दुर्ग से पाटन, दुर्ग बस स्टैंड से गुंडरदेही और अहिवारा जामुल अहिवारा रूट के यात्रियों को ज्यादा किराया वसूला जा रहा है। यात्रियों ने सत्ता और विपक्ष के जनप्रतिनिधियों से शिकायत भी कर चुके हैं, लेकिन अब तक किसी ने गंभीरता से नहीं लिया।
दुर्ग-भिलाई और ग्रामीण इलाकों की 32 रूट में सिटी बसें चल रही है। इसकी कोई मानिटरिंग नहीं हो रही है। सब भगवान भरोसे चल रहा है। दुर्ग-भिलाई ट्रांजिट लिमिटेड के कर्मचारी मनमानी कर रहे हैं।
शासन ने सिटी बसों को मानिटरिंग के लिए बकायदा कलक्टर की अध्यक्षता में दुर्ग-भिलाई अरबन पब्लिक ट्रांसपोर्ट सोसायटी बनाई है। पूरी व्यवस्था की मानिटरिंग के लिए क्षेत्रीय परिवहन अधिकारी, नगर पालिक निगम भिलाई के आयुक्त को पदेन सचिव, निगम दुर्ग और चरोदा के आयुक्त, नगर पालिका परिषद जामुल, कुम्हारी और नगर पंचायत पाटन और उतई के सीएमओ सोसायटी के सदस्य हैं। बावजूद इसके कभी किसी ने मानिटरिंग पर ध्यान नहीं दिया। मानिटरिंग और मेंटनेंस के अभाव में बसों की सुविधाएं डिस्प्ले बोर्ड, सीसीटीवी कैमरा, ग्लोबल पोजिशिनिंग सिस्टम खराब हो गई है। बस की अगर टायर भी पंचर होती है तो उसे अस्थाई रूप से बनाए गए बस डिपो में खड़ी कर देते हंै।
बसों का संचालन करने वाली दुर्ग-भिलाई ट्रांजिट लिमिटेड (पहले दुर्गबां प्रायवेट लिमिटेड) प्रबंधन घाटे का रोना रोते हैं। दुर्ग जिले की रूट्स पर सिटी बसों को सवारी नहीं मिलने की राग अलापते हैं। हकीकत इसके उलट है। दुर्ग,भिलाई, कुम्हारी, गुंडरदेही, पाटन, जामुल रूट की बसों में पर्याप्त यात्री मिल रहे हैं।
सिटी बस पर नियमित सफर करने वाले यात्रियों की मानें तो दुर्ग-भिलाई ट्रांजिट लिमिटेड ने पाटन रूट्स की बसों को निजी बस मालिक के साथ टाइ-अप कर लिया है। उनके ही ड्रायवर कंडक्टर सिटी बसों को चलाते हैं। इस वजह से निजी बस के बराबर किराया वसूलते हैं।
– शासन ने 2013-14 में जनता को सस्ती पब्लिक ट्रांसपोर्ट उपलब्ध कराने के लिए जनता से मिलने वाले टैक्स की राशि से ही 115 सिटी बसें खरीदने का निर्णय लिया था। 37 करोड़ रुपए में 70 सिटी बसें खरीदी गई। पैसा निकायों ने दिया।
– 70 में से 56 बसें 32 रूट्स पर चल रही है। 13 मिनी बसें परमिट के इंतजार में चार साल से सुपेला बस स्टैंड के सिटी बस डिपो में खड़े-खड़े कंडम हो गई। एक बस को सुरंडुंग जामुल में जला दिया गया था। मेंटनेंस के लिए शोरूम भेजा गया है।
शासन ने सिटी बसों को ऑटो से भी कम रेट पर सिटी बसों को आपरेटिंग और मेंटनेंस की शर्त पर 10 साल के लिए किराए पर दिया है। दिनभर में एक मिनी बस का किराया सिर्फ 116 रुपए मिलता है। 35 सौ रुपए महीने का एक मिडिल बस का किराया है। ऐसी 40 बसें सड़क पर दौड़ रही है। 26 सौ रुपए मिनी सिटी बस का किराया है। 20 से ज्यादा बसें है।
0-2 5
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8-10 10
10-12 12
12-14 13
14-16 14
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20-22 18
22-24 19 डीबीयूपीटीएस नोडल अधिकारी बीके देवांगन ने दिए सवालों के जवाब
सवाल- सोसायटी ने सिटी बसों का किराए में वृद्धि की है?
जवाब- मेरी जानकारी में सिटी बसों का किराया में बढ़ोत्तरी नहीं हुई है।
सवाल- तो फिर पाटन रूट पर चलने वाले कंडक्टर ज्यादा किराया किस आधार पर ले रहे हैं?
जवाब- यह मेरी जानकारी में नहीं है। ऐसी कोई भी शिकायत नहीं आई है। पता करवाता हूं।