सेल के नए ज्वाइन किए डिप्लोमा इंजीनियर सेल में अपनी स्थिति से काफी आक्रोशित हैं, उनका कहना है की सेल में रोजाना उनकी योग्यता का दाह संस्कार होता है। उनसे वही काम लिया जाता है जो कि एक ठेका श्रमिक कर रहे हैं। यही कारण है कि अब तक सैकड़ों की तादाद में डिप्लोमा इंजीनियर नौकरी छोड़कर जा चुके हैं तथा बड़ी संख्या में डिप्लोमा इंजीनियर नौकरी छोडऩे की तैयारी में है।
बीएसपी में डिप्लोमा इंजीनियर को अन्य प्रतिष्ठानों की तरह जूनियर इंजीनियर पदनाम ना देते हुए अजब पदनाम देकर काम कराया जा रहा है। डिप्लोमा इंजीनियर संयंत्र में मैनिपुलेटर शिपर कागर जैसे पदनाम पर काम करने मजबूर हैं। यह पदनाम साथियों के बीच अपमान का कारण बनते हैं।
डिप्लोमा इंजीनियर के अध्यक्ष राजेश शर्मा ने कहा कि मई 2017 में मंत्रालय से जारी आदेश में डिप्लोमा इंजिनियर्स को अन्य सरकारी प्रतिष्ठान के तरह प्रमोशन और पदनाम देने की बात कही थी, लेकिन सेल ने उस आदेश के अधिकारी से संबंधित बिंदुओं पर तुरंत अमल किया। वहीं डिप्लोमा इंजीनियर्स के मामले में एक के बाद एक समिति बनाकर मामले को अब तक टालमटोल करने का काम किया है। एनजेसीएस की बैठक में भी मामला सुलझा नहीं और अगली बैठक की जानकारी प्रबंधन ने नहीं दी।