थ्री फेस कनेक्शन था जरूरी
सिविल अस्पताल में थ्री फेस कनेक्शन अब तक नहीं लगाया गया था। अब बिजली विभाग ने यहां एक अलग से ट्रांसफार्मर लगा दिया है। तब जाकर व्यवस्था में सुधार होना तय है। अस्पताल के काम को समय पर पूरा किया जा रहा है। एक फेस बंद भी रहेगा, तब भी बिजली दूसरे फेस से यहां बहाल रहेगी।
मरच्यूरी में नहीं है जनरेटर का कनेक्शन
शास्त्री अस्पताल के मरच्यूरी में जनरेटर का कनेक्शन नहीं है। जिसकी वजह से बिजली बंद होती है तो मरच्यूरी का फ्रिजर बंद हो जाता है। यहां पुलिस अधिकारियों को मोबाइल की रौशनी से पंचनामा करते देखा जा सकता है। इस तरह की समस्या से अब निजात मिलेगी।
लगातार चल सकेगा ऑक्सीजन जनरेशन प्लांट
ऑक्सीजन जनरेशन प्लांट को बिजली बंद होने के बाद भी लगातार चलाते रहना आसान नहीं है। इसके लिए लगाए गए बड़े जनरेटर में इंधन की खपत अधिक है। बिजली गुल होते ही अगर इस जनरेटर को चलाया जाए तो यह प्लांट महंगा पड़ेगा। अक्सर शास्त्री अस्पताल में बिजली गुल होते रहती है। नए ट्रांसफार्मर के लगा दिए जाने के बाद यह दिक्कत दूर हो जाएगी।
मरीजों को हो रही थी दिक्कत
शास्त्री अस्पताल, सुपेला में बिजली गुल होने से मरीजों को दिक्कत हमेशा से होती रही है। अब व्यवस्था में सुधार होने जा रहा है। नए ट्रांसफार्मर के लग जाने से बार-बार बिजली गुल होने और ओल्टेज के अप डाउन होने की दिक्कत दूर हो जाएगी।
हर माह 48 से अधिक मरीजों का ऑपरेशन करने की क्षमता
कोविड महामारी के बाद सिविल हॉस्पिटल, सुपेला में मोतियाबिंद ऑपरेशन तेजी से किया जा रहा है। यहां हर माह 48 से अधिक मरीजों का ऑपरेशन करने की क्षमता है। वहीं जिला अस्पताल, दुर्ग में हर माह औसत 80 मरीजों का मोतियाबिंद ऑपरेशन किया जा रहा है। दुर्ग अस्पताल में भी आईओटी को अपग्रेड करने के बाद व्यवस्था बेहतर हो गई है। अब बिजली की समस्या दूर होने से यहां भी ऑपरेशन और जांच में दिक्कत नहीं आएगी।
बड़ी संख्या में पहुंच रहे मरीज
शास्त्री अस्पताल में मोतियाबिंद का ऑपरेशन करवाने के लिए आर्थिक तौर पर कमजोर वर्ग के लोग ही अधिक आ रहे हैं। कोरोना का डर जैसे-जैसे कम होता जा रहा है। वैसे-वैसे बड़ी संख्या में लोग अब अस्पताल का रुख कर रहे हैं। मरीजों का पहले कोरोना जांच किया जाता है, रिपोर्ट आने के बाद अगले दिन ऑपरेशन किया जा रहा है।