जिला पंचायत में सदस्य के 12 पद हैं। इनमें से कांग्रेस के 7 और भाजपा के 5 सदस्य निर्वाचित हुए हैं। भाजपा की उम्मीद चुनाव में कांग्रेस के सदस्यों के क्रॉस वोटिंग पर टिकी थी।इसी उम्मीद पर प्रत्याशी उतारा गया था। दूसरी ओर कांग्रेसी नेता भी क्रॉस वोटिंग की खतरे को लेकर अलर्ट रहे और सदस्यों के गतिविधियों पर नजर रखे रहे।
क्रॉस वोटिंग के लिए सदस्यों के खरीद-फरोख्त की संभावना को लेकर अलर्ट कांग्रेस नेताओं ने सभी 7 सदस्यों को पहले ही अज्ञातवास पर भेज दिया था। बताया जाता है कि सदस्य इस दौरान विशाखापट्टनम में रहे और चुनाव के एक दिन पहले ही लौटे। सदस्यों को लौटने के बाद दुर्ग के एक रिसॅार्ट में रखा गया और ऐन वक्त पर एकसाथ जिला पंचायत पहुंचाया गया।
क्रॉस वोटिंग के खतरे के मद्देनजर मंत्री ताम्रध्वज साहू और पर्यवेक्षक धनेंद्र साहू भी पूरे समय डटे रहे। जिला पंचायत में सम्मिलन में उपस्थिति के बाद कांग्रेस के सभी सदस्यों को सर्किट हाउस पहुंचाया गया। जहां पर्यवेक्षक धनेंद्र साहू ने सभी से वन-टू-वन बात की और एक नाम पर सहमति और उसके पक्ष में मतदान की समझाइश दी।
तमाम कोशिशों के बाद भी कांग्रेस नेता अंतिम समय तक ऐहतियात बरतते रहे और ऐन नामांकन से पहले ही प्रत्याशियों का नाम सदस्यों को बताया गया। इसके चलते कांग्रेस प्रत्याशियों का नामांकन भी अंतिम समय में हुआ। जबकि भाजपा के प्रत्याशियों ने सुबह साढ़े 10 बजे ही जिला पंचायत पहुंचकर नामांकन दाखिल कर दिया था।
क्रॉस वोटिंग के खतरे से कांग्रेस के नेता इस कदर भयभीत रहे कि वोटिंग से पहले सदस्यों को उनके परिजनों से तक मिलने नहीं दिया गया। इसे लेकर एक दो सदस्यों व उनके परिजनों की नाराजगी भी सामने आई। हालांकि बाद में बड़े नेताओं ने समझाइश देकर मामले को शांत करा लिया। प्रत्याशियों के नामों को लेकर भी एक-दो सदस्य नाराज दिखे लेकिन क्रॉस वोटिंग जैसी स्थिति नहीं बनीं।
गैरदलीय आधार पर चुनाव के बाद भी दुर्ग जिला पंचायत के अध्यक्ष के चुनाव में जबरदस्त घमासान होता रहा है। पिछली बार निवर्तमान अध्यक्ष माया बेलचंदन ने दलबदल कर अध्यक्ष पद पर कब्जा जमाया था। चुनाव में कांग्रेस व भाजपा के पास बराबर बराबर 6 -6 सीटें थी, लेकिन ऐन मौके पर कांग्रेस से जीत दर्ज कर सदन में पहुंची माया बेलचंदन और हिमा साहू ने दलबदल कर लिया था।
इससे पहले भाजपा का जिले के तीनों जनपद पंचायतों के साथजिला पंचायत में भी कब्जा था, लेकिन इस चुनाव में तीनों जनपदों के साथ जिला पंचायत में भी कांग्रेस ने कब्जा जमा लिया। इससे पहले नगरीय निकाय के चुनाव में भी कांग्रेस ने एकतरफा जीत दर्ज की थी।
नवनिर्वाचित जिला पंचायत अध्यक्ष शालिनी यादव ने राजनीति की शुरूआत ग्राम पंचायत से की है। वे वर्ष 2010 में पहली बार बोरई की सरपंच पद के लिए चुनाव मैदान में उतरीं और जीत दर्ज की। इससे पहले वे आंगनबाड़ी कार्यकर्ता थी। जीत के बाद उन्होंने कार्यकर्ता के पद से इस्तीफा देकर सरपंच की कुर्सी संभाली। वर्ष 2015 में उनके पति रिवेंद्र सरपंच निर्वाचित हुए। ओबीसी महिला के लिए आरक्षण में इस बार इन्हें कांग्रेस ने जिला पंचायत सदस्य के लिए मैदान में उतारा। शालिनी यादव व उनके पति रिवेंद्र यादव मंत्री ताम्रध्वज साहू के करीबी माने जाते हैं।
निर्वाचन के बाद नवनिर्वाचित अध्यक्ष शालिनी यादव ने राजनीति से ऊपर उठकर सभी दल के सदस्यों के साथ मिलजुलकर काम करने की बात कही। उन्होंने कहा कि शासन की योजनाओं का लाभ समाज के अंतिम व्यक्ति तक पहुंचाना उनकी पहली प्राथमिकता होगी। उन्होंने कहा कि आला नेताओं के मार्गदर्शन में शासन की योजनाओं के बेहतर क्रियान्वयन का प्रयास किया जाएगा।
1. कमला बघेल
2. धनुष जायसवाल
3. झमिता साहू
4. जीवन लाल वर्मा
5. माया बेलचंदन
6 . शालिनी रिवेंद्र यादव (नवनिर्वाचित) Chhattisgarh से जुड़ी Hindi News के अपडेट लगातार हासिल करने के लिए हमें Facebook पर Like करें, Follow करें Twitter और Instagram पर ..ताज़ातरीन ख़बरों, LIVE अपडेट के लिए Download करें patrika Hindi News App.