दो दर्जन वीवीआईपी के लिए भोजन तैयार डॉ. दत्ता दंत रोग विशेषज्ञ है, लेकिन शहर में जब कोई वीवीआईपी आते हैं तो भोजन की शुद्धता और गुणवत्ता की जिम्मेदारी उनकी होती है। ३४ वर्ष के कार्यकाल में डॉ. दत्ता ने पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी से लेकर स्व. चंद्रशेखर सिंह सहित एक दर्जन वीवीआईपी के भोजन चख चुके हैं। किचन में भोजन की तैयारी से लेकर टायनिंग टेबल तक उनके मार्गदर्शन और निर्देश पर भोजन पहुंचते हैं। डॉ. दत्ता बताते हैं कि कौन वीवीआईपी कब-कब शहर आए थे डेट तो याद नहीं पर दो दर्जन वीवीआईपी के लिए भोजन तैयार कराने के बाद प्रमाण पत्र जारी कर चुके हैं।
शुक्रवार को राहुल गांधी दुर्ग प्रवास पर बता दें कि शुक्रवार को कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी दुर्ग प्रवास पर रहेंगे। वे दोपहर का भोजन सर्किट हाउस में करेंगे। जिला प्रशासन ने खान-पान की जिम्मेदारी फिर से डॉ. दत्ता को ही दी है।
वीवीआईपी की सूची
पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी, चंद्रशेखर सिंह, स्व. अर्जुन सिंह, सोनिया गांधी, प्रियंका गांधी,प्रो. केएम चंाडी, पूर्व राज्यपाल दिनेश नंदन सहाय, केएम सेठ, शेखर दत्त, पूर्व मुख्य मंत्रियों मोतीलाल वोरा, दिग्विजय सिंह , अजीत जोगी और मुख्यमंत्री रमन सिंह शामिल हैं।
पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी, चंद्रशेखर सिंह, स्व. अर्जुन सिंह, सोनिया गांधी, प्रियंका गांधी,प्रो. केएम चंाडी, पूर्व राज्यपाल दिनेश नंदन सहाय, केएम सेठ, शेखर दत्त, पूर्व मुख्य मंत्रियों मोतीलाल वोरा, दिग्विजय सिंह , अजीत जोगी और मुख्यमंत्री रमन सिंह शामिल हैं।
सुबह मूंगफल्ली खोजने निकले तहसीलदार
अविभाजित मध्यप्रदेश के तात्कालीन मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह साल में एक बार दुर्ग आते ही थे। उनके भोजन की व्यवस्था भिलाई होटल में रहती थी। उन्हें सादा भोजन ही पंसद है। जिस कमरे में वे विश्राम करते थे वहां चार अलग गिलास में गर्म दूध, गर्मपानी, ठंडा पानी और जूस रखना अनिवार्य होता था। साथ ही देशी घी में फ्राई मंूंगफल्ली भी। रात अधिक होने पर वे मूंगफल्ली का कुछ दाना चबाने के बाद वे गर्मपानी से कुल्ला करते और सो जाते। एक बार मूंगफल्ली की व्यवस्था नहीं थी। तब तहसीलदार सिद्धार्थ दास ने सुबह सात बजे भिलाई में मूंगफल्ली खरीदने निकले थे। दुकान नहीं खुलने पर उन्हें दुर्ग आना पड़ा। हालाकि उनके वापस भिलाई होटल पहुंचने पर दिग्विजय सिंह रायपुर निकल गए थे।
