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भेदभाव: सेल के सबसे कमाऊ यूनिट BSP के अफसरों और कर्मियों को बोनस पर 25000 ठेका श्रमिकों के हाथ हुए खाली

locationभिलाईPublished: Oct 09, 2021 05:51:00 pm

Submitted by:

Dakshi Sahu

वर्तमान में उत्पादन से संबंधित करीब सभी काम ठेका मजदूरों से लिए जा रहे हैं। जिनकी भिलाई इस्पात संयंत्र में संख्या 25 हजार से अधिक है।

भेदभाव: सेल के सबसे कमाऊ यूनिट BSP के अफसरों और कर्मियों को बोनस पर 25000 ठेका श्रमिकों के हाथ हुए खाली

भेदभाव: सेल के सबसे कमाऊ यूनिट BSP के अफसरों और कर्मियों को बोनस पर 25000 ठेका श्रमिकों के हाथ हुए खाली

भिलाई. सेल के सबसे कमाऊ यूनिट में से एक भिलाई इस्पात संयंत्र (Bhilai steel plant) सहित सेल की तमाम इकाइयों में नियमित कर्मियों का बोनस तय हो चुका है। वहीं उत्पादन व निर्माण में बराबर की भागीदारी करने वाले ठेका श्रमिकों के लिए अब तक कोई पहल नहीं की गई है। हकीकत यह है कि वर्तमान में उत्पादन से संबंधित करीब सभी काम ठेका मजदूरों से लिए जा रहे हैं। जिनकी भिलाई इस्पात संयंत्र में संख्या 25 हजार से अधिक है। यूनियन नेताओं को वोट नियमित कर्मियों से चाहिए होता है, इस वजह से ठेका मजदूरों पर उनका फोकस नहीं होता। यही वजह है कि प्रबंधन के नाक के नीचे ठेकेदार मजदूरों को उनका अधिकार तक नहीं देते। बीएसपी में सैकड़ों को मजदूर ऐसे मिल जाते हैं जिनको एक-एक साल से बोनस नहीं मिला है। ठेकेदार काम से न निकाल दे इस डर से वे बिना आवाज किए काम करते रहते हैं।
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30 अक्टूबर तक बोनस देने बीएसपी प्रबंधन ने जारी किया सर्कुलर
भिलाई इस्पात संयंत्र प्रबंधन ने सर्कुलर निकालकर ठेकेदारों से कह दिया है कि साल 2020-2021 का बोनस 30 अक्टूबर से पहले ठेका मजदूरों के खातों में भुगतान कर दिया जाए। मजदूर मांग कर रहे हैं कि जिस तरह से त्योहार से पहले नियमित कर्मियों को बोनस दिया जाता है, उसी तरह से ठेका मजदूरों को भी समय पर बोनस दिया जाए। जिससे उस पैसे का त्योहार में खर्च कर सकें।
कम से कम 8,333 रुपए दिया जाना है बोनस
भिलाई इस्पात संयंत्र में ठेका मजदूरों को उनके ग्रेड के मुताबिक बोनस दिया जाना है। ठेका श्रमिकों को 8.33 फीसदी बोनस का अधिकार है। कम से कम 30 दिनों की ड्यूटी पर मिलने वाले वेतन पर 8.33 फीसदी बोनस के भुगतान का प्रावधान है। ठेकेदार अटेंडेंस में गड़बड़ी कर श्रमिकों के बोनस भुगतान में हर साल धांधली करते हैं। इस पर नजर रखने की जिम्मेदारी बीएसपी के आईआर विभाग में बैठे अधिकारियों की है। ठेकेदार का अटेंडेंस कम दर्शाते हैं और उनको 1000 से 5000 रुपए भुगतान कर देते है। इसकी पूरी जानकारी बीएसपी के आईआर विभाग के अधिकारियों के पास दस्तावेज में जमा रहती है। मजदूरों को वहां से मदद मिले तो बोनस का भुगतान बेहद आराम से किया जा सकता है।
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बीएसपी में एक ओर नियमित कर्मचारियों की छटनी कर ठेका प्रथा को बढ़ावा दिया जा रहा है। नियमित कर्मियों के काम को ठेका श्रमिकों से करवाया जा रहा है। वहीं उन श्रमिकों को उनके जो अधिकार है उससे वंचित रखा जा रहा है।
दस घंटे आंदोलन करने पर मिला था त्योहार से पहले बोनस
ठेका मजदूरों ने सीटू यूनियन के साथ मिलकर 2019 में दस घंटे तक प्रदर्शन किया था। तब जाकर प्रबंधन ने त्योहार से पहले 25 हजार ठेका मजदूरों के खातों में बोनस डालने निर्देश दिया था। प्रदर्शन के दौरान ठेकेदारों ने मजदूरों को काम से निकालने की धमकी भी दी, लेकिन वे अपनी मांग पर अड़े रहे। जिसके बाद प्रबंधन ने मामले को सुलझाया।
मजदूर बोनस को लेकर यहां करें शिकायत
बीएसपी के श्रमिकों को अगर ठेकेदार बोनस नहीं देता या कम बोनस भुगतान करता है तो यूनियन के माध्यम से या स्वयं ही ठेका प्रकोष्ठ विभाग, बीएसपी में शिकायत की जा सकती है। निराकरण नहीं होने पर श्रमायुक्त केंद्रीय, रायपुर में शिकायत कर अपना सारा अधिकार लिया जा सकता है।
बीएसपी के मजदूरों को दिया जाना है बोनस :-
ग्रेड — 8.33 फीसदी बोनस
अकुशल — 9720 रुपए
अतिकुशल — 11929 रुपए

जानिए बोनस पर किसने क्या कहा
त्योहार पूर्व नहीं मिला बोनस तो करेंगे आंदोलन
ठेका श्रमिकों को त्योहार से पहले बोनस व पूरा बोनस के लिए हिंदुस्तान इस्पात ठेका श्रमिक यूनियन, सीटू आने वाले समय में आंदोलन करेगी। ताकि सभी श्रमिकों को पूरा बोनस और त्योहार से पहले मिले।
योगेश कुमार सोनी, महासचिव, ठेका श्रमिक यूनियन, सीटू, बीएसपी
बीएसपी के ठेका मजदूरों को भी पूजा से पहले बोनस मिल जाना चाहिए। जिससे वे परिवार के साथ त्योहार खुशी से मना सकें। जिस तरह से नियमित कर्मियों को दिया जा रहा है।
वंश बहादुर सिंह, एनजेसीएस सदस्य, इंटक, बीएसपी
समय पर मिले ठेका मजदूरों को बोनस
नियमित कर्मियों की तरह ठेका श्रमिक कंधे से कंधा मिलाकर काम करते हैं, उनको भी पूरा बोनस समय मिलना चाहिए। ठेका प्रकोष्ठ की ओर से इस इस दिशा में ठोस पहल किया जाना चाहिए।
उमेश मिश्रा, केंद्रीय महामंत्री, खदान मजदूर संघ संबद्धता, भारतीय मजदूर संघ, नंदिनी मांइस,

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