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न्यायिक जांच में बड़ा खुलासा: गोसेवा आयोग के अध्यक्ष ने साढ़े 14 महीने रोके रखा 53 लाख का अनुदान, गायों की मौत, संचालक के साथ दोषी करार

locationभिलाईPublished: Sep 26, 2019 10:56:40 am

Submitted by:

Dakshi Sahu

गोशालाओं (cowsheds in CG) में हुई गायों की मौत न्यायिक जांच में गोशाला संचालक और राज्य गोसेवा आयोग (Chhattisgarh Rajya Gau Seva Ayog) दोनों को कसूरवार ठहराया गया है। न्यायायिक आयोग के अध्यक्ष ने छह बिन्दुओं पर तैयार जांच प्रतिवेदन सरकार को सौंप दिया है।

न्यायिक जांच में बड़ा खुलासा: गोसेवा आयोग के अध्यक्ष ने साढ़े 14 महीने रोके रखा 53 लाख का अनुदान, गायों की मौत, संचालक के साथ दोषी करार

न्यायिक जांच में बड़ा खुलासा: गोसेवा आयोग के अध्यक्ष ने साढ़े 14 महीने रोके रखा 53 लाख का अनुदान, गायों की मौत, संचालक के साथ दोषी करार

भिलाई. गोशालाओं में हुई गायों की मौत (Cow death in Chhattisgarh) न्यायिक जांच में गोशाला संचालक और राज्य गोसेवा आयोग (Chhattisgarh Rajya Gau Seva Ayog) दोनों को कसूरवार ठहराया गया है। न्यायायिक आयोग के अध्यक्ष एके सामंतरे ने छह बिन्दुओं पर तैयार जांच प्रतिवेदन सरकार को सौंप दिया है। जांच प्रतिवेदन के मुताबिक गोशाला का संचालन और पशुओं की देखभाल करना संचालक की जिम्मेदारी है। इसलिए गोशाला संचालक घटना के लिए जिम्मेदार है। वहीं समय पर गोशालाओं का निरीक्षण और पशु संख्या के अनुरूप अनुदान देना गोसेवा आयोग की जिम्मेदारी थी, लेकिन आयोग ने साढ़े चौदह महीने तक अनुदान ही जारी नहीं किया। गोशाला संचालकों की ओर से जून 2016 से जून 2018 के बीच छह बार पत्र लिखने के बावजूद 53 लाख रुपए का अनुदान रोके रखा। मांग किए जाने के बावजूद गायों को अन्य गोशालाओं में शिफ्ट करने के लिए प्रभावी कदम नहीं उठाया। जबकि गोसेवा आयोग के क्रियान्वयन समिति ने अनुदान राशि को स्वीकृति दे दी थी। बावजूद क्रियान्यवन समिति के तत्कालीन अध्यक्ष बिशेसर पटेल ने अनुदान जारी नहीं किया।
15 अगस्त 2017 को शगुन गोशाला में गायों की मौत हुई, 16 अगस्त को धमधा के तत् कालीन एसडीएम राजेश पात्रे ने गोशाला पहुंचे। कलक्टर को रिपोर्ट दी, 17 अगस्त को गो सेवा आयोग के सचिव एसके पाणिग्रही ने संचालक हरीश के खिलाफ एफआइआर दर्ज कराई, 20 अगस्त को पूर्व मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह ने मंत्री परिषद की उप समिति बनाई, 26 अगस्त को न्यायिक जांच आयोग से पूरे मामले की जांच कराने की बात कही। पूर्व न्यायधीश एके सामंत रे को आयोग का अध्यक्ष नियुक्त किया। जून 2019 तक सुनवाई चली। पशुधन विभाग के संचालक, गो सेवा आयोग के पंजीयक, दुर्ग और बेमेतरा विभाग के उप संचालक, पोस्ट मार्टम करने वाले 5 पशु चिकित्सक, राजपुर, गोड़मर्रा, रानो के ग्रामीणों का बयान दर्ज किया।
गोशाला संचालक हरीश का आरोप
1. शगुन गोशाला राजपुर के संचालक व आरोपी हरीश वर्मा ने न्यायिक जांच आयोग के समक्ष जो शपथ प्रस्तुत किया था। उसमें उन्होंने गो सेवा आयोग के तत्कालीन अध्यक्ष बिशेसर पटेल पर कमीशन नहीं देने की वजह से अनुदान रोकने का आरोप लगाया था। वर्मा ने शपथ पत्र में यह कहा था कि जून 2016 से जून 2017 की स्थिति में शगुन गोशाला राजपुर, फूलचंद गोशाला गोड़मर्रा और मयूरी गोशाला रानो सहित कुल 53 लाख रुपए अनुदान क्रिन्यावयन समिति की स्वीकृति के बावजूद अध्यक्ष ने रोक दिया। अध्यक्ष ने पहले तो यह कहा कि निरीक्षण के बाद अनुदान जारी कर दिया जाएगा। 14 महीने तक निरीक्षण करते रहे। 220 गायों को छोड़कर शेष गायों को अन्य गोशालों में शिफ्ट करने की मांग की। लेकिन शिफ्ट नहीं किया। 15 अगस्त 2017 को घटना हुई। अनुदान देते या फिर गायों को शिफ्ट करते तो घटना नहीं होती।
2 .गोशाला का बेस्ट संचालन के लिए 2016 में यति यतन लाल पुरस्कार प्रधानमंत्री के हाथों दिया जाना था। उसको भी अध्यक्ष ने मुख्यमंत्री से शिकायत कर रोका गया। दो लाख पुरस्कार राशि में से एक लाख रुपए की मांग की थी। सहमत नहीं होने पर सूची से नाम हटवा दिया।
गोसेवा आयोग अध्यक्ष का आरोप
1. गो सेवा के अध्यक्ष बिशेसर पटेल ने आयोग को शपथ पत्र में आरोपी हरीश वर्मा पर जो आरोप लगाया उसे साबित नहीं कर पाया। गो सेवा आयोग के तत्कालीन पंजीयक शंकर लाल उइके को पक्षकार बनाया था। उस पर जो आरोप लगाए उसे साबित नहीं कर पाया। 20 जून 2019 को उइके आयोग के समक्ष उपस्थित हुए। उन्होंने कहा था कि घटना के 14 महीने पहले गो सेवा आयोग से पशुधन विभाग में उनका ट्रांसफर हो गया था। उसके बाद तीन पंजीयक बदल गए।
2. शगुन, फूलचंद और मयूरी गोशाला का निरीक्षण करने वाले पशु चिकित्सक डॉ सुषमा मिश्रा, डॉ अशोक राय और तीन ग्रामीण ने साजा व्यवहार न्यायालय में जो कथन प्रस्तुत किया था। वह आयोग के अध्यक्ष के बयान के खिलाफ थे। पशु चिकित्सकों ने अपने कथन में यह कहा है कि वरिष्ठ पदाधिकारियों के कहने पर पंचनामा और परीक्षण प्रतिवदेन प्रस्तुत किया था। बाद में उन्हीं लोगों ने साजा व्यवहार में कथन से उलट बयान दर्ज कराया कि हमारे द्वारा गोशाला का निरीक्षण नहीं किया गया था। वरिष्ठ पदाधिकारियों के कहने पर गोशाला के बाहर गाड़ी में बैठकर पंचनामा बनाए हैं।
1 . पशुओं की मृत्यु किन परिस्थितियों में हुई
प्रतिवेदन – भूखमरी, एनीमिया, फॉरेन बाडी
मेडिकल रिपोर्ट- मयूरी गोशाला रानो में 18 अगस्त से 30 अगस्त 2017 तक 35 गायों की मौत हुई। जिनमें से 24 गायों की मौत भूखमरी, 5 की एनीमिया, 2 अंदरूनी रक्तस्राव और 4 की फॉरेन बाडी की वजह से मौत हुई थी। वहीं फूलचंद गोशाला गोड़मर्रा में 139 गायों की मौत की पुष्टि हुई थी। 109 गोशाला में मृत पाए गए थे। इनमें से 58 का पोस्ट मार्टम हुआ था। जिसमें से 40 की भूख से, 8 की एनीमिया, 3 की अंदरूनी रक्त स्राव और 7 की फॉरेन बाडी की वजह से मौत हुई थी। शगुन गौशाला राजपुर में 24 गयों की मौत हुई थी।
2 घटना की पुनरावृत्ति न हो इसलिए गोशालाओं के समुचित प्रबंधन गोशालाओं की उचित व्यवस्था के लिए पशुधन विकास विभाग ने अधिसूचना जारी कर लोगों से सुझाव मंगाया।
3 गौशाला का पंजीयन एवं अनुदान : गोशाला का पंजीयन के लिए कम से कम 5 एकड़ जमीन

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