सीटू की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि किसी भी न्यायालय ने हड़ताल को अवैध करार नहीं दिया है। प्रबंधन की ओर से जारी परिपत्र से कर्मियों को घबराने की आवश्यकता नहीं है। परिपत्र में प्रबंधन ने सूचित किया है कि 26 नवंबर को अनुपस्थित रहना हड़ताल में भाग लेना माना जाएगा। यूनियन का कहना है कि हड़ताल में भाग लेना तब तक अनुशासनहीनता नहीं है जब तक इस हड़ताल को किसी न्यायालय ने अवैध करार नहीं दिया हो। इस हड़ताल में भाग लेना स्थाई आदेश के अंतर्गत अनुशासनहीनता के दायरे में नहीं आएगा।
सीटू नेता ने एसपी डे बताया है कि हड़ताल के लिए भिलाई इस्पात संयंत्र के कर्मचारी विशेषकर युवा कर्मचारी पूरी तरह अडिग हैं। कर्मियों में आक्रोश का सबसे बड़ा कारण है प्रबंधन की कथित मनमानी। कर्मी इस बात को भी अच्छे से अनुभव कर रहे हैं कि जब कानून के रहते हुए प्रबंधन मनमानी कर रहा है तब श्रम कानूनों का विलय कर बनाई गई श्रम संहिताओं में श्रमिक विरोधी प्रावधानों के पश्चात प्रबंधन को मनमानी करने की छूट पूरी तरह मिल जाएगी।
पदनाम और सेवाकाल को लेकर प्रबंधन गंभीर नहीं
पदनाम परिवर्तन एवं प्रशिक्षण काल को सेवाकाल में जोड़कर पदोन्नति देने के नियम को 2003 से लागू करने का मामला अभी तक लंबित रखना केवल प्रबंधन के अडिय़ल रवैए को ही दर्शाता है। यह दो ऐसे मामले हैं जिसमें कंपनी पर कोई आर्थिक भार नहीं पडऩा है, फिर भी इस मामले को हल करने में प्रबंधन गंभीर नहीं है।
डे ने कहा है कि 26 नवंबर को होने वाली राष्ट्रव्यापी हड़ताल की अनदेखी कर सरकार निरंतर कर्मियों पर बोझ बढ़ाने की ओर बढ़ रही है । इसी क्रम में 19 नवंबर को श्रम मंत्रालय ने कार्यस्थल पर व्यवसायिक सुरक्षा एवं स्वास्थ्य पर संहिता से संबंधित नियमों को जारी करते हुए उसमें अधिकतम 12 घंटे कार्य दिवस का प्रावधान शामिल किया है।
स्टील एंप्लाइज यूनियन इंटक की कार्यकारिणी की बैठक में बताया कि वेतन समझौता में हो रही देरी, पदनाम ,ग्रेच्युटी सीलिंग, सेल पेंशन स्कीम में ंकंपनी द्वारा अंशदान की कटौती को लेकर करके आक्रोश व्यक्त किया गया। यूनियन के महासचिव एसके बघेल ने कहा कि यह हड़ताल भिलाई इस्पात संयंत्र के श्रमिकों से जुड़े मुद्दों एवं केंद्र सरकार कथित श्रम विरोधी कानूनों को लेकर की जा रही है। उन्होंने कहा कि सभी पदाधिकारी, कार्यकारणी सदस्य, प्रतिनिधिगण और सक्रिय सदस्य हड़ताल में भाग ले रहे हैं।
श्रमिक बस्तियों में प्रचार के पश्चात मंगलवार को बीएसपी के आईआर विभाग के गेट के समक्ष हिंदुस्तान इस्पात ठेका श्रमिक यूनियन सीटू के बैनर तले दोपहर 2 बजे आम सभा हुई। 26 नवंबर को संयंत्र के मुख्य द्वार के सामने हड़ताल को सफल बनाने डटे रहने का निर्णय मजदूरों ने लिया था। गुरुवार सुबह बड़ी संख्या में मजदूर धरना स्थल पहुंचे अपनी मांगों को लेकर हुंंकार भरा।