चा करेंगे। विवि में बीएसपी ने नए कोर्स संचालन की मंजूरी मांगी थी, साथ में फीस में छूट की मांग रखी गई थी।
साल 2008 में बीएसपी और सीएसवीटीयू के बीच एमओयू हुआ था, जिसमें बीएसपी ने विवि को 250 एकड़ जमीन दी थी। बदले में विवि को राज्य सरकार ने 50 करोड़ रुपए का भुगतान भी किया था, लेकिन बीएसपी ने इस जमीन की रजिस्ट्री सीएसवीटीयू के नाम से कराई ही नहीं। अभी भी सीएसवीटीयू उस जमीन का मालिकान हक नहीं रखता है। जमीन बीएसपी के ही नाम से है। डॉ. केके वर्मा, कुलसचिव, सीएसवीटीयू ने बताया कि राज्य सरकार ने पत्राचार किया गया है। बीएसपी प्रबंधन से इस बारे में चर्चा करेंगे। विवि में बीएसपी ने नए कोर्स संचालन की मंजूरी मांगी थी, साथ में फीस में छूट की मांग रखी गई थी।