अविभाजित मध्यप्रदेश के तात्कालीन मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह साल में एक बार दुर्ग आते ही थे। उनके भोजन की व्यवस्था भिलाई होटल में रहती थी। उन्हें सादा भोजन ही पंसद है। जिस कमरे में वे विश्राम करते थे वहां चार अलग गिलास में गर्म दूध, गर्मपानी, ठंडा पानी और जूस रखना अनिवार्य होता था। साथ ही देशी घी में फ्राई मंूंगफल्ली भी। रात अधिक होने पर वे मूंगफल्ली का कुछ दाना चबाने के बाद वे गर्मपानी से कुल्ला करते और सो जाते। एक बार मूंगफल्ली की व्यवस्था नहीं थी। तब तहसीलदार सिद्धार्थ दास ने सुबह सात बजे भिलाई में मूंगफल्ली खरीदने निकले थे। दुकान नहीं खुलने पर उन्हें दुर्ग आना पड़ा। हालाकि उनके वापस भिलाई होटल पहुंचने पर दिग्विजय सिंह रायपुर निकल गए थे।
चिकन को छुआ तक नहीं
पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी भिलाई आए थे। उनकी सभा भिलाई विद्यालय सेक्टर-टू और भोजन व्यवस्था भिलाई होटल में थी। भोजन बिलकुल सादा था। दाल, रोटी, चार सब्जी बनाया गया था। साथ ही विशेष तौर पर चिकन बनाया गया था, लेकिन भोजन के समय उन्होंने चिकन को छुआ तक नहीं।
पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी भिलाई आए थे। उनकी सभा भिलाई विद्यालय सेक्टर-टू और भोजन व्यवस्था भिलाई होटल में थी। भोजन बिलकुल सादा था। दाल, रोटी, चार सब्जी बनाया गया था। साथ ही विशेष तौर पर चिकन बनाया गया था, लेकिन भोजन के समय उन्होंने चिकन को छुआ तक नहीं।
अधिकारियों ने किया भोजन
सोनिया गांधी अपनी बेटी के साथ भिलाई प्रवास पर थी। आम सभा के बाद भिलाई होटल में भोजन व्यवस्था थी। सुरक्षा व्यवस्था इतनी चुस्त थी कि डायनिंग पर भोजन को सजाने के समय रोटी तक को दिल्ली से आए अधिकारियों ने चेक किया था। साढ़ें चार घंटे किचन में डटे रहने के बाद डॉ. दत्ता को मालूम हुआ कि सोनिया ने भोजन ही नहीं किया। सुरक्षा अधिकारियों ने दिल्ली से लाए सील बंद पानी को दिया। उनके लिए तैयार भोजन को बाद में अधिकारियों को परोस दिया गया।
सोनिया गांधी अपनी बेटी के साथ भिलाई प्रवास पर थी। आम सभा के बाद भिलाई होटल में भोजन व्यवस्था थी। सुरक्षा व्यवस्था इतनी चुस्त थी कि डायनिंग पर भोजन को सजाने के समय रोटी तक को दिल्ली से आए अधिकारियों ने चेक किया था। साढ़ें चार घंटे किचन में डटे रहने के बाद डॉ. दत्ता को मालूम हुआ कि सोनिया ने भोजन ही नहीं किया। सुरक्षा अधिकारियों ने दिल्ली से लाए सील बंद पानी को दिया। उनके लिए तैयार भोजन को बाद में अधिकारियों को परोस दिया गया।
डायनिंग पर 20 वेरायटी अनिवार्य
छत्तीसगढ़ के प्रथम राज्यपाल दिनेश नंदन सहाय खाने के बहुत शौकीन थे। नान वेज से लेकर डायनिंग मेें जब तक २० प्रकार का व्यजंन नहीं होता उन्हें खाना में मजा ही नहीं आता। राज्यपाल रहते वे अक्सर दुर्ग-भिलाई आते और भोजन के बाद ही राजभवन लौटते थे।
छत्तीसगढ़ के प्रथम राज्यपाल दिनेश नंदन सहाय खाने के बहुत शौकीन थे। नान वेज से लेकर डायनिंग मेें जब तक २० प्रकार का व्यजंन नहीं होता उन्हें खाना में मजा ही नहीं आता। राज्यपाल रहते वे अक्सर दुर्ग-भिलाई आते और भोजन के बाद ही राजभवन लौटते थे।