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भिलाई

पति की मौत के बाद स्वयं के बूते पर बनाया, गृहप्रवेश के दिन पूजा में बैठने की जगह पहुंच गई कोविड अस्पताल

स्वास्थ्य विभाग के ऐसे कई कर्मचारी हैं जो अपने कार्यो के प्रति समर्पण की वजह से सहकर्मियों के लिए मिसाल बन गए हैं। ऐसे ही कर्मवीर भारती रावत है। (Fight against Corona)

भिलाईJul 16, 2020 / 07:49 am

Dakshi Sahu

पति की मौत के बाद स्वयं के बूते पर बनाया, गृहप्रवेश के दिन पूजा में बैठने की जगह पहुंच गई कोविड अस्पताल

पति की मौत के बाद स्वयं के बूते पर बनाया, गृहप्रवेश के दिन पूजा में बैठने की जगह पहुंच गई कोविड अस्पताल

दुर्ग. स्वास्थ्य विभाग के ऐसे कई कर्मचारी हैं जो अपने कार्यो के प्रति समर्पण की वजह से सहकर्मियों के लिए मिसाल बन गए हैं। ऐसे ही कर्मवीर भारती रावत है। महज डेढ़ साल पहले पति के खो जाने का दु:ख भूल नहीं पाई है। जैसे-तैसे वह अपने बूते पर मकान का निर्माण की है। गृह प्रवेश का मुहूर्त जैसे ही नजदीक आया तो वह पूजा की जिम्मेदारी अपने माता-पिता को देकर ड्यूटी करने कोविड हॉस्पिटल चली गई। जिला अस्पताल की स्टाफ नर्स का कहना है कि वह जो काम कर रही हैं, वह भी एक तरह से पूजा है।
मानव सेवा से बड़ा न कोई पूजा और न ही कर्म है। यही वजह थी कि उसने गृह प्रवेश की तिथि निकलने के बाद भी अपने माता-पिता और 5 साल के बेटे को पूजा में बैठने की बात कहते हुए कोविड ड्यूटी करने 24 दिनों के लिए जुनवानी मेडिकल कॉलेज परिसर में बने कोविड हॉस्पिटल चली गई। भारती ने बताया कि शुरू के दो दिन तक वह अच्छे से ड्यूटी की। इसके बाद किट पहनने की वजह से उसकी तबियत बिगड़ गई। चक्कर व उलटी आने की शिकायत शुरू हो गई।
इसके बाद भी उन्होंने टीम को लीड करने वाली डॉ. उपासना देवांगन के सहयोग से 14 दिनों तक ड्यूटी की। इस दौरान घर से फोन आने पर वह अपनी तकलीफ के बारे में किसी को कुछ नहीं बताई। स्वयं को स्वस्थ्य बताते हुए कोरोना संक्रमित मरीजों की सेवा करती रहीं। तबियत खराब होने का एहसास भर्ती मरीजों को भी होने नहीं दिया। 24 दिन लगातार कोविड ड्यूटी करने के बाद वर्तमान में भारती रावत जिला अस्पताल के सर्जिकल वार्ड में मरीजों की सेवा कर रही हैं।
बेटे को जेठानी की देखरेख में छोड़ा
भारती कहती हैं कि लंबी बीमारी के बाद पति की मृत्यु हो गई। 5 साल के बेटे के अलावा साथ रहने वाला कोई नहीं। मन का बोझ हलका करने वह अपने माता-पिता के साथ रहने लगी है। कोविड ड्यूटी करने का समय आया तो वह अपने बेटे को जेठ-जेठानी के पास यह कहते छोड़ गई कि उसकी देखभाल बेहतर हो सकती है।
घबरा गई थी भारती व उसके सहकर्मी
भारती बताती हैं कि ड्यूटी के दौरान ही भर्ती मरीज खाना विलंब से मिलने पर हल्ला करने लगे। वे वार्ड से बाहर निकलकर गैलरी तक आ गईं। जबकि मरीजों को वार्ड से बाहर निकलने की मनाही रहती है। मरीजों को देख सभी घबरा गए। मरीजों द्वारा सामानों को छुने पर सबके मन में यह भय हो गया कि अब वे सभी कोरोना की चपेट में आ जाएंगे। अधिकारियों तक बात पहुंचते ही पूरे परिसर को सेनिटाइज कराया गया। इसके बाद स्टाफ ने राहत की सांस ली।
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