दरअसल मध्यप्रदेश सहित कई राज्यों में सरकार के अधिकृत प्रवक्ताओं की नियुक्ति होती है। हालांकि छत्तीसगढ़ में कभी इस तरह की स्थिति नहीं रही, भाजपा शासनकाल में भी इस तरह से तीन मंत्रियों को सरकार का पक्ष रखने के लिए अधिकृत किया गया था, लेकिन वो ज्यादा प्रभावी नहीं हो सका।