जांच कमेटी ने यह प्रतिवेदन पेश किया
पीडि़त परिवार की शिकायत पर कमेटी ने जांच किया और प्रतिवेदन में बताया कि जिला अस्पताल, दुर्ग में जब मासूम को लेकर आए उसके पहले ही बच्ची की तबीयत खराब थी। इस वजह से उसे शंकराचार्य और स्पर्श अस्पताल में उपचार करवाया गया। पूरी तरह ठीक नहीं होने पर उसे 25 अप्रैल 2021 को रात करीब 12 बजे केजुवल्टी व इमरजेंसी विभाग जिला अस्पताल, दुर्ग लेकर आए। रात १२.११ बजे मौजूद चिकित्सक ने परीक्षण कर पर्ची पर तीन दिन से बुखार आना और बच्ची की मां को कोविड पॉजिटिव होना व आरएटी होने का उल्लेख पर्ची पर किया। इसके साथ दवाइयां लिखते हुए एमसीएच विंग के शिशु रोग विभाग में भेजा। 25 और 26 अप्रैल के दरमियानी रात 12.27 बजे एसएनसीयू यूनिट में बच्चे को भर्ती कर उसका इलाज शुरू किए। उपस्थित डॉक्टर क्षितिज ने ऑनकाल डॉक्टर समित राज प्रसाद से चर्चा कर जरूरी दवाइयां दी। इस दौरान बच्ची को ऑक्सीजन भी दिए।
सुधार नहीं होता देख रात ३ बजे रिफर किया
चिकित्सक के मुताबिक इसके बाद भी उम्मीद के मुताबिक सुधार नहीं हो रहा था, तब उसके मामा को हायर सेंटर ले जाने की सलाह दी गई। 25 और 26 अप्रैल के दरमियानी रात करीब तीन बजे हायर सेंटर के लिए रिफर स्लीप बनाने के बाद एंबुलेंस 4.15 तक पहुंचने तक लगातार उपचार किया। एंबुलेंस आने के बाद 4.40 बजे रवाना किए।
आरएटी जांच में थी पॉजिटिव
जांच कमेटी ने साफ किया कि रात में जब बच्ची को जिला अस्पताल, दुर्ग लेकर आए तब उसका रेपिड एंटिजन टेस्ट किए, जिसमें रिपोर्ट पॉजिटिव होना पाया गया। बच्ची बुखार व दस्त से पीडि़त होने की वजह से जरूरी दवा दिए।
डाटा एंट्री ऑपरेटर ने बिना चिकित्सक से स्पष्ट किए लिख दिया निगेटिव
आसीएमआर फार्म पूरा भरा नहीं था। जिसकी वजह से डाटा एंट्री ऑपरेटर ने त्रुटि पूर्ण एंटीजन निगेटिव की एंट्री कर दिया। अगर वह फार्म की प्रविष्टी में कोई दुविधा थी तो ऑपरेटर को संबंधित चिकित्सक या मेडिकल स्टॉफ से स्पष्ट करा लेना चाहिए था, लेकिन उक्त गलती की वजह से बच्ची के उपचार में कोई प्रभाव नहीं पड़ा क्योंकि उक्त बच्ची की आरएटी कोविड पॉजिटिव ही थी। जो शुरू में परिवार को बता दिए थे।
दुर्ग से भेजा गया जिला अस्पताल, रायपुर
जांच रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि सुबह ५.५४ बजे वे जिला अस्पताल, रायपुर पहुंचे, जहां उपस्थित ने बताया कि यहां बच्चों का वेंटिलेटर है, लेकिन कोरोना संक्रमित का इलाज कराने के लिए मेकाहारा, रायपुर जाना होगा। अस्पताल के शिशु विभाग में मरीज को बिना देखे रिफर किए। वे मेकाहारा के लिए रवाना हो गए।
आधे घंटे तक ऑन लाइन तलाशते रहे बेड
मासूम की सांसे एंबुलेंस में धीरे-धीरे थम रही थी। वहीं दूसरी ओर मेकाहारा में ऑन लाइन बेड तलाशने के नाम पर आधा घंटे का समय गुजर रहा था। परिवार गिड़गिड़ा रहा था एक बार बच्ची को देखकर इलाज एंबुलेंस में ही शुरू कर दिया जाए। तब तक कोई नहीं आया जब तक कि उसकी सांसे थम नहीं गई।
प्रथम दृष्टया शिकायत ही निराधार
जांच कमेटी के मुताबिक अस्पताल में मासूम को दाखिल करने से लेकर रिफर करने तक में सबकुछ सही था। ऑपरेटर ने दो माह की बच्ची को 20 साल लिखा, पॉजिटिव को निगेटिव लिख दिया। इसके लिए उसे चेतावनी दिया जाना उचित। पीडि़त परिवार की शिकायत पूरी तरह से निराधार थी।
एनएसयूआई और पीडि़त परिवार ने की न्यायिक जांच की मांग
दुर्ग जिला कार्यकारी अध्यक्ष सोनू साहू और पीडि़त परिवार के सदस्य रवि कुमार ने शुक्रवार की सुबह अपर कलेक्टर बीबी पंचभोई को ज्ञापन सौंपा कर दो माह की मासूम के मौत के मामले में न्यायिक जांच करने की मांग की। जिसमें पूरे घटना क्रम का जिक्र किया गया है।
उठ रहे सवाल
– दुर्ग के चिकित्सकों को मालूम था कि मासूम कोरोना से संक्रमित थी, तब उसे जिला अस्पताल, रायपुर क्यों रिफर किए। जहां शिशु रोग विभाग वेंटिलेटर में संक्रमितों को रख ही नहीं रहा है।
– मेकाहारा हॉस्पिटल, रायपुर रिफर क्यों नहीं किए। जहां सभी को मालूम है कि कोरोना संक्रमित का उपचार हो रहा है। इससे बच्ची को एक अस्पताल से दूसरे में भटकते रहने में समय खराब नहीं होता। जल्द इलाज मिल सकता था।
– दुर्ग से 3 बजे रिफर पर्ची बनाया गया, फिर एंबुलेंस 4.40 बजे रवाना की गई। एंबुलेंस को आने में इतना समय क्यों लगा। जांच कमेटी ने इस पर प्रथम दृष्टया नजर क्यों नहीं डाला।
– जांच टीम में जिनको रखा गया था, वे जिस अस्पताल पर आरोप है, उससे जुड़े हुए हैं क्या। यह खुद जांच का विषय है। इस पूरे मामले को लेकर पीडि़त परिवार अब अगला कदम उठाने की तैयारी कर रहा है।