डॉ. नायक के लीवर में इंफेक्शन की वजह पीलिया को बताया जा रहा है। इसे लेकर जिले के प्रशासनिक अमले में पूरे दिन चर्चा होती रही। हालांकि किसी ने भी उन्हें पीलिया होने की अधिकृत पुष्टि नहीं की है, लेकिन माना जा रहा है कि पीलिया के कारण पिछले सप्ताह उनके लीवर में इंफेक्शन हुआ था।
स्थानीय अफसरों से मिली जानकारी के मुताबिक एसडीएम नायक को जिले में पदस्थापना के कुछ दिनों बाद करीब डेढ़ साल पहले भी पीलिया हुआ था, लेकिन वे तब ठीक हो गए थे। ऐसा माना जा रहा है कि तब का प्रभाव शरीर में रह गया होगा और दोबारा अटैक की स्थिति बन गई।
डॉ. नायक को लीवर में इंफेक्शन का पता दिल्ली में चला। वे अपने भाई को आईआईएम में प्रवेश दिलाने के लिए दिल्ली गए थे। इसके लिए उन्होंने अवकाश ले रखा था। दिल्ली में सांस लेने में तकलीफ की शिकायत के बाद वे रायपुर लौटे जिसके बाद उन्हें अस्पताल में दाखिल कराया गया।
जून 2016 में डॉ. नायक की जिले में पहली पदस्थापना की गई। यहां डिप्टी कलक्टर के रूप में परिवीक्षा अवधि में पदस्थ किए गए थे, लेकिन वे अपनी परिवीक्षा अवधि पूरी नहीं कर पाए। दो साल कार्यकाल पूरा होने के साथ 28 जून 2018 को उनकी परिवीक्षा अवधिपूरी होने वाली थी।
जून 2016 में पदस्थापना के बाद तत्कालीन कलक्टर आर शंगीता ने उन्हें जिला मुख्यालय में चिप्स परियोजना, च्वाइस सेंटर और सांख्यिकी विभाग का प्रभार दिया था। बाद में उन्हें मार्च 2017 में धमधा भेजकर जनपद सीईओ बनाया गया। इसके बाद उन्हें धमधा तहसीलदार और छह माह पहले एसडीएम बनाया गया था। उन्हें धमधा से पहले एक माह के लिए पाटन एसडीएम भी बनाए गए थे।
रायपुर डेंटल कालेज में 2014 बैच में पास डॉ विकास नायक ने दूसरी बार में 2016 में पीएससी पास की थी। पहली बार पीएससी के इंटरव्यू तक पहुंचे थे, लेकिन चयन नहीं हो पाया था। दूसरी बार वे मेरिट में सातवें स्थान पर रहे। बलौदाबाजार के ग्राम गिरौद के रहने वाले विकास तीन भाइयों में सबसे बड़े थे। उनके पिता केएल नायक मांढर के सीमेंट कंपनी में पदस्थ हैं।
डॉ. नायक अपनी कार्यशैली के कारण वरिष्ठ अफसरों के साथ आम लोगों के भी बेहद लोकप्रिय थे। महज 30 साल के डॉ. नायक जिले के सबसे कम उम्र के अफसर थे। लोगों की माने तो वे दफ्तर में आने वाले हर व्यक्ति की बात खुद सुनते थे। इसके अलावा अवकाश में भी काम करते थे। पिछले साल जिले में अवैध माइनिंग के मामले भी उन्होंने ने ही पकड़े थे।