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रजिस्ट्रेशन फीस लौटाने कहा तो छात्र को बेइज्जत कर संस्थान से निकाला, उपभोक्ता फोरम ने कहा अब दो हर्जाना

locationभिलाईPublished: Mar 23, 2019 11:12:06 am

Submitted by:

Dakshi Sahu

परिवाद के मुताबिक दिनेश राजपूत ने फायर एंड सेफ्टी कोर्स करने हिमालय कॉम्लेक्स स्थित कार्यालय में 3000 रुपए पंजीयन शुल्क जमा किया था।

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रजिस्ट्रेशन फीस लौटाने कहा तो छात्र को बेइज्जत कर संस्थान से निकाला, उपभोक्ता फोरम ने कहा अब दो हर्जाना

दुर्ग. शैक्षणिक संस्थान में जमा किए रजिस्ट्रेशन फीस को लौटाने के नाम पर छात्र को अपमानित कर कार्यालय सेे बाहर निकालने पर जिला उपभोक्ता फोरम ने प्रबंधक सेंट जोसेफ इंटरनेशनल फायर एंड सेफ्टी एकेडमी सुपेला को दोषी ठहराया। फोरम ने प्रबंधक को 30 दिनों के भीतर 6350 रुपए हर्जाना जमा करने का आदेश दिया है।
हर्जाना जमा करने का दिया आदेश
जमा पंजीयन राशि में 150 रुपए प्रोसेसिंग फीस काटकर 2850 रुपए के अलावा मानसिक कष्ट के लिए 2 हजार और वाद व्यय के रुप में 1500 रुपए देना होगा। जांमगांव (बेमेतरा) निवासी दिनेश राजपूत ने के परिवाद पर यह फैसला जिला उपभोक्ता फोरम के सदस्य राजेन्द्र पाध्ये व लता चंद्राकर ने सुनाया।
कोर्स नहीं करने का निर्णय लिया
परिवाद के मुताबिक दिनेश राजपूत ने फायर एंड सेफ्टी कोर्स करने हिमालय कॉम्लेक्स स्थित कार्यालय में ३००० रुपए पंजीयन शुल्क जमा किया था। बाद में आर्थिक स्थिति का हवाला देते हुए दिनेश ने कोर्स नहीं करने का निर्णय लिया। सूचना देने पर कार्यालय में पदस्थ काउंसलर ने कहा कि वह अपना पंजीयन शुल्क दो सप्ताह बाद वापस ले जाए। कार्यालय पहुंचने पर उसे यह कहते बेइज्जत किया गया कि मामूली रकम के लिए उन्हें परेशान न करे।
परिवाद का आधार
परिवाद में दिनेश ने जानकारी दी थी कि अनावेदक संस्थान के काउंसलर ने उसे स्पष्ट कहा था कि अगर वह पंजीयन कराने के बाद आगे की पढ़ाई नहीं करना चाहता तो पंजीयन शुल्क के रुप में जमा की गर्इ राशि तत्काल लौटा दी जाएगी। इसके एवज में केवल 150 रुपए की राशि कटौती की जाएगी। यह नियम है।
अधिवक्ता के माध्यम से नोटिस भेजने के बाद शैक्षणिक संस्थान ने राशि लौटाने 7 दिनों का समय मांगा था। इसके बाद भी राशि नहीं लौटाई। सुनवाई के दौरान शैक्षणिक संस्थान के प्रबंधक का कहना था कि एडमिशन के बाद किसी तरह की राशि लौटाने का प्रवधान नहीं है। सीट खराब होने पर संस्थान को नुकसान उठाना पड़ता है। वैसे भी फीस की रसीद पर स्पष्ट उल्लेख है कि वन्स पेड नाट रिफंडेबल।
इसलिए परिवाद को निरस्त किया जाए। परिवादी ने केवल पंजीयन कराया था। एडमिशन शुल्क जमा नहीं किया था। वैसे भी दस्तावेज से स्पष्ट है कि संस्था ने केवल पंजीयन शुल्क लिया है, पंजीयन किया ही नहीं है। ऐसी स्थिति में सीट खराब होने का प्रश्न ही नहीं उठता।
